संवाददाता – सक्तेशगढ़, चुनार (मिर्जापुर)
गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर पर सक्तेशगढ़, चुनार स्थित परमहंस आश्रम में श्रद्धालुओं का जनसैलाब उमड़ पड़ा। स्वामी अड़गड़ानंद महाराज के दर्शन हेतु दूर-दूर से आए लाखों भक्तों ने अपनी उपस्थिति से वातावरण को आध्यात्मिक ऊर्जा से सराबोर कर दिया।
इस अवसर पर पद्मकुंज फाउंडेशन के राष्ट्रीय संयोजक त्रिलोकी नाथ राय ‘महादेव’ अपने पूरे परिवार के साथ आश्रम पहुंचे और स्वामी जी का दर्शन कर गुरु चरणों में श्रद्धा निवेदित की। श्री राय ने बताया कि “सुबह से ही भक्तों की कतारें लगी रहीं। दर्शन के लिए जगह-जगह बैरिकेडिंग कर भीड़ को नियंत्रित किया गया।”
प्रशासन और स्वयंसेवक मुस्तैद
आश्रम परिसर और उसके आसपास के क्षेत्रों में भारी भीड़ को देखते हुए जिला प्रशासन ने पुख्ता सुरक्षा व्यवस्था की थी। पुलिस बल के साथ स्वास्थ्य सेवाएं, एम्बुलेंस, और दमकल वाहन भी तैनात किए गए थे। साथ ही, कई स्वयंसेवी संस्थाओं द्वारा स्वास्थ्य शिविर, गीता व अन्य धार्मिक साहित्य के स्टॉल लगाए गए, जिनका श्रद्धालुओं ने लाभ उठाया।
“गुरु का सान्निध्य ही जीवन का सबसे बड़ा वरदान” – राय
दर्शन के उपरांत श्री त्रिलोकी नाथ राय ‘महादेव’ ने कहा, “सद्गुरु का जीवन में होना ही एक अनुपम वरदान है। गुरु हमारे जीवन में आने वाली शंकाओं, कष्टों और बुराइयों का नाश करते हैं और अंतःकरण को निर्मल बनाते हैं। सद्गुरु ही हमें जीवन की दिशा दिखाते हैं।”
उन्होंने आगे कहा कि हमारे सनातन धर्म के ग्रंथों — रामायण, महाभारत, वेद, उपनिषद — सभी में गुरु की महिमा का गहन वर्णन है। गोस्वामी तुलसीदास की चौपाई “गुरु बिनु भव निधि तरइ न कोई” को उद्धृत करते हुए उन्होंने समझाया कि गुरु के बिना जीवन एक पतवारहीन नाव के समान है, जो कभी किनारे नहीं लग सकती।
भक्ति, प्रसाद और सेवा का अद्वितीय संगम
दर्शन के बाद श्रद्धालु भक्तों ने आश्रम द्वारा संचालित लंगर में प्रसाद ग्रहण किया और पूरे परिसर में “जय गुरु देव” के जयकारों की गूंज सुनाई दी। वातावरण में भक्ति, सेवा और श्रद्धा का अद्वितीय संगम देखने को मिला।
अंत में श्री राय अपने निजी वाहन से अपने गृह नगर गाजीपुर के लिए रवाना हुए।