तरुणमित्र मनीष श्रीवास्तव
मुंबई, 8 अगस्त 2025 इस बार का रक्षा बंधन एक 11 वर्षीय बच्चे और उसकी बहन के लिए हमेशा यादगार रहेगा। नारायणा हेल्थ एसआरसीसी चिल्ड्रन हॉस्पिटल, मुंबई में हुआ यह दिन केवल राखी का त्योहार नहीं था, बल्कि साहस, त्याग और जीवनदान का प्रतीक बन गया।
बचपन से कॉमन वैरिएबल इम्यून डिफिशिएंसी (CVID) नामक दुर्लभ और गंभीर बीमारी से जूझ रहा यह बच्चा बार-बार होने वाले संक्रमणों से परेशान था और हर महीने इम्युनोग्लोब्युलिन इंजेक्शन पर निर्भर रहता था। डॉक्टरों के अनुसार, पूरी तरह ठीक होने का एकमात्र रास्ता था बोन मैरो ट्रांसप्लांट (BMT) एक चुनौतीपूर्ण और जोखिम भरी प्रक्रिया।
किस्मत ने साथ दिया, जब पता चला कि उसकी छोटी बहन 100% एचएलए मैच है जो बेहद दुर्लभ माना जाता है। उम्र से कहीं ज्यादा हिम्मत दिखाते हुए बहन ने अपने स्टेम सेल दान किए और भाई के जीवन की डोर को मजबूती से थाम लिया।
यह जटिल सर्जरी अस्पताल के सीनियर कंसल्टेंट डॉ. चिन्तन व्यास और उनकी मल्टीडिसिप्लिनरी टीम ने सफलतापूर्वक पूरी की। बच्चे की पूर्व संक्रमण हिस्ट्री और फेफड़ों की खराब हालत को देखते हुए मामला बेहद कठिन था। आर्थिक तंगी के बावजूद, अस्पताल के सामाजिक कार्यकर्ताओं और दानदाताओं की मदद से पूरी लागत का इंतजाम हुआ।
प्री-ट्रांसप्लांट तैयारी और संक्रमण नियंत्रण में विशेष ध्यान देने के कारण न तो आईसीयू में भर्ती की ज़रूरत पड़ी, न कोई गंभीर जटिलता आई। कुछ ही हफ्तों में बच्चा संक्रमण-मुक्त होकर घर लौट आया। आज, छह महीने बाद वह इम्युनोग्लोब्युलिन थेरेपी से पूरी तरह मुक्त है, फेफड़ों की स्थिति में बड़ा सुधार है और वह पढ़ाई व खेलकूद में सक्रिय है।
डॉ. व्यास के शब्दों में,
“यह सिर्फ एक मेडिकल सक्सेस नहीं, बल्कि साहस, निस्वार्थ प्रेम और उम्मीद की प्रेरणादायक कहानी है एक बहन जिसने भाई को जीवन दिया, एक मां जिसने संघर्ष में हार नहीं मानी, और एक टीम जिसने असंभव को संभव कर दिखाया।”
अस्पताल के फैसिलिटी डायरेक्टर डॉ. ज़ुबिन परेरा ने कहा “यह केस दर्शाता है कि आधुनिक चिकित्सा और परिवार की अटूट प्रतिबद्धता जब एक साथ आती है, तो चमत्कार हो जाते हैं। हमें गर्व है कि हम इस बच्चे के नए जीवन की शुरुआत का हिस्सा बने।”
इस रक्षा बंधन, भाई की कलाई पर बंधी राखी सिर्फ एक धागा नहीं थी वह जीवन, उम्मीद और उस भविष्य का प्रतीक थी, जिसे कभी असंभव समझा गया था।