जानलेवा : गाड़ियों का फैशन निगल रही जिंदगीया, शासन चालान काटने में व्यस्त

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पंकज सीबी मिश्रा/पत्रकार जौनपुर

पूर्वांचल लाईफ न्यूज : नई गाड़ियों का फैशन और तेज स्पीड लगातार लोगो की जिंदगीया लें रहा। प्रशासन तो बस पुरानी गाड़ियों का चालान काटने में व्यस्त हैं जबकि सोशल मिडिया के अनुसार ज्यादातर जानलेवा दुर्घटना, चमचमाती गाड़ियों से हो रही और मरने वालों में अधिकतर युवा हैं जिन्होंने नये ज़माने का आधुनिक तकनीक से सजी गाड़िया लें रखी होती हैं। अभी हम सभी नें सोशल मिडिया पर पढ़ा होगा की सैफई मेडिकल कॉलेज के पांच होनहार डॉक्टर, तेज रफ़्तार की चपेट में आकर जान गंवा बैठे। नए स्कार्पियो की नई सीरीज गाड़ी से एक्सप्रेस वें पर जान गवानें वाले सभी युवक नौजवान थे और दुर्घटना में मृत्यु के आगोश में समा बैठे। दुर्घटना इतनी विभत्स थी की गाड़ी पहचान में नहीं आ पाई। ऐसे ही रोज आए दिन आप अखबारों में पढ़ते होंगे। मिडिया विश्लेषक एवं जनपद के पत्रकार पंकज सीबी मिश्रा नें दुर्घटनाओं पर चर्चा करते हुए बताया कि बात हाइवे दुर्घटनाओं से हटकर करें तो बुधवार 27 नवम्बर को वाराणसी के तेलियाबाग तिराहे पर भी तेज़ रफ़्तार ट्रैक्टर रेलिंग तोड़ फुटपाथ पर चढ़ा, बड़ी दुर्घटना टली। वाराणसी के तेलियाबाग तिराहे पर देर रात तेज रफ्तार ट्रैक्टर अनियंत्रित होकर रेलिंग तोड़ते हुए फुटपाथ पर चढ़ गया। घटना में सुकून यही रहा कि कोई हताहत नहीं हुआ। यह हादसा पटेल धर्मशाला के पास हुआ, जहां ट्रैक्टर की रफ्तार इतनी तेज थी कि वह सीधे रेलिंग को तोड़ते हुए फुटपाथ पर जा पहुंचा। लोगो की माने तो उनका आक्रोश पुलिस प्रशासन की तरफ हैं जो शाम होते ही ग्रामीण कस्बे और नुक्कड़ो तिराहो पर चालान काटते दिख जाते हैं और चालान वो भी ज्यादातर तीन सवारियों वाले वाहनों की या फिर बिना हेलमेट के यात्रियों के, रफ़्तार इत्यादि से उनका कोई वास्ता नहीं। रात होते ही कस्बे नुक्कड़ो, शहर की सड़कों पर टनए गाड़ियों से पूरा नियम कानून मानते हुए बेखौफ तेज रफ़्तार संचालन जारी है। अधिकतर वीआईपी पकड़ वाले युवा चालक तेज रफ्तार में वाहन चलाते हैं और प्रशासन उनका चालान कर भी पाता होगा या नहीं यह चर्चा का विषय हैं। यातायात माह के दौरान भी इस प्रकार की घटनाएं सवाल खड़े कर रही हैं। हैरानी की बात यह है कि शहरों और गाँवो में चलने वाले 90% ट्रैक्टर, स्कूली बस, प्राइवेट बसें, तेज स्पीड से चलती हैं। ज्यादातर दो पहिया वाहनों और अन्य पर नंबर प्लेट तक नहीं होती। इससे यह आशंका जताई जा रही है कि अधिकांश वाहन चोरी के या अवैध हो सकते हैं। उधर बिना लाइसेंस मजदूर चला रहे ट्रैक्टर जो दुर्घटना का बड़ा कारण माना जा रहा। बड़ी संख्या में ऐसे ट्रैक्टर भी देखे गए हैं, जिनके चालकों के पास ड्राइविंग लाइसेंस नहीं है। इनमें से कई चालक पेशेवर ड्राइवर भी नहीं हैं, बल्कि खनन कार्यों में लगे मजदूर हैं। ऐसे में सड़क पर ट्रैक्टरों की तेज रफ्तार से बढ़ती घटनाओं के लिए प्रशासन की उदासीनता जिम्मेदार मानी जा रही है।आए दिन हो रही दुर्घटनाओं के बावजूद पुलिस मुलभूत समस्याओं पर ध्यान नहीं दे पा रही है। थानों के प्रभारी इन तेज रफ़्तार वाहनों और ट्रैक्टरों पर कार्रवाई करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं। इस प्रकार के तेज रफ़्तार वाहन यमराज बनकर सड़कों पर दौड़ रहे हैं, लेकिन प्रशासन का मौन रवैया जनता की सुरक्षा के लिए खतरा बन गया है। आये दिन बस, टैम्पू, ट्रैक्टर से हो रहे दुर्घटना में लोगों की जान जा रही है, आखिर कब जागेगा प्रशासन और कब बंद होगा तेज रफ़्तार बस टैम्पू और ट्रैक्टरों का यह आतंक ?

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