12 से 18 सितम्बर तक चलेगा विशेष अभियान
डॉ. आर.बी. चौधरी, गोरखपुर (उ.प्र.)
गोरखनाथ मंदिर परिसर स्थित काशी मुक्ता मंच शनिवार को श्रद्धा और संगीत की त्रिवेणी का अद्भुत संगम बना। अवसर था—विश्व हिंदू महासंघ के सांस्कृतिक प्रकोष्ठ द्वारा आयोजित “स्वरांजलि” कार्यक्रम का, जिसमें युगपुरुष ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ जी महाराज और राष्ट्रसंत ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ जी महाराज की स्मृति में भावपूर्ण संगीतमयी श्रद्धांजलि अर्पित की गई।
कार्यक्रम में गोरखनाथ मंदिर के प्रधान पुजारी योगी कमलनाथ जी, योगी मिथिलेश नाथ जी, योगी रामनाथ जी सहित अनेक गणमान्य संत-पुरुष और समाजसेवी उपस्थित रहे। मुख्य अतिथि राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सत्यानंद गिरी ने दोनों संतों को “राष्ट्र-ऋषि” की संज्ञा देते हुए कहा—
“गोरक्षपीठ ने हमेशा राष्ट्रधर्म को सर्वोपरि रखा है। महंत दिग्विजयनाथ व महंत अवेद्यनाथ जी का जीवनदर्शन आज भी समाज के लिए प्रेरणा का स्रोत है।”
12 से 18 सितम्बर तक विशेष अभियान
कार्यक्रम में विश्व हिंदू महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष भिखारी प्रजापति ने बड़ी घोषणा करते हुए बताया कि 12 से 18 सितम्बर तक पूरे प्रदेश में दोनों संतों के व्यक्तित्व और कृतित्व को जन-जन तक पहुंचाने हेतु विशेष अभियान चलाया जाएगा।
उन्होंने कहा कि—
“यह अभियान केवल श्रद्धांजलि भर नहीं है, बल्कि समाज में संतों द्वारा स्थापित मूल्यों—सामाजिक समरसता, शिक्षा और राष्ट्रवाद—को पुनः जागृत करने का संकल्प है।”
गोरक्षपीठ की गौरवशाली विरासत
गोरक्षपीठ की परंपरा केवल आध्यात्मिक ही नहीं, बल्कि सामाजिक और राजनीतिक चेतना से भी जुड़ी रही है।
- महंत दिग्विजयनाथ जी ने स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय भूमिका निभाई और महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद जैसी संस्थाओं की नींव रखी।
- उनके उत्तराधिकारी महंत अवेद्यनाथ जी ने रामजन्मभूमि आंदोलन, गो-संरक्षण, शिक्षा व सामाजिक समरसता को जीवन का ध्येय बनाया।
- वर्तमान पीठाधीश्वर व उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी अपने गुरुओं की इसी विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं।
कार्यक्रम का संयोजन और सहयोग
कार्यक्रम का सफल संयोजन प्रदेश अध्यक्ष (सांस्कृतिक प्रकोष्ठ) डॉ. राकेश श्रीवास्तव ने किया। इस अवसर पर ई. राजेश्वरी प्रसाद विश्वकर्मा, सत्येंद्र सिंह, विनोद कुमार त्रिपाठी, डॉ. कमलेश शाही, बृजेश तिवारी, दिग्विजय किशोर शाही, अखंड प्रताप सिंह, संतोष मिश्र, डॉ. गिरीश चंद्र द्विवेदी सहित अनेक पदाधिकारी और कार्यकर्ता उपस्थित रहे एवं व्यवस्था संभाली।
संदेश और महत्व
गोरखपुर में आयोजित यह “स्वरांजलि” केवल दो संतों की पुण्यतिथि पर दी गई श्रद्धांजलि ही नहीं थी, बल्कि यह गोरक्षपीठ की समृद्ध परंपरा, उसके सामाजिक-राजनीतिक दर्शन और हिंदू समाज को संगठित करने की प्रतिबद्धता का सशक्त प्रदर्शन भी था।
महंत दिग्विजयनाथ और महंत अवेद्यनाथ जी द्वारा स्थापित आदर्शों को जन-जन तक पहुंचाने की यह पहल वास्तव में नए युग के जनजागरण और राष्ट्रधर्म की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है।