“प्राकृतिक खेती ही भविष्य की राह: सुल्तानपुर में कृषक संगोष्ठी में गूंजा संदेश”

Share

प्राकृतिक खेती ही समाधान: सहकारिता वर्ष पर सुल्तानपुर में हुई कृषक संगोष्ठी

सुल्तानपुर।
धनपतगंज विकासखंड के लक्ष्मी नारायण शुक्ल महाविद्यालय, खारा चंदौर में अंतरराष्ट्रीय सहकारिता वर्ष के उपलक्ष्य में एक महत्वपूर्ण कृषक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम नाबार्ड सुल्तानपुर के सौजन्य से एवं ओंकार सेवा संस्थान के संयोजन में संपन्न हुआ, जिसका उद्देश्य किसानों को प्राकृतिक खेती, सौर ऊर्जा और नवीनतम कृषि तकनीकों के प्रति जागरूक करना था।

मुख्य वक्ता डॉ. गौरव पांडे, पशु चिकित्सा वैज्ञानिक (कृषि विज्ञान केंद्र, कुमारगंज, अयोध्या) ने पशुपालन के आधुनिक तरीकों जैसे – आहार, आवास एवं स्वास्थ्य प्रबंधन की विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने खुरपका, मुंहपका, गलघोंटू जैसी बीमारियों से बचाव के उपाय भी बताए।

डॉ. हिमांशु शेखर सिंह, फसल सुरक्षा वैज्ञानिक ने किसानों से प्राकृतिक खेती को अपनाने की अपील करते हुए कहा कि रासायनिक खादों के अत्यधिक उपयोग से भूमि की उर्वरता घटती जा रही है। उन्होंने जीवामृत, घन जीवामृत और दसपर्णी अर्क जैसे जैविक समाधानों की विधि और उपयोग पर विस्तार से प्रकाश डाला।

कार्यक्रम में उपस्थित नाबार्ड सुल्तानपुर एवं अमेठी के डीडीएम अभिनव द्विवेदी ने बताया कि वर्ष 2025 को संयुक्त राष्ट्र द्वारा अंतरराष्ट्रीय सहकारिता वर्ष घोषित किया गया है। इसका उद्देश्य सहकारी समितियों के लिए मजबूत नीतिगत वातावरण बनाना और उन्हें पेट्रोल पंप, शॉपिंग मॉल, जन औषधि केंद्र, जन सुविधा केंद्र जैसे व्यावसायिक अवसर प्रदान करना है। उन्होंने बताया कि भारत में सहकारिता मंत्रालय की अगुवाई में देशभर की 3 लाख से अधिक सहकारी समितियों को सशक्त करने का कार्य किया जा रहा है।

संगोष्ठी में उरुवा वैश्य समिति के सचिव राकेश मिश्रा, घूरेहटा समिति के सचिव अरविंद सिंह, अच्छोंरा समिति के सचिव विनोद सिंह, डॉ. शिव शंकर सिंह, आद्या प्रसाद सिंह सहित कई वक्ताओं ने सहकारिता एवं कृषि विकास पर अपने विचार रखे।

आभार प्रदर्शन सूर्य कुमार त्रिपाठी ने किया।
कार्यक्रम में क्षेत्र के सैकड़ों महिला-पुरुष प्रगतिशील किसान शामिल हुए, जिनमें प्रमुख रूप से राम मणि शुक्ला, राजेंद्र कुमार पाठक, प्रभात कुमार शुक्ला, अमित उर्फ बबलू शुक्ला, अनिल कुमार, सूर्यभान सिंह, अखिलेश पांडे, सूबेदार पांडे, मोती पाल, रविंद्र यादव, लल्लन विश्वकर्मा, राम शिरोमणि शुक्ला, शेष मणि शुक्ला, चंद्रप्रकाश और आरती तिवारी आदि का उल्लेखनीय योगदान रहा।

यह आयोजन किसानों में सहकारिता एवं जैविक खेती की चेतना को सशक्त बनाने की दिशा में एक सराहनीय पहल साबित हुआ।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!