हिंदी दिवस: मातृभाषा के सम्मान का पर्व – डॉ. राज यादव

Share

जौनपुर।
14 सितंबर को हर वर्ष देशभर में हिंदी दिवस बड़े उत्साह और गर्व के साथ मनाया जाता है। यह दिन न सिर्फ हमारी राजभाषा हिंदी के महत्व को रेखांकित करता है, बल्कि हमें अपनी भाषायी पहचान, सांस्कृतिक विरासत और साहित्यिक परंपराओं के प्रति गौरव का अनुभव भी कराता है।

हिंदी केवल एक भाषा नहीं, बल्कि भारत की आत्मा है। यह देश की एकता, विविधता और सांस्कृतिक समृद्धि का प्रतीक है। आज जब विश्व वैश्विक संवाद की ओर बढ़ रहा है, तब हिंदी ने न केवल भारत में, बल्कि विश्वपटल पर भी अपनी विशिष्ट पहचान बनाई है।

डॉ. राज यादव का मानना है कि “हिंदी दिवस हमें हमारी भाषा के प्रति सम्मान और प्रेम को याद दिलाता है।” यह दिन हमें अपने कर्तव्यों की याद दिलाता है कि हम हिंदी भाषा के संवर्धन और प्रचार-प्रसार के लिए ईमानदारी से प्रयास करें।

हिंदी: साहित्य से लेकर समर्पण तक

हिंदी भाषा ने कबीर, तुलसी, प्रेमचंद, निराला जैसे अनेक साहित्यकारों को जन्म दिया है, जिन्होंने न केवल साहित्य को समृद्ध किया, बल्कि समाज को दिशा भी दी। यह भाषा हमारी सोच, अभिव्यक्ति और संवेदना की ताकत है।

आज आवश्यकता है कि हम हिंदी को केवल एक विषय या माध्यम न मानें, बल्कि उसे रोजमर्रा के जीवन, तकनीक, शिक्षा और शासन में सक्रिय रूप से अपनाएं।

हिंदी का वैश्विक प्रभाव

आज की डिजिटल दुनिया में हिंदी तेजी से वैश्विक मंच पर उभर रही है। सोशल मीडिया, यूट्यूब, ब्लॉगिंग और ऑनलाइन शिक्षा में हिंदी की भागीदारी निरंतर बढ़ रही है। यह इस बात का संकेत है कि हिंदी केवल देश की नहीं, बल्कि दुनिया की भाषा बनने की दिशा में अग्रसर है।

हिंदी दिवस: एक संकल्प

हिंदी दिवस महज एक तारीख नहीं, बल्कि एक संकल्प का दिन है। आइए, इस अवसर पर हम सब मिलकर यह प्रण लें कि –

हम हिंदी भाषा का सम्मान करेंगे।
हम हिंदी के प्रचार-प्रसार में सक्रिय भूमिका निभाएंगे।
हम आने वाली पीढ़ियों को भी इसकी गरिमा और गौरव से अवगत कराएंगे।

हिंदी हमारी पहचान है, हमारी शक्ति है और हमारे अस्तित्व की आधारशिला है। आइए, इसे गर्व के साथ अपनाएं और विश्वभर में इसकी रोशनी फैलाएं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!