“रिपोर्ट : पंकज सीबी मिश्रा”
जौनपुर! वाराणसी और जौनपुर के तमाम मेडिकल स्टोरों पर नकली और अधिक मूल्य की दवाओं की भरमार है। निजी नर्सिंग होम के कैम्पस में डॉक्टर के संरक्षण में चलने वाले तमाम ऐसे मेडिकल स्टोर है जो दवाओं कों प्रिंट दाम और उस पर मनमाना जीएसटी लगाकर मरीजों कों बेच रहें। मरीजों की मज़बूरी है की डॉक्टर की प्रिस्क्राइब्ड दवाएं उनके अस्पताल के ही मेडिकल स्टोर से ले। कुछ निजी नर्सिंग होम तों जाँच के नाम पर अपने यहां मरीजों कों जमकर हलाल कर रहीं। जनपद में ऐसे तमाम निजी अस्पतालों और मेडिकल स्टोरों की बाढ़ सी आ गई है और जीवन देने वाला डॉक्टर आज लुटेरा जैसे शब्दों से सम्बोधित हो रहा वहीं रिपोर्ट्स के मुताबिक हर जगह बिक रही हैं घटिया दवाइयां। पेरासिटामोल सहित 50 लाइफ सेविंग दवा निम्नतर स्तर की साबित हुईं है। डीजीसीआइ ने बकायादा चेतावनी तक दें डाली है। देश के अधिकांश हिस्सों में 50 दवाइयां घटिया स्तर की बिक रही है। ड्रग रेगुलेटर संस्थान अर्थात डीजीसीआई ने जांच में पाया है कि कुछ पेरासिटामोल, बीपी की दवा, मिर्गी की दवा सहित 50 दवाइयों की गुणवत्ता बहुत खराब है। आप जो दवाइयां खा रहे हैं, हो सकता है कि उनमें से कई घटिया स्तर की हो। जी हां, ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया यानी डीजीसीआई ने दवाओं की जांच में पाया है कि 50 दवाइयां घटिया स्तर की बन रही है जो देश में हर जगह बिक रही है। लोग इसी घटिया दवा को खा रहे हैं। डीजीसीआई ने जिन दवाइयों को घटिया गुणवत्ता वाली सूची में डाला है उनमें कॉन्स्टिपेशन के लिए लेक्टोलूज सॉल्यूशन, ब्लड प्रेशर के लिए टेलमिसाटन और अम्लोडिपाइन, ऑटो इम्यून डिजीज के लिए डेक्सामेथासोन सोडियम फॉस्फेट, गंभीर इंफेक्शन के लिए क्लोनाजेपाम टैबलेट जैसी जीवनरक्षक दवाइयां शामिल हैं। ड्रग सैंपल का परीक्षण केंद्र और राज्य दोनों सरकारों की लेबोरेटरी में किया गया। बतौर सूत्र इसी साल फरवरी में डीजीसीआई के डायरेक्टर राजीव रघुवंशी ने राज्य सरकारों से लोकल मार्केट में बेची जा रही दवाइयों पर कड़ी निगरानी रखने के लिए कहा था।इसके साथ ही जांच का मंथली डाटाबेस तैयार करने को कहा था। जो दवाइयां घटिया निकली है उनमें पेरासिटामोल 500 एमजी, बीपी की दवा टेल्मीसारटन, कफटीन कफ सीरप, मिर्गी की दवा क्लोनाजेपेम, दर्द की दवा डिक्लोफेनेक, मल्टीविटामिन और कैल्शियम की दवा शामिल है। ये ऐसी दवाइयां हैं जिनका इस्तेमाल लाखों लोग करते हैं। अधिकांश लोग बुखार लगने पर खुद ही पेरासिटामोल खरीद कर खा लेते हैं। डीजीसीआई ने कहा है कि ये दवाइयां बहुत ही निम्न स्तर की बन रही है। डीजीसीआई ने अपनी रिसर्च में पाया है कि बालों में लगाने वाला हीना भी सही नहीं मिल रहा है। यह भी घटिया स्तर का बन रहा है। कॉस्मेटिक केटगरी में शामिल हीना मेहंदी की गुणवत्ता बहुत खराब है. दवाओं की गुणवत्ता से संबंधित यह जांच ऐसे समय हुई है कि जब विदेश में भारतीय कफ सीरप से बच्चों की मौत भी सामने आई है। सेंट्रल ड्रग स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन के मुताबिक इन दवाओं के सैंपल मई में लिए गए थे। उधर जनपद के पत्रकार और मिडिया एक्सपर्ट पंकज सीबी मिश्रा नें बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पहल से यूपी के जिला अस्पतालों में मिलेगी वेंटीलेटर की सुविधा जिसके लिए डॉक्टरों और नर्सों को ट्रेनिंग भी दिलाएगा स्वास्थ्य विभाग। यूपी के तमाम जिला अस्पतालों में ऐसे गंभीर मरीजों को दूसरी जगह शिफ्ट करना पड़ता है, जिन्हें वेंटीलेटर पर रखने की जरूरत हो। ऐसा नहीं है कि अस्पतालों में वेंटीलेटर नहीं हैं। यूपी के तमाम जिला अस्पतालों में ऐसे गंभीर मरीजों को दूसरी जगह शिफ्ट करना पड़ता है, जिन्हें वेंटीलेटर पर रखने की जरूरत हो। ऐसा नहीं है कि अस्पतालों में वेंटीलेटर नहीं हैं। कोविड के दौरान इन अस्पतालों में वेंटीलेटर तो पहुंचे मगर उन्हें चलाने वाला ही कोई नहीं था। तमाम जगह इन मशीनों के कवर तक नहीं उतरे। वो अस्पताल के किसी कोने में धूल फांक रही हैं। मगर अब ऐसा नहीं होगा। प्रदेश के जिला अस्पतालों में अब वेंटीलेटर सुविधा मिलेगी। स्वास्थ्य विभाग डॉक्टरों और स्टाफ नर्सों को वेंटीलेटर चलाने के साथ ही आईसीयू की ट्रेनिंग दिला रहा है। एक जुलाई से दूसरे चरण की ट्रेनिंग शुरू होगी।