आदर्श बाजार की बदहाल सड़क पर अनोखा विरोध प्रदर्शन
गाजीपुर, 20 जुलाई।
गाजीपुर के आदर्श बाजार में सड़क की बदहाली अब लोगों के सब्र के आखिरी बिंदु तक पहुंच चुकी है। ब्लू बर्ड स्कूल के सामने जलभराव और गहरे गड्ढों से परेशान स्थानीय लोगों ने शनिवार को अनोखा विरोध दर्ज कराया। उन्होंने सड़क पर बने गड्ढों में धान की रोपाई कर प्रशासन और जनप्रतिनिधियों की उदासीनता पर करारा व्यंग्य किया।
बारिश ने जहां खेतों को हरियाली दी, वहीं इस इलाके की सड़कें दलदल में तब्दील हो चुकी हैं। बच्चों, बुजुर्गों, दुपहिया चालकों और टेंपो सवारों को हर रोज जान जोखिम में डालकर गुजरना पड़ता है। स्थानीय लोगों के अनुसार, इस रास्ते पर रोज़ाना छोटे-बड़े हादसे हो रहे हैं, लेकिन जिम्मेदार अफसर और जनप्रतिनिधि मौन धारण किए हुए हैं।
प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे समाजसेवी सुरेश कुमार कुशवाहा, उपेन्द्र यादव, बृजेश कुमार और कुनिल ने बताया कि कई बार अधिकारियों को इस समस्या से अवगत कराया गया, लेकिन कोई हल नहीं निकला। “अब जब सड़क खेत बन चुकी है, तो हमनें वहीं धान रोप कर विरोध दर्ज कराया है,” उन्होंने कहा।
“यह रास्ता अब मौत का फंदा बन चुका है”
मानव उदय फाउंडेशन के अजीत कुमार सिंह ने कहा कि इस इलाके से रोजाना हजारों लोग गुजरते हैं, जिसमें बच्चे, महिलाएं और बुजुर्ग शामिल हैं। “सड़क की हालत ऐसी है कि अब गिरना रोजमर्रा की बात हो गई है, लेकिन न तो जनप्रतिनिधि जाग रहे हैं, न ही प्रशासन,” उन्होंने कहा।
प्रदर्शन में बड़ी संख्या में स्थानीय लोग, सामाजिक कार्यकर्ता और युवा शामिल हुए। उपेंद्र यादव, फौजदार मोहन, एम. राजू जैसे कई स्थानीय लोगों ने चेतावनी दी कि अगर जल्द मरम्मत कार्य नहीं शुरू हुआ, तो आंदोलन को व्यापक स्तर पर ले जाया जाएगा।
प्रशासन से हुई बातचीत, जवाब टालमटोल भरा
प्रदर्शन के दौरान पीडब्ल्यूडी के अधिशासी अभियंता और जल निगम के अवर अभियंता से फोन पर वार्ता की गई, लेकिन दोनों अधिकारियों ने समस्या को गंभीरता से लेने की बजाय टालमटोल रवैया अपनाया। इसने प्रदर्शनकारियों में और भी आक्रोश भर दिया।
सवालों के घेरे में जनप्रतिनिधि
लोगों ने तीखा सवाल उठाया कि जब क्षेत्रीय विधायक और राज्यसभा सांसद का आवास भी इसी क्षेत्र में है, तो फिर इस बुनियादी समस्या को नजरअंदाज क्यों किया जा रहा है? क्या आम नागरिकों की समस्याएं चुनावी मंचों तक ही सीमित रह गई हैं?
जनता की मांगें स्पष्ट——–
सड़क की तत्काल मरम्मत शुरू कराई जाए।
दोषी अधिकारियों की जवाबदेही तय हो।
जनप्रतिनिधि सार्वजनिक रूप से इस मुद्दे पर अपना पक्ष रखें।
स्थानीय लोग अब सोशल मीडिया के माध्यम से इस मुद्दे को उठाने लगे हैं, और प्रशासनिक कार्यालयों के घेराव की तैयारी भी चल रही है।
निष्कर्ष:
गाजीपुर का आदर्श बाजार नाम तो आदर्श है, लेकिन हालात इसके बिल्कुल विपरीत हैं। जब तक जिम्मेदार जागेंगे, तब तक न जाने कितनी और “धान की फसलें” सड़कों पर उगती रहेंगी। सवाल अब केवल सड़क का नहीं, जनतंत्र में भरोसे का भी है।