पीना तो दूर नहाने धोने योग्य भी नहीं नगरपालिका/जलकल विभाग का पानी

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दूषित जल संकट ने जनता की परेशानी बढ़ाई, जिम्मेदारों पर लापरवाही के आरोप

उत्तर प्रदेश का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहरों से समृद्ध शहर जौनपुर, जहां की तारीफ करना हमेशा गर्व का विषय रहा है, आज दूषित बालू मिट्टी जल संकट की गंभीर समस्या से जूझ रहा है। ईशापुर समेत नगर के कई क्षेत्रीय इलाकों में जनता को पीने के लिए तो दूर नहाने और दैनिक उपयोग के लिए स्वच्छ पानी की किल्लत ने लोगों का जीवन दूभर कर दिया है।

गेंदे बालूदार शिकायतों पर नहीं हो रही सुनवाई

नगरपालिका और जलकल विभाग के अधिकारियों की लापरवाही का आलम यह है कि क्षेत्रीय लोगों की अनगिनत शिकायतों के बावजूद स्थिति में कोई सुधार नहीं हो रहा। ऐसा लगता है कि जनता की परेशानियां और शिकायतें इन अधिकारियों के लिए कोई मायने नहीं रखती।

सरकार के प्रयासों पर पानी फेरती मनमानी

एक तरफ उत्तर प्रदेश सरकार प्रदेश के हर कोने में जनकल्याणकारी योजनाओं को लागू करने और जनता तक हर सुविधा पहुंचाने के लिए प्रयासरत है, वहीं दूसरी ओर, जलकल विभाग के कुछ अधिकारियों की मनमानी इन सरकारी प्रयासों पर पानी फेरने का काम कर रही है।

ईशापुर में दूषित जल संकट की भयावह स्थिति

ईशापुर क्षेत्र की जनता स्वच्छ पानी के लिए परेशान है। स्थिति इतनी बदतर हो चुकी है मिट्टी और बालू वाले पानी की सप्लाई हर समय होती है जिससे लोगों को नहाने, कपड़े धोने और अन्य आवश्यक कार्यों के लिए दूरदराज से पानी लाना पड़ रहा है। बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक सभी इस संकट का दंश झेल रहे हैं।

जनता में गुस्सा, समाधान की मांग

जनता ने जलकल विभाग और नगरपालिका से कई बार शिकायत की, लेकिन स्थिति जस की तस बनी हुई है। अधिकारियों की उदासीनता ने लोगों में आक्रोश पैदा कर दिया है। क्षेत्रीय निवासियों का कहना है कि यदि जल्द ही समस्या का समाधान नहीं किया गया, तो वे मजबूर होकर प्रदर्शन का सहारा लेंगे।

सरकार से अपेक्षा

जनता को उम्मीद है कि जिला प्रशासन और सरकार इस मामले को गंभीरता से लेंगे। अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई करते हुए पानी की समस्या का समाधान किया जाएगा। यह जरूरी है कि जिम्मेदार अधिकारियों को उनकी जिम्मेदारी का अहसास कराया जाए, ताकि जनता को उनके अधिकारों से वंचित न रहना पड़े।

निष्कर्ष

ईशापुर और अन्य क्षेत्रों में जल संकट केवल एक बुनियादी सुविधा की कमी का मामला नहीं है; यह प्रशासनिक लापरवाही का भी प्रमाण है। सरकार को चाहिए कि वह तुरंत इस पर ध्यान दे और जनता की समस्याओं का समाधान सुनिश्चित करे।

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