उत्तराखंड सरकार की “गो ग्राम सेवक” पहल देश में लावारिस पशुओं की देखभाल और प्रबंधन के लिए साबित होगा एक वरदान
देहरादून (उत्तराखंड): 26 जून 2024
डॉ. गिरीश जयंतीलाल शाह, सदस्य भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड (एडब्ल्यूबीआई)मुंबई स्थित स्थित एक राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता एनजीओ-समस्त महाजन के प्रबंध न्यासी और पशु कल्याण सलाहकार समिति,भारत सरकार के सदस्य मितल खेतानी द्वारा समन्वित एक अध्ययन दल उत्तराखंड सरकार के पशुपालन विभाग के मुख्यालय देहरादून मैं पिछले चार दिनों से राज्य में किए गए पशु कल्याण प्रगति के सूचनाऑनओं को एकत्र कर रहा है ताकि पशुओं के प्रति क्रूरता की रोकथाम और पशु कल्याण गतिविधियों, विशेष रूप से लावारिस पशुओं और प्रबंधन तथा तत्संबंधी संचालित नीति की वर्तमान स्थिति के साथ-साथ इसके कार्यान्वयन के लिए स्थापित उत्तराखंड राज्य पशु कल्याण बोर्ड और गो सेवा आयोग की कार्य प्रणाली को जाना जा सके। इस संबंध में पशुपालन निदेशक डॉ. नीरज सिंघल ने बताया कि राज्य सरकार ने लावारिस पशुओं के प्रबंधन के लिए गौ ग्राम सेवक और उन्नत प्रजनन/स्वदेशी गाय नस्ल संरक्षण परियोजना जैसी कई पहल की गई हैं, जो राज्य में बेसहारा पशुओं की समस्या को कम करने और उनकी आबादी नियंत्रित करने के लिए प्रमुख हैं। उन्होंने आगे कहा कि ऐसे प्रयास को अन्य राज्यों में भी लागू किया जाना चाहिए।
अध्ययन दल का समन्वयंन डॉ. गिरीश जयंतीलाल शाह और मितल खेतानी द्वारा किया जा रहा है, जो देश में पशु कल्याण और गौशाला विकास पर जानकारी का अध्ययन/समीक्षा के साथ-साथ राज्यों द्वारा किए जा रहे कार्य का महत्वपूर्ण संग्रह किया जा रहा है। अध्ययन दल की ओर से बताया गया कि अब तक तीन राज्य – मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड का कार्य पूरा कर लिया गया है और अध्ययन दल अब हिमाचल प्रदेश जाने की तैयारी में है। इस अध्ययन और सूचना संकलन कार्य का उपयोग एनिमल वेलफेयर विजन पॉलिसी के लिए किया जाएगा, जिसे डॉ. गिरीश जयंतीलाल शाह और मितल खेतानी के माध्यम से भारत सरकार के भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड के माध्यम से पशु कल्याण नीति निर्माण और कार्यान्वयन के समक्ष रखा जाएगा ताकि एनिमल वेलफेयर की केंद्रीय नीति निर्धारण में सहायता मिल सके।
अध्ययन दल के एक सदस्य के अनुसार, “उत्तराखंड सरकार देश का एकमात्र ऐसा राज्य है जिसके पास पशु कल्याण बजट का विशेष प्रावधान किया गया है और वर्ष 2024 25 के लिए लगभग 38 करोड़ रूपया स्वीकृत किया गया है। यह बता दें कि उत्तराखंड राज्य एक ऐसा राज्य है जहां पशु कल्याण बोर्ड अत्यंत सक्रिय है और अच्छी तरह से काम कर रहा है। उत्तराखंड स्टेट एनिमल वेलफेयर बोर्ड ने अब तक कई उपलब्धियां हासिल की हैं, जिसकी कार्य प्रणाली को देश भर के सभी राज्यों को अपनाना चाहिए। ऐसे राज्यों को एक आदर्श संस्थान का दर्जा देकर भारत सरकार द्वारा उपयुक्त बजट दिया जाना चाहिए।” दल के सदस्य डॉ. आर.