गुड़हल और गुलाब…..

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गुड़हल की डाल से….!
एक पत्ता क्या झड़ा…..
बगल से…बे-अदब,बे-सऊर गुलाब..
सीना तानकर…हो गया खड़ा…
कनखी आँखों से उसको तड़ा..और..
बोलने लगा…जुबान बेहद कड़ा….
इठलाता था तू…गुमान था तुझे…
खुद की बुलन्दी पर बड़ा….
देख तेरा ही अंश…धरती पर है पड़ा
दिन अब वह दूर नहीं….!
जब तू भी…मिलेगा मिट्टी में सड़ा…
ताउम्र जो…पट्टीदार होकर लड़ा…!
बदगुमान कह गुलाब को,
दिया जवाब खरा-खरा….
सुन बे गुलाब…जहाँ तू है गड़ा…
मैं भी…वहीं हूँ…अब भी गड़ा…
ग़र आबाद है तेरा धड़ा…तो…
देख मुझको मैं भी ताव से हूँ खड़ा
ग़र रंग तेरा है हरा….रंग मेरा भी हरा
पर गौर कर और सोच तू…!
कद और हद…दोनों में….
मैं हूँ….तुझसे बेहद बड़ा…
तू प्यार के काबिल नहीं,
छूने पर तू झट से झड़ा…
इधर देख तू…छूने से किसी के…!
में तो…कभी भी नही झड़ा…
नाज़ुक और कोमल हूँ मैं…और….
तुझमें तो काँटे का भी है लफड़ा….
कहूँ और क्या-क्या मैं…
तुम तो खाते हो खाद-गोबर,
दुनिया भर का सड़ा-सड़ा….
घोषित जो हो गए हो अभिजात…
दिखाते हो लोगों पर रौब-दाब….
कुदरत की देन है जो….!
जन्मजात हो गए हो नवाब…और…
अकारण ही मग़रूर होकर….!
देखते हो…ऊँचे-ऊँचे से ख्वाब…
बिन बात की तेरी नफासत,
बन गई है…और फूलों की आफ़त….
अन्तिम बार…. हाँ अन्तिम बार ही…
दे रहा हूँ तुझको नसीहत….!
मान जा…अब भी समय है…वरना…
मानहानि की…कराऊँगा रपट…
अगले पल ही भूल जाओगे….
तुम…अपने सब छल कपट…
तुम व्यर्थ की लड़ाई लड़ रहे हो….
बड़ा होने की शान में….जबकि…
पगले….मैं तो ख़ुद ही मानता हूँ ….!
तेरा जलवा है…इस ज़हान में……
तू बसता है सबके दिल-ओ-जान में..
हर प्रेमी दिलों के अरमान में….साथ ही…
हुक्मरानों के फ़रमान में….
पर प्यारे….है यह भी सही कि….!
किसी गरीब से…आज तक…
तेरा कभी पाला भी नहीं पड़ा….
किसी अमीर ने भी तुझे,
आज तक थप्पड़ नहीं जड़ा….
बस मात्र एक संयोग है कि….
इस कदर भरा है तेरे भाग्य का घड़ा
अब देख मेरी ओर ज़रा गौर से….
जब किसी…गरीब के हाथ में पड़ा…
सौभाग्य प्रबल रहा इतना मेरा….!
किसी देवि के…चरण में ही चढ़ा…
जो किसी अमीर के घर कभी गया…
सच कहूँ….शान से….
किसी सुन्दरी की वेणी में गया जड़ा
इसलिए प्यारे गुलाब….!
स्वयं को सुधार लो,
करतब कुछ करो बड़ा….
मत कुछ उल-जुलूल बड़बड़ा…
हर पल बोल मीठे बोलकर,
भर लो अपने पुण्य का घड़ा…क्योंकि…!
ये दुनिया बहुत बड़ी है प्यारे….
न कोई छोटा यहाँ….न कोई बड़ा….
न कोई छोटा यहाँ….न कोई बड़ा….

रचनाकार…..
जितेन्द्र कुमार दुबे
अपर पुलिस उपायुक्त, लