शंकराचार्य नरेंद्रानंद सरस्वती से मिले विहिप के प्रांत अध्यक्ष केपी सिंह

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11 फरवरी को होने वाले संत सम्मेलन में भाग लेने के लिये किया आमंत्रित

वाराणसी स्थित ज्ञानवापी परिसर हिंदुओं को सौंप दे मुस्लिम समाज
संवाददाता द्वारा
प्रयागराज. श्री काशी सुमेरु पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी नरेंद्रानंद सरस्वती से माघमेला, त्रिवेणी मार्ग स्थित शंकराचार्य शिविर में मंगलवार को विश्व हिंदू परिषद के प्रांत अध्यक्ष केपी सिंह समेत कई महत्वपूर्ण लोगों ने शिष्टाचार भेंट की। श्री सिंह ने शंकराचार्य को 11 फरवरी को होने वाले संत सम्मेलन में भाग लेने के लिये आमंत्रित किया। इस दौरान प्रांत के संगठन मंत्री नितिन जी, विभाग संगठन मंत्री मृत्यंुजय जी, प्रांत धर्माचार्य संपर्क प्रमुख आद्या शंकर मिश्र एवं विनोद अग्रवाल भी मौजूद थे। विहिप नेताओं ने शंकराचार्य से विभिन्न मुद्दों पर विचार विमर्श भी किया। इस बार संत सम्मेलन में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिये जायेंगे। जिसकी तैयारियां शुरू हो गयी हैं।
इसके पूर्व शंकराचार्य नरेंद्रानंद सरस्वती ने कहा कि सदियों से चल रहे संघर्ष के बाद सनातन धर्म के मानने वालों की इच्छाएं पूरी हो रही हैं। श्रीराम जन्मभूमि मंदिर, अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा हुई, यह देश के इतिहास में महत्वपूर्ण घटना है। इसका देश के सामाजिक एवं राजनैतिक जीवन पर गंभीर असर पड़ेगा। इससे देश ही नहीं विश्व के हिंदू समाज में नई उुर्जा का संचार हुआ है। आने वाली पीढ़ियां 22 जनवरी 2024 को याद रखेंगी। इससे सामाजिक सद्भावना भी बढ़ेगी। प्रभु श्रीराम तो समस्त भारतवासियों के आराध्य हैं।
शंकरचार्य नरेंद्रानंद सरस्वती ने कहा कि वाराणसी में ज्ञानवापी परिसर स्थित माता श्रृंगार गौरी की नियमित पूजा-अर्चना कराये जाने का आदेश देकर जिला न्यायालय ने ऐतिहासिक कार्य किया है। न्यायालय का निर्णय सत्य की जीत है। न्यायालय को नियमित सुनवाई कर ज्ञानवापी प्रकरण को पूरी तरह से निस्तारित कर देना चाहिए। इससे किसी भी पक्ष को कोई शिकायत नहीं रहेगी। उन्होंने कहा कि माता श्रृंगार गौरी की नियमित पूजा-अर्चना से भगवान विश्वनाथ मंदिर परिसर में आनंद का माहौल है। प्रतिदिन हजारों श्रद्धालु मांता श्रृंगार गौरी एवं वहां स्थापति अन्य देवी देवताओं की पूजा-अर्चना कर रहे हैं। यहां व्यासजी गुफा पर प्रदेश सरकार ने अपने आदेश से वर्ष 1993 में ताला लगवा दिया था। तीस वर्षों बाद वहां नियमित रूप से पूजा-अर्चना शुरू हुई है।
शंकराचार्य नरेंद्रानंद सरस्वती ने कहा कि मुस्लिम पक्ष को भी यह सत्य स्वीकार करना चाहिए कि ज्ञानवापी मंदिर को ध्वस्त कर मुगल शासक औरंगजेब ने वहां मस्जिद का निर्माण कराया था। अभी पुरातात्विक जांच मंे यह पूरी तरह स्पष्ट हो चुका है। इस पर धार्मिक एवं वैज्ञानिक रूप से किसी तरह का संशय नहीं है। इसलिये मुस्लिम समाज को चाहिए कि वह ज्ञानवापी परिसर में नमाज पढ़ना बंद कर उसे हिंदू समाज को सौंप दे। इससे दोनों पक्ष के बीच इस मुद्दे को लेकर कटुता समाप्त होगी। साथ ही समाज में शांति, सद्भाव एवं भाईचारे की भावना मजबूत होगी। देश मजबूती के साथ आगे बढेगा। इस अवसर पर स्वामी बृजभूषणानंद सरस्वती भी उपस्थित थे।

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