जौनपुर। आज पूरे देश में भगवान श्रीकृष्ण का पावन जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया जा रहा है। द्वापर युग में योगेश्वर श्रीकृष्ण ने भारतभूमि पर अवतार लेकर अधर्म का नाश किया और धर्म की स्थापना की।
गीता का ज्ञान और सुदर्शन चक्र का पराक्रम:
भगवान श्रीकृष्ण ने एक ओर अर्जुन को श्रीमद्भगवद्गीता जैसा अमूल्य ग्रंथ प्रदान कर ज्ञान का दीप जलाया, तो दूसरी ओर सुदर्शन चक्र धारण कर यह संदेश दिया कि-
“जितना आवश्यक ज्ञान है, उतना ही आवश्यक शौर्य और पराक्रम भी।”
धर्म, समाज और राष्ट्र की रक्षा हेतु केवल वाणी नहीं, बल्कि साहस और शक्ति भी जरूरी है।
राम ने दिखाया मार्ग, कृष्ण ने सिखाया आचरण:
त्रेतायुग में मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम ने मानवता को सिखाया कि जीवन में कैसे जिया जाए। वहीं द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण ने यह बताया कि परिस्थितियों में कैसा आचरण किया जाए।
दोनों ही भगवान विष्णु के अवतार थे और दोनों का उद्देश्य था अधर्म का विनाश तथा धर्म की स्थापना।
इसीलिए कहा जाता है-
“जग में सुंदर हैं दो नाम, चाहे कृष्ण कहो या राम।”
64 कलाओं के स्वामी योगेश्वर:
64 कलाओं से विभूषित, मुरली की मधुर ध्वनि से मन मोहने वाले, ग्वाल-बालों के सखा और धर्मरक्षक श्रीकृष्ण की जयंती पर संपूर्ण देश भक्ति और उत्साह में सराबोर है।
जौनपुर से शुभकामनाएँ
इस पावन अवसर पर हम सभी देशवासियों को जन्माष्टमी की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ देते हैं।
🌺🙏 जय श्रीकृष्ण 🙏🌺
डॉ. दिलीप कुमार सिंह
श्रीमती पद्मा सिंह
जौनपुर।