देवी-देवताओं की भेषभूषा में मंचीय नृत्य: सनातन संस्कृति पर प्रहार – तरुण कुमार शुक्ल

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अंतर्राष्ट्रीय हिंदू परिषद के काशी प्रांत के प्रांत महामंत्री तरुण कुमार शुक्ल ने देवी-देवताओं की भेषभूषा में मंचीय नृत्य कराने को सनातन धर्म और संस्कृति पर गंभीर प्रहार बताते हुए इसके विरोध में अपनी आवाज़ बुलंद की है। उन्होंने इसे सनातन आस्था और परंपराओं के विरुद्ध बताते हुए समाज के प्रबुद्ध वर्ग और शासन-प्रशासन से इसे तत्काल प्रभाव से रोकने की अपील की है।

तरुण कुमार शुक्ल ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि आजकल समाज में मनोरंजन और आजीविका के साधनों के नाम पर डांसिंग स्कूल और डांस एकेडमियों के माध्यम से देवी-देवताओं की वेशभूषा में कलाकारों से नृत्य करवाया जा रहा है। यह प्रवृत्ति न केवल सनातन धर्म के सिद्धांतों के खिलाफ है, बल्कि हमारी सांस्कृतिक जड़ों को भी कमजोर कर रही है।

उन्होंने कहा, “देवी-देवताओं का स्थान मठ, मंदिर, पूजा स्थल और घर की पूजा तक ही सीमित होना चाहिए। उन्हें मंचीय प्रदर्शन और मनोरंजन के लिए प्रयोग करना सनातन धर्म की आस्था और परंपराओं का अपमान है। देवी-देवताओं का प्रयोग केवल पूजा और आराधना के लिए होना चाहिए, न कि व्यावसायिक लाभ के लिए।”

समाज से जागरूकता और सरकार से कार्रवाई की अपील

तरुण कुमार शुक्ल ने समाज के प्रबुद्ध वर्ग से अपील की कि वे लोगों को समझा-बुझाकर इस तरह के कृत्य पर रोक लगाएं। उन्होंने कहा कि मनोरंजन के लिए अनेकों साधन उपलब्ध हैं, जिनका उपयोग किया जा सकता है, लेकिन देवी-देवताओं का रूप धारण कर मंचीय प्रदर्शन करना पूरी तरह अनुचित है।

उन्होंने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री से भी निवेदन किया है कि इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार करें और ऐसी गतिविधियों पर रोक लगाने के लिए कड़े कदम उठाएं। उन्होंने सरकार से अनुरोध किया कि वह यह सुनिश्चित करे कि सनातन धर्म और संस्कृति का किसी भी प्रकार से अनादर न हो।

सनातन संस्कृति की रक्षा के लिए सामूहिक प्रयास आवश्यक

प्रांत महामंत्री ने कहा कि सनातन धर्म केवल आस्था का विषय नहीं, बल्कि हमारी पहचान और विरासत है। इसका संरक्षण और सम्मान करना हर व्यक्ति का कर्तव्य है। समाज को चाहिए कि वह इस दिशा में अपनी भूमिका निभाए और ऐसी गतिविधियों को हतोत्साहित करे जो हमारी परंपराओं और आस्थाओं को ठेस पहुंचाती हैं।

तरुण कुमार शुक्ल के इस बयान के बाद समाज के विभिन्न वर्गों में चर्चा का माहौल है। लोग इस विषय पर अपनी राय व्यक्त कर रहे हैं, वहीं धार्मिक संगठनों ने भी इस पर अपनी सहमति जताई है।

सनातन धर्म की रक्षा और सम्मान के लिए यह विषय अब केवल चर्चा का नहीं, बल्कि ठोस कार्रवाई का केंद्र बन गया है।

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