गर्मी का कहर: प्यासे परिंदे और कमजोर नीलगायें: निशांत सिंह

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जौनपुर।
गर्मी की मार ने इंसानों से लेकर पशु-पक्षियों तक को बेहाल कर दिया है। सोमवार को तेज धूप और बढ़ती उमस ने जनजीवन को ठहर सा दिया। दिनभर आसमान में छिटपुट बादलों की मौजूदगी के बावजूद भीषण गर्मी से राहत नहीं मिली। इंसानों की तरह, इस जलवायु परिवर्तन के प्रभाव का असर जंगलों और गांवों के जीव-जंतुओं पर भी साफ नजर आ रहा है।

प्यास से हांफ रहे पक्षी

गर्मी और पानी की कमी ने पक्षियों की हालत बेहद खराब कर दी है। हरियाली की कमी और बढ़ते शहरीकरण के चलते पक्षियों को छांव और पानी दोनों ही मुश्किल से मिल रहे हैं। ग्रामीण इलाकों में पक्षियों को चोंच खोले हांफते हुए देखा गया है। भोजन की कमी ने उनके जीवन को और कठिन बना दिया है। खेत-खलिहानों में फसल कटाई का सीजन न होने के कारण पक्षियों को अनाज के दाने नहीं मिल पा रहे।

इसके अलावा, गर्मी के कारण जमीन से नमी खत्म हो गई है, जिससे कीड़े-मकोड़ों की संख्या में भारी गिरावट आई है। यह स्थिति उन पक्षियों के लिए घातक है, जो मुख्य रूप से कीड़ों पर निर्भर रहते हैं। ऐसे में हम सभी का यह दायित्व बनता है कि पक्षियों के लिए अपने घरों के पास पानी और अनाज की व्यवस्था करें।

कमजोर हो रहीं नीलगायें

मछलीशहर तहसील क्षेत्र के ग्रामीण इलाकों में नीलगायें भीषण गर्मी और हरे चारे की कमी के कारण कमजोर हो चुकी हैं। जो नीलगायें दिसम्बर से मार्च तक गेहूं की फसल चरकर स्वस्थ और हष्ट-पुष्ट नजर आती थीं, वे अब हड्डियों का ढांचा बन चुकी हैं। गर्मी ने उनके प्राकृतिक आवास को प्रभावित कर दिया है, जिससे उनकी सेहत पर बुरा असर पड़ा है।

क्या कर सकते हैं हम?

1.पानी की व्यवस्था करें:
घरों के आस-पास और छायादार स्थानों पर पानी के बर्तन रखें। यह छोटे पक्षियों से लेकर जानवरों तक के लिए जीवनदायिनी साबित हो सकता है।

2.अनाज का बिखराव:
पक्षियों के लिए खुले स्थानों पर अनाज बिखेरें। यह उनकी भोजन की समस्या को कुछ हद तक हल कर सकता है।

3.छायादार स्थान बनाएं:
पक्षियों और जानवरों के लिए छायादार स्थान तैयार करें। पेड़ लगाना इस समस्या का स्थायी समाधान हो सकता है।

4.सोचें और कदम उठायें:
पशु-पक्षियों की स्थिति पर ध्यान देना न केवल एक सामाजिक दायित्व है, बल्कि यह पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भी महत्वपूर्ण कदम है।

गर्मी के इस चुनौतीपूर्ण समय में इंसानों के साथ-साथ पशु-पक्षियों की देखभाल करना हमारी जिम्मेदारी है। अगर हम उनके लिए थोड़ी सी सहानुभूति और प्रयास करेंगे, तो शायद उनके जीवन को थोड़ी राहत मिल सके।

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