एक सितंबर से शुरू हो रही गणना चार माह तक चलेगी
जौनपुर। पशुओं की गणना कर उसकी संख्या के हिसाब से पशुधन विकास के लिए योजनाएं संचालित की जाती है। गणना में खामी के चलते पशुधन का सही आंकड़ा नही मिल पा रहा था। केंद्र सरकार ने गणना प्रक्रिया में बदलाव करते हुए 21वीं पशुगणना को न सिर्फ हाईटेक किया है। बल्कि इसकी जिम्मेदारी पूर्णरूप से पशुपालन विभाग को दे दी है। एक सितंबर से शुरू हो रही गणना चार माह तक चलेगी। जनपद के कुल 3444 गांवों की गणना की जाएगी। गणना करने वाले मोबाइल से निर्धारित पोर्टल पर डाटा अपलोड करेंगे। हर दिन रिपोर्ट एकत्रित कर भेजी जाएगी। जातीय जनगणना की तरह हर पांच साल पर पशुओं की भी गणना की जाती है। पहले इसकी जिम्मेदारी राजस्व कर्मियों को सौंपी गई थी। गणना में लगे अधिकांश लेखपाल व संग्रह अमीन गांव में एक स्थान पर बैठकर गणना की कोरमपूर्ती कर लेते थे। पशुओं का सही आकलन न होने के कारण सरकार द्वारा पशुधन विकास के लिए सही ढंग से योजनाएं नही बन पा रही थी। केंद्र व प्रदेश सरकार ने खामी दूर कर पारदर्शिता पूर्ण गणना के लिए न सिर्फ पशुपालन विभाग को जिम्मेदारी इस बार दी है। बल्कि गणना करने वालों को एक एक टैबलेट भी दिया गया गया। निर्धारित साफ्टवेयर पर जहाँ आसानी से गणना हो जाएगी वही रिपोर्टिंग में भी आसानी होगी।
ग्रामीण इलाके में तीन हजार आवास पर और शहरी क्षेत्र में चार हजार आवास पर एक गणनाकर्मी को लगाया गया है। पांच गणना करने वालों की निगहबानी एक सुपरवाइजर करेंगे। शहर क्षेत्र में प्रति आवास 8.15 रुपये और ग्रामीण क्षेत्र में 9.94 रुपये भुगतान किया जाएगा।
219 गणनाकर्ता व 42 सुपरवाइजर को दी गयी जिम्मेदारी
इस संबंध में रविवार को बात करते हुए मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डॉ ओमप्रकाश श्रीवास्तव ने बताया कि 21वीं पशुगणना में 219 गणनाकर्ता व 42 सुपरवाइजर को जिम्मेदारी दी गयी है। विभाग के कर्मियों को गणना में लगाया गया है। अगर जरूरत पड़ी तो दूसरे विभागों के लोगों से सहयोग लिया जाएगा। पशुगणना की सभी तैयारी पूरी कर ली गयी है। कर्मचारियों व सुपरवाइजरों को प्रशिक्षण दिया गया है। उप मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डॉ संजय कुमार को नोडल अधिकारी नामित किया गया है। पूर्व की पशु गणना के अनुसार ज़िलें में 11,21,396 पशु है।