पूर्वांचल लाईफ/पंकज सीबी मिश्रा
यूपी! उधर सवा लाख से अधिक सैलरी उठाने वालो को उम्मीद थी कि आठवें वेतन आयोग में मामला डेढ़ लाख तक पहुंच जायेगा,और यदि मियां बीबी दोनों ही नौकरी मे हैं तो यही कोई तीन सवा तीन लाख का हिसाब किताब बैठेगा फिर बनारस में जमीन लेंगे, मकान बनवाएंगे ट्रांसफर लेंगे और अपने बच्चे को डीपीएस और सनबीम में पढ़ाएंगे बाकी की लाईफ मौजा ही मौजा पर माननीय जेज साहेब को पूरे प्लान की भनक लग गईं। कोई रास्ता देई ना प्रभु! ऐसा कोई जुगाड़ भी दो प्रभु जो लखनऊ सचिवालय से निकले तत्काल माननीय जेज साहेब के कानो में पड़े और नेता जी के लिए भी कोई योग्यता परीक्षा रखवा दें जेज साहब फिर आये मजा! हे मायापति, ताकि वो नेतागण भी सड़को पर उतरें, संविधान जलाये, पन्ना फाड़े, मेज पीटे तो हम शिक्षक गण भी उनके दुःख में शामिल हो जाए। इंद्रदेब ने कुछ मामला सुना और कहा कि सभी शिक्षक एकजुट होकर सरकार से विभागीय टेट करवाने की मांग करें तभी अपनी नौकरी बचाये रख सकेंगे क्यूंकि तब धाधली के चाँस बनेंगे बाकी राज्य सरकार करवाएगी तो उसमें जुगाड़ बैठाने के लिए साल्वर, मोटी रकम इत्यादि की जरूरत पड़ेगी जिसमें थोड़ा रिस्क है। बाकी आदेश का अक्षरशः पालन यदि कड़ाई से सरकारों ने कर दिया तो बहुत बड़ा भूचाल आ जायेगा । राहत इंदौरी साहब का एक शेर है कि तूफ़ाँ आएगा तो जद में आएंगे सभी, पूरे बियाबॉ में सिर्फ मेरा मकान थोड़े है….
जी हां ! ये भारत की ही न्याय व्यवस्था है जिसने वर्ष 2011 के टीईटी पास युवाओं को बड़ी संख्या में बेरोजगार बनाया, फिर लाखों शिक्षा मित्रों को उठा के पटका, बचे थे बीएड वाले आखिर उन्हें कैसे बक्श देते तो उनके लिए भी प्राथमिक शिक्षा में एंट्री बंद कर दी। इतने में भी न्याय प्रणाली और माननीय जेज साहेब की कुदृष्टि शांत नहीं हुई और अब हत्थे चढ़े वो निरीह, निर्बल, निश्चिंत जीव जिन्हें प्राथमिक शिक्षक कहा जाता है। जो परिषदीय स्कूलों के प्राण हरने वाले यमदूत कहे जाए तो अतिश्योक्ति नहीं होगी क्यूंकि संपूर्ण आनंद से डिग्री लेकर पूर्ण आंनद करते हुए मात्र सवा लाख की मामूली वेतन पर पांच दस छात्रों का बोझ उठाने वाले गुरु जी। जो कभी मिड डे मिल खाते तो कभी मिड डे मिल का पैसा खाते बदनाम हुए अब घुटनों के बल बैठ कर इंद्रदेब की तरफ देख रहे और भगवान विष्णु से पूछ रहे कि हे मायापति! क्या राहत का रास्ता इंदौर की तरफ जाता है, या केवल गोभी के फूल को बड़ा करके उसमें खुसबू नहीं दी तो आप पर भी केस बनता है! शॉकिंग हो चलें गुरु जी जिनमें कंपोजिट ग्रांट को खर्च करने वाला गुणा गणित का दिमाग अब टेट की तैयारी मे मुश्किल से ही लग पायेगा। आखिर मरता तो क्या न करता वाली बात….अब गुरु जी के रकम के हिसाब से 24 लाख पर एनम की आमदनी सुनिश्चित होती इससे पहले ही अनैछिक सेवानिवृति की तलवार देख गुरु जी सदमे में है। कोई एक अंगूठा काट विकलांग कोटे से नौकरी हथियाए बैठा था कोई अपने पियल्ले बाप के कारण कुर्सी तोड़ रहा था अब ऐसे में इन्हे टेट की रेस में लगा देने का मास्टर स्ट्रोक क्या कुछ भूचाल लाएगा! पांच वर्ष में विदा लेने वाले पुराने शिक्षकों को 5 सितम्बर को आयोजित होने वाले शिक्षक दिवस का विशेष तोहफा देते हुए 5 वर्ष तक नौकरी उन्हें करते रहने का टीचर्स डे बोनांजा ऑफर दिया गया है। जिनकी सेवानिवृत्ति मे मात्र पांच वर्ष या उससे कम समय बचा है उन्हें वेतन आयोग का वेट नहीं करना होगा। उनकी हैप्पी एंडिंग है मतलब गुरु जी मिड डे मिल का पूरा सुख लेकर बिना टेट मायाजाल में फंसे खेला से बाहर हो जाएंगे। आपको समझाते है कि नमक स्वादानुसार और पंगा औकातानुसार लेना चाहिए लेकिन प्राथमिक वाले गुरु जी नहीं माने हर रिट, हर मुकदमा, हर पैरवी और हर आदेश को अपने संगठन का किया धरा बता कर वाहवाही लेने वाले आज अपने रायते को यह कहकर समेट रहे हैं कि मेरी तो सिर्फ दही थी,मट्ठा तो कोई और बनाया ! प्रमोशन मे टेट की अनिवार्यता को लेकर कुछ रिकी पोंटिंग टाईप के गुरु जी अपनी फील्डिंग सजाए ही बैठे थे कि सजा वाला आदेश आ गया तो सब मजा किरकिरा हो गया और अब बजा बजा कर बताते घूम रहे कि मैने नहीं कराया,मैने नहीं कराया ! इतना तगड़ा आदेश,इतनी सख्त मेंशनिंग ने देश भर के बेसिक शिक्षा विभाग मे हड़कंप मचा दिया है , अंदाज़ा है कि इस आदेश के अनुपालन मे अकेले उत्तर प्रदेश से ही लगभग ढाई लाख शिक्षक मात्र दो वर्षों मे अपनी नौकरी से हाथ धो लेंगे !