“चुनावी बयार” कार्यकर्ता बैठे मुंह बाय, मलाई उप्पर के नेता खाय

Share

पूर्वांचल लाईफ/पंकज कुमार मिश्रा

जौनपुर ! सांसद बनने का सपना देखने वालों के लिए उनके विश्वासपात्र ही अब सबसे बड़ी चुनौती बने है। अपने कार्यकर्ताओ को सक्रिय रखना मुश्किल हो गया है तमाम माल मलाई रबड़ी सब बड़का नेता और प्रतिनिधि चचा खाय रहें और कार्यकर्ता को फोकट में इधर उधर दौड़ाय रहें है। उधर सूचना मिली कि कार्यकर्ताओं को खर्चा पानी ना मिलने से कार्यकर्ताओं ने पर्चा बाटना बंद और फोटो खिचाना ज्यादा शुरू कर दिया है। बागी पदाधिकारीओं को सहेजना बड़ी चुनौती है। गुटबाजी से लोकसभा में दलों को दिक्क़ते आती रहीं है ऐसे में पदाधिकारी और कार्यकर्ताओं को ना पहचानने वाले सांसदों की लिस्ट भी लंबी है। भाजपा की दसवीं चुनावी लिस्ट में जहां एक तरफ बड़े-बड़े दिग्गजो के नाम थे तो अब जब नामांकन हो चुका है तो क्षेत्र में बस चुनावी गर्मी दिख रहीं हवा नदारद है। आम कार्यकर्ता बूथों पर पार्टी के लिए जान झोक देते थे क्यूंकि उन्हें चुनाव में खर्चा पानी झोक के मिलता था पर इस बार सब झुरमुराये है और दबी जुबान से कह रहें अपने पेट्रोल पर काहे जाए मरने ! जीतने के बाद जब उस कार्यकर्ता की पहचान सिर्फ दरी और कुर्सी बिछाने वाले समर्पित कार्यकर्ता के रूप में होती है तो उसकी नाराजगी वाजिब है। कई लोकसभाओ में कुछ राजनीतिक कार्यकर्ताओं से जब दलों के प्रचार प्रसार हेतु क्या है महौल मै बात की गई तो चौकी थानो में कोई सुनवाई नहीं हुईं, सोलर लाइट नहीं मिली, सड़क नहीं बना इत्यादि को लेकर तरह तरह के समस्याएं सामने आई जिसके बाद ये लगा की रिपीट सांसदों के लिए रास्ता उतना भी सरल नहीं। देखना होगा कि कौन सी तर्ज पर अब राजनीति करवट लेगी। भाजपा नें साफ छवि वाले डॉक्टर विनोद कुमार बिन्द को भदोही थमा दिया तो रमेश बिन्द अवसरवादी निकले मतलब पार्टी के प्रति कौनो निष्ठा नाही और भाग लिए सपा में, वहीं मछलीशहर में बीपी सरोज को वापिस टिकट मिला तो मामला थोड़ा कन्फूजिया गया। लोग हो हल्ला मचाने लगे कि कार्यकर्ताओं और पदाधिकारीओं को ना पहचानने वाले को भी टिकट मिला, गाजीपुर में पारसनाथ राय के रूप में बाहरी कुदा दिए गए या यूँ कहे पार्टी वहां खर्चा बचा रहीं। ऐसे में माननीय ये मानने को तैयार नहीं होंगे कि जनता सर्वेक्षण में कार्यकर्ताओ की निरसता कि वजह से हार दिख रही और फिर जनता का मूड भी विपक्ष का प्रत्याशी देखती है उसके बाद ही अपना वोट मैदान में उतारती है। एक ऐसे ही लोकसभा क्षेत्र मछलीशहर और भदोही में इस बार वोट का खेल अगर त्रिसंकू हुआ तो मामला गंभीर हो लेगा क्यूंकि तब आरोप प्रत्यारोप लगेंगे कि कौन कितना खाया ! सामान्य वर्ग के मतदाताओं ने मिलकर मछलीशहर में वर्ष 2019 में भारतीय जनता पार्टी का परचम लहराया था हालाँकि तब विजय का अंतर भी मामूली था। लेकिन बदली राजनितिक परिस्थितियों में इस बार समाजवादी पार्टी और गठबंधन से टिकट में वर्तमान विधायक केराकत तूफानी सरोज की बेटी प्रिया सरोज मैदान में है और महिला होने का सामाजिक फायदा उठा सकती है और महिला वोटरों को प्रभावित करेंगी। भाजपा के रणनीतिकारों को यदि यह सीट अपने पास सुरक्षित रखनी है तो जनता के साथ साथ कार्यकर्ताओं की भी नब्ज पकड़नी होगी क्यूंकि मोदीनाम की हवा तो बह रहीं पर साईकिल भी चलेगी कारण आजमगढ़ और गाजीपुर लगे जिले है जिनसे यह लोकसभा प्रभावित होती रहीं है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!