बी. चौधरी ने कहा कि उत्तराखंड सरकार की गो ग्राम सेवक योजना एक अधूतपूर्व प्रयास है जो लावारिस मवेशियों के भरण-पोषण के लिए शानदार एवं अनूठी स्कीम है। क्योंकि, सरकार उन सभी पशु प्रेमियों को 80 रुपये प्रति पशु (पांच पशुओं के लिए) की दर से वित्तीय सहायता दे रही है, जो बिना गौशाला और बिना बुनियादी ढांचे वाले गांव में गायों और उनके बछड़ों को खिलाना चाहते हैं। डॉक्टर चौधरी ने राज्य सरकार के इस स्कीम के बारे में बताते हुए आगे कहा कि यदि एसडीएम और पटवारी नियमानुसार इच्छुक पशु प्रेमी के नाम की सिफारिश करते हैं तो वह इस स्कीम से जुड़ सकते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि उत्तराखंड के कलसी स्थित राज्य सरकार के द्वारा संचालित देशी नस्ल की गाय संरक्षण कार्यक्रम के तहत सिर्फ बछड़ी के उत्पादन के लिए सराहनीय गोवंशीय नस्ल संरक्षण कार्य किया कर रहा है, जिससे छुट्टा पशुओं की समस्या का समाधान भारी मदद मिलेगी और सड़कों पर लावारिस गोवंश नहीं घूमेगा।
टीम के एक अन्य सदस्य ने कहा, “राज्य सरकार की गौशाला विकास पहल शानदार है, क्योंकि सरकार गौशाला संगठनों को उचित भरण पोषण धनराशि उपलब्ध कराई जा रही है जिसमें प्रति पशु 80 रुपये प्रतिदिन की दर से गौशालाओं को अनुदान दिया जा रहा है, जो वर्तमान में देश में सबसे अधिक धनराशि है और केंद्र सरकार के अधीन कार्यरत नीति आयोग की सिफारिशों के अनुसार ₹100 प्रतिदिन से अधिक रख-रखाव अनुदान सहायता बढ़ाने पर विचार कर रही है।” उन्होंने कहा कि सरकार को उत्तराखंड राज्य पशु कल्याण बोर्ड का एक सुव्यवस्थित एवं विकसित कार्यालय की स्थापना की गई है जिसे पशुपालन निदेशालय के परिसर में स्थापित किया गया है। स्मरण रहे कि देश में ऐसा कोई कार्यालय कार्यरत नहीं है जहां स्टेट बोर्ड कार्यरत है। टीम के सदस्य डॉ. आरबी चौधरी ने कहा कि रेस्क्यू सेवा का इंतजार कर रहे पशुओं को बचाने अर्थात जीवन-मौत से संघर्ष कर रहे पशुओं की रक्षा के लिए प्रत्येक गांव और पंचायत में पशु एम्बुलेंस उपलब्ध कराकर बेसहारा घूम रहे पशुओं की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली विकसित करने की बहुत बड़ी जरूरत है।
उन्होंने बताया कि अध्ययन दल के समन्वयकों द्वारा ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में एक बेसहारा पशुओं की स्वास्थ्य सेवा हेतु पशु अस्पताल खोलने का राज्य सरकार तथा केंद्र सरकार से निरंतर अनुरोध किया जा रहा है। अध्ययन दल उत्तराखंड राज्य सरकार द्वारा किए जा रहे पशु कल्याण कार्यों से बहुत प्रेरित और प्रभावित है। क्योंकि,उत्तराखंड राज्य सरकार सभी जिलों में एसपीसीए प्रणाली क्रियाशील विकसित कर पशु अपराध नियंत्रण की गतिविधियां संचालित कर रहा है। इस संबंध में अभी हाल ही में एक परिपत्र जारी कर काम करने वाले पशुओं को गर्मी और तापमान से बचाने के लिए पानी, भोजन और आराम उपलब्ध कराने के लिए कहा है और शीघ्र ही समस्त महाजन के सहयोग से गौशाला प्रतिनिधियों के लिए एक प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करने की योजना है।
अध्ययन दल ने गौशाला विकास पर उत्तराखंड के विभिन्न अधिकारियों और हस्तियों से चर्चा की जिनमें पतंजलि के आचार्य बालकृष्ण, पशुपालन निदेशक डॉ. नीरज सिंघल, उत्तराखंड गौ सेवा आयोग के अध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल, उत्तराखंड के पूर्व मुख्य सचिव और भारतीय पशु कल्याण बोर्ड के पहले आईएएस सचिव एन रविशंकर, पूर्व वरिष्ठ आईएएस अधिकारी/सेवानिवृत्त केंद्रीय सचिव और भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड के सदस्य राजीव गुप्ता भी शामिल हैं। इस अध्ययन के दौरान उत्तराखंड स्टेट एनिमल वेलफेयर बोर्ड के सीईओ डॉ. अशोक कुमार, उत्तराखंड पशुधन विकास बोर्ड के संस्थापक सीईओ और प्रसिद्ध पशु प्रजनन/नस्ल संरक्षण वैज्ञानिक डॉ. कमल सिंह, उत्तराखंड स्टेट एनिमल वेलफेयर बोर्ड के संस्थापक सीईओ डॉ. आशुतोष जोशी के भी अनुभव को एकत्र किया गया है।