पंकज सीबी मिश्रा / पत्रकार जौनपुर
पूर्वांचल लाईफ, जौनपुर !
कहते है जब मानवता मरती है तो सबसे पहले क्रूरता जन्म लेती है और उससे संवेदनहीनता बढ़ती है तब एक समय ऐसा आता है जब इंसान केवल धन का लोभ दिखाता है और वह हिंसक जानवर से भी क्रूर नजर आता है। शहर में आजकल बड़े – बड़े प्राइवेट अस्पताल लूट का जबरदस्त अड्डा बने हुए है। हर अस्पताल की अपनी अलग – अलग रेट लिस्ट है और हर अस्पताल के अपने अलग – अलग नियम कानून। सबसे मजेदार बात तो यह कि अस्पतालों के अपने मेडिकल स्टोर है जहां एमआरपी पर प्रिस्क्राइब दवाओं के साथ कुछ फालतू दवाएं तक लेने के लिए बाध्य है पेसेंट। आखिर ये डॉक्टर धन पशु बनने के चक्कर में कौन सा पुण्य कमा रहें और क्या सच में ईश्वर में इनकी आस्था होगी.! सोचनीय बात है। जनपद के पत्रकार और मिडिया विश्लेषक पंकज सीबी मिश्रा ने बताया कि इन दिनों जौनपुर एवं वाराणसी में नामी गिरामी डॉक्टरों के यहाँ विजिट हुआ। सोचने और हैरान करने वाली बात तो यह है कि सबके अलग अलग फीस और इमरजेंसी चार्ज है जबकि कुछ तो केबिन में भी मरीजों से पैसे तक मांग लेते है। आप एक बार पर्ची बनवा लीजिये तो उनकी पर्ची भी पैसा लूटती है। किसी कि पर्ची तीन दिन के लिए मान्य तो किसी की सप्ताह भर के लिए तो किसी की दस दिन के लिए मान्य और अगर आप किसी जरुरी काम में फंस के एक दिन भी लेट गए तो फिर कंसल्टेंसी फी पांच सौ से पच्चीस सौ तक दोबारा दीजियेगा। आखिर इतनी संवेदनहीनता डॉक्टर साहब, आपको मानसिक शांति और सुकून देती होगी ! हद तो तब होती है जब मुश्किल परिस्थितियों में पहुँचे मरीजों से इमरजेंसी शुल्क वसूला जाता है। शर्मनाक डॉक्टर साहब! लूट की मशीन ना बनिए, डॉक्टर साहब लाखों मरीजों की बद्दुआएं जो मिलती है उसका तो सोचिये। आपको एक ताज़ा उदाहरण देता हूँ, मध्य प्रदेश के डिंडोरी जिले के गड़ासरई अस्पताल में पांच माह की गर्भवती महिला से अस्पताल का वह बेड साफ करवाया गया जिस पर उसके पति ने दम तोड़ा। ज़ब तश्वीर वायरल हुई तो लोगो ने अस्पताल और डॉक्टर को ट्रोल करना शुरू किया पर केंद्र सरकार ऐसे मामलों पर चुप क्यों है ! क्यों कोई निश्चित नियम क़ानून नहीं इन लुटेरे गैंग के खिलाफ जो पैसे के लिए जमीर तक भगवान के मूर्तियों के सामने बेच आते है। एमपी का मामला यह कोई नया केस नहीं अपितु संवेदनहीनता और क्रूरता का एक और ताज़ा मामला है।