शाहगंज में पुलिस पर सियासी दबाव का असर: ड्यूटी निभाने की ‘सज़ा’ बन गया तबादला

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सामान्य प्रक्रिया के तहत उनका हुआ स्थानांतरण: क्षेत्राधिकारी शाहगंज

तामीर हसन “सीबू”

जौनपुर। शाहगंज थाना क्षेत्र में पुलिस पर सियासी दबाव का असर एक बार फिर स्पष्ट रूप से सामने आया है। कर्तव्यनिष्ठ पुलिसकर्मियों के तबादले अब चर्चा का विषय बनते जा रहे हैं। बीते दिनों दुर्गा पूजा शोभायात्रा के दौरान डीजे को लेकर विवाद हुआ था, जिसे तत्कालीन कोतवाल दीपेंद्र सिंह ने सख़्ती से नियंत्रित किया था। परंतु उनके इस पेशेवर रवैये का नतीजा यह निकला कि कार्रवाई के मात्र दो दिन बाद ही उनका तबादला केराकत कोतवाली कर दिया गया।

अब एक बार फिर वैसा ही मामला इमरानगंज चौकी में सामने आया है। शनिवार शाम एक ऑटो और बुलेट के बीच मामूली टक्कर ने बड़ा रूप ले लिया। बताया जाता है कि बुलेट सवार दबंग युवक अर्पित श्रीवास्तव ने ऑटो चालक मनीष कुमार प्रजापति की सरेआम पिटाई कर दी।

घटना की जानकारी मिलते ही चौकी प्रभारी उपनिरीक्षक सैयद हसन रिज़वी हमराहियों के साथ मौके पर पहुँचे और बीचबचाव करते हुए आरोपी युवक को पकड़कर चौकी ले आए।

लेकिन इसके बाद हालात बिगड़ गए कुछ ही मिनटों में चौकी के बाहर भीड़ इकट्ठा हो गई। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, भीड़ में मौजूद कुछ लोगों ने उपनिरीक्षक के धर्म को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणियाँ तक कर दीं। मौके पर मौजूद पुलिसकर्मी पिछली घटनाओं के दबाव में चुप्पी साधे रहे।

पीड़ित ऑटो चालक मनीष प्रजापति ने मारपीट की तहरीर थाने में दी, लेकिन अब तक न तो आरोपियों पर मुकदमा दर्ज हुआ है और न ही शांति भंग की धाराओं में कोई कार्रवाई की गई है। इसके उलट, घटना के 24 घंटे के भीतर ही चौकी प्रभारी सैयद हसन रिज़वी का तबादला सिकरारा थाने में कर दिया गया।

स्थानीय लोगों में इस घटनाक्रम को लेकर तीखी नाराज़गी है। लोगों का कहना है कि शाहगंज में पुलिसकर्मी अब निष्पक्ष कार्रवाई के बजाय “ऊपर से दबाव” देखने को मजबूर हैं। सवाल यह भी उठ रहा है

क्या शाहगंज की पुलिस अब सत्ताधारी दल की इच्छा के अनुसार काम करने को विवश है?

क्या अब ड्यूटी निभाने की ‘सज़ा’ तबादला के रूप में दी जाएगी?

इस संबंध में क्षेत्राधिकारी शाहगंज अजीत सिंह ने बताया कि, उपनिरीक्षक सैयद हसन रिज़वी का तबादला इस घटना के कारण नहीं किया गया है। वह काफी समय से इस चौकी पर तैनात थे और सामान्य प्रक्रिया के तहत उनका स्थानांतरण किया गया है।”

हालाँकि, स्थानीय स्तर पर लोगों का मानना है कि तबादलों का समय और घटनाओं की कड़ी एक अलग कहानी बयान कर रही है।

फिलहाल, लगातार हो रहे तबादलों और कार्रवाई की कमी ने न केवल पुलिस की निष्पक्षता, बल्कि प्रशासनिक ईमानदारी और साख दोनों पर गंभीर प्रश्नचिह्न खड़े कर दिए हैं।

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