दो दशक बाद भी उपेक्षा का शिकार सीतामढ़ी का सरस मार्केट

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भवन खंडहर में तब्दील, संभावनाओं पर धूल जमाई

संवाददाता धनंजय राय, पूर्वांचल लाईफ

भदोही। पौराणिक और पर्यटन दृष्टि से विख्यात सीतामढ़ी में लगभग 20 वर्ष पूर्व बड़ी उम्मीदों के साथ सरस मार्केट का निर्माण कराया गया था। आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित इस मार्केट से स्थानीय लोगों को व्यवस्थित खरीदारी की सुविधा और व्यापारियों को स्थायी व्यवसायिक केंद्र मिलने की संभावना जताई गई थी।

लेकिन दो दशक गुजर जाने के बाद भी यह सपना साकार नहीं हो पाया। शुरुआत में कुछ दुकानदारों ने यहां कारोबार शुरू करने की कोशिश की, मगर दुकान आवंटन में लापरवाही और व्यवस्थागत खामियों के चलते धीरे-धीरे सभी व्यापारियों ने कदम पीछे खींच लिए। नतीजा यह हुआ कि कभी सीतामढ़ी के विकास का प्रतीक बनने के लिए तैयार यह मार्केट आज वीरान और जर्जर भवन में तब्दील हो चुका है।

मार्केट परिसर में उगी झाड़ियां और खाली पड़ी दुकानें इसकी दुर्दशा की गवाही दे रही हैं। स्थानीय निवासियों का कहना है कि यदि प्रशासन समय रहते इसकी देखरेख करता और प्रचार-प्रसार पर ध्यान देता, तो यह मार्केट क्षेत्र का प्रमुख व्यापारिक केंद्र बन सकता था।

सीतामढ़ी रोज़ाना बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं और पर्यटकों की आवाजाही का गवाह है। माता सीता से जुड़े धार्मिक स्थलों की वजह से यहां पर्यटन की भरपूर संभावनाएं हैं। ऐसे में सरस मार्केट का पुनर्जीवन न केवल व्यापार को गति देगा बल्कि क्षेत्र की आर्थिक और सांस्कृतिक पहचान को भी मजबूत करेगा।

क्षेत्रवासियों ने प्रशासन से मांग की है कि इस पर गंभीरता से पहल की जाए। यदि नए सिरे से दुकानों का आवंटन कर व्यापारिक गतिविधियां शुरू कराई जाएं और पर्यटकों के लिए विशेष सुविधाएं विकसित की जाएं, तो सीतामढ़ी का सरस मार्केट फिर से अपनी खोई हुई पहचान हासिल कर सकता है।

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