मित्रों….अपराधी भी…!
अपने पेशे के प्रति…
होते हैं बेहद “ऑनेस्ट”….
अपराध करने में….!
हरदम देते हैं…अपना “बेस्ट”…
अपने हुनर को….किए रहते हैं…
जमाने में “फास्टेस्ट से फास्टेस्ट”….
जमाने के साथ चलकर,
पुलिस और पब्लिक दोनों का….!
हरदम लिया करते हैं,
कोई ना कोई नया “टेस्ट”…..
इरादा होता है इनका….बस एक …!
फैलाए रहो… समाज में हरपल….
कोई ना कोई “अनरेस्ट”…..
जो परेशान होकर पब्लिक…!
करती पुलिस से “रिक्वेस्ट”
पुलिस भी दर्ज कर मुकदमा,
करती रहती है इनको “अरेस्ट.…
मगर…अपराधी कभी नहीं लेते…!
किसी प्रकार का कोई “रेस्ट”….
तुरन्त ही खोजने लगते हैं,
अपराध का नया तरीका….और…!
इसके लिए नए-नए “गेस्ट”…
इसी कड़ी में गौर करो मित्रों….!
ख़ौफ़ से इनके अब तो…
खुद के ही घर में कैद होकर….
बन जा रहे हैं लोग “गेस्ट”….
डर के मारे…नहीं ढूँढ़ पा रहे हैं…
खुद ही का…ब्रश और टूथपेस्ट….
घबराए हैं इतना कि….!
“ईस्ट” को कहने लगे हैं “वेस्ट”….
टेंशन में दर्द करने लगा है,
इनका हार्ट-हेड एवं चेस्ट….
पर…अपराधी को….देखो मित्रों….!
ना घबराते हैं…ना ही होते हेजीटेट…
इनको मानते अच्छा-भला “कैंडिडेट”…
और….बड़े ही रॉबीले अंदाज में….!
ऐसे लोगों से कहते हैं….
आपको किया गया है…
डिज़िटल अरेस्ट…डिज़िटल अरेस्ट…
रचनाकार…..
जितेन्द्र कुमार दुबे,
अपर पुलिस उपायुक्त,
कमिशनरेट लखनऊ….