मुद्दा: फिर बढ़ जाएगी टोल राशि, पहले ही नए वाहनों पर होती है दस प्रतिशत रोड टैक्स वसूली

Share

पंकज सीबी मिश्रा/पूर्वांचल लाईफ
जौनपुर , अजीब विडंबना है सरकारों के तरफ से टैक्स पेयर, आम जनता और ग्राहकों को चुना लगाने के नए – नए तरीके ईजाद किए जाते रहे है। कभी बाजार के वस्तुओं पर जीएसटी लगाकर, दरों को बढ़ाकर कभी खाद और बीज के दामों को बढ़ाकर, कभी नहर टैक्स तो अब इन दिनों बेतहासा टोल वसूली का नया शिगूफा चल पड़ा है। आपको बता दें कि यूपी में आस – पास के जिलों में कई जगह टोल खोल कर वसूली की जा रही जिसे पहली अप्रैल से और महंगा किया जाएगा जबकि हम जब भी निजी वाहन लेते है तो हमसे वाहन मूल्य के लागत के अनुसार रोड टैक्स ले लिया जाता है फिर उसी रोड पर चलने के लिए अलग से टोल वसूली एक तरह से वसूली अभियान का हिस्सा है जिसमे निजी वाहन मालिकों का शोषण होता है। लखनऊ, वाराणसी, पूर्वांचल के अन्य जिलों समेत यूपी के टोल प्लाजा की दरें पहली अप्रैल से महंगी हो जाएंगी। एनएचएआई ने 2025-26 के लिए टोल की नई दरों का नोटिफिकेशन जारी कर दिया है। टोल की बढ़ी दरें 31 मार्च की रात 12 बजे से लागू होंगी। इसका असर वाराणसी, गाजीपुर, मिर्जापुर, लखनऊ, नवाबगंज, बाराबंकी, सुलतानपुर, अयोध्या, रायबरेली रूट से गुजरने वाले वाहनों पर पड़ेगा। इन प्लाजा से रोज औसतन 10 लाख छोटे बड़े वाहन गुजरते हैं। टोल दरें पांच से दस रुपये तक बढ़ाई गई हैं। मासिक पास की दरें बढ़ी हैं। सूत्रों के हवाले से एनएचएआई के परियोजना निदेशक सौरभ चौरसिया ने बताया कि हर साल टोल के दरों में बदलाव किया जाता है। 31 मार्च की रात 12 बजे से लखनऊ परिक्षेत्र के उन्नाव के नवाबगंज, बाराबंकी के अहमदपुर, बारा, शाहबपुर, अयोध्या के रौनाही, लखनऊ के दखिना, बहराइच के आनी, गुलालपुरवा, दुलारपुर, बलरामपुर के बड़ागांव, सुल्तानपुर के असरोगा टोल पर नई दरों से भुगतान करना होगा। जनहित की लड़ाई लड़ने वाले वकील और अन्य विभाग वाले भी ऐसे वसूली का विरोध नही करते। कोर्ट तक ऐसे वसूली का संज्ञान नहीं लेता जबकि सबसे अधिक विवाद और हाथापाई इन्ही टोल टैक्स पर होता है। आए दिन वाहन मालिकों और टोल कर्मियों के बीच विवाद की खबरें निकल कर आती है। टोल वसूली के खिलाफ कोई मुहिम न खड़ा होने से अब ऐसे वसूली में भी दरें बढ़ने लगी है मतलब आने वाले समय में यह भी तेल कीमतों की तरह अबकी बार पांच सौ पार करके ही मानेगा। बेवजह की जीएसटी नियमों और वसूली ने आम जनता का दिवाला निकाल दिया था जिसमें दुकानदारों को लगने वाला जीएसटी सीधे ग्राहकों के जेब पर आ धमका। सरकार ने उद्यमियों से वसूली का नया तरीका निकाला था जिसके बाद उद्यमियों ने सेर पर सवासेर बनते हुए सरकार को उत्पादों पर जीएसटी देने के बाद उससे ज्यादा जीएसटी वही उत्पाद ग्राहकों को बेचने के बाद वसूलने लगी और इस पूरी प्रक्रिया में फंसा कौन केवल आम जनता, गरीब तबका अर्थात ग्राहक। इसलिए अब लोग सरकार से पूछ रहे की ऐसे अवैध वसूली वाले हथकंडे बंद होंगे की 2024 लोकसभा चुनाव की तरह 2027 विधानसभा में भी अबकी बार महंगाई की मार वाला पैंतरा आजमा कर वोट और सीट विपक्ष के खाते में ट्रांसफर कर दिया जाए। वैसे भी कच्चे तेल के कीमतों में काफी उतार के बाद भारत ने पेट्रो पदार्थ कीमतों में कई वर्षो से कोई कमी नहीं की गई जिसे लेकर जनता सरकार के प्रति आक्रोशित है और खाद्य तेल, पेट्रो पदार्थ, मोबाइल रिचार्ज इत्यादि को लेकर एक बड़ा तबका बीजेपी सरकार से अपना मोहभंग करती दिख रही।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!