जौनपुर। कृषि विभाग द्वारा शुक्रवार को विकास खण्ड बक्शा स्थित बीआरसी केंद्र के सभागार में उत्तर प्रदेश श्री अन्न (मीलेट्स) पुनरोद्धार योजना अन्तर्गत अध्यापक प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमें श्री अन्न (मिलेट्स) के महत्व एवं उपयोगिता से किसानों को प्रशिक्षित किया गया। प्रशिक्षक वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष केवीके बक्शा डा. सुरेश कुमार कन्नौजिया ने अध्यापकों को सम्बोधित करते हुए कहा कि मोटे अनाजों की उपयोगिता को देखते हुए सरकार ने श्री अन्न योजना का नाम दिया है। दूसरे अनाजों की तरह ही मोटे अनाज चीला, खीर, खिचड़ी, दलिया, कटलेट, सूप, उपमा, डोसा, इडली, बिस्कुट स्नेक्स, चिक्की आदि रूपो में खाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि श्री अन्न से बने खाद्यान्न एमडीएम में सम्मिलित किए जाने से बच्चों के वेहतर स्वास्थ्य के साथ मीलेट्स पुनरोद्धार को बढ़ावा मिलेगा। मिलेट्स की उपयोगिता से अपने छात्र/छत्राओं को जागरूक करें जिससे उनके परिजन मोटे अनाजों की खेती कर अपने भोजन में सम्मिलित करें। वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डा. सन्दीप कुमार ने कहा कि इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मिलेट्स रिसर्च (आईआईएमआर) हैदराबाद के अनुसार मोटे अनाज सिलिएक डिजीज के इलाज में लाभ प्रद है। इसका कारण है मोटे अनाज ग्लूटेन फ्री है। गेहूं में ग्लूटेन नामक तत्व पाया जाता है जिससे कुछ लोगों में सीलिएक बीमारी रोग हो जाता है। कृषि वैज्ञानिक डा. रत्नेश पांडेय ने कहा कि विशेषज्ञ मोटे अनाज को मधुमेह और कैंसर रोकने वाले तत्वों से भरपूर मानते हैं, पौस्टिक तत्व भरपूर मात्रा में होने के कारण मोटे अनाज को एनीमिया व कुपोषण की समस्या को दूर करने में सहायक माना जा रहा है। मोटे अनाजों में फाइबर की प्रचुरता उन्हें मधुमेह और मोटापे से बताती है मोटे अनाजों का ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम होता है तभी मधुमेह व हृदय रोगियों को खाने की सलाह दी जाती है। संचालन करते हुए उप परियोजना निदेशक आत्मा डा. रमेश चंद्र यादव ने कहा कि मोटे अनाजों की खेती से किसान कम लागत व स्वच्छ पर्यावरण में वेहतर उत्पादन लेकर कृषि का सतत विकास कर सकते है। इस मौके पर एआरपी विष्णु शंकर सिंह सहित बेसिक शिक्षा के 65 शिक्षक एवं शिक्षिकाएं मौजूद रहे।
मोटे अनाज देते है भरपूर पोषण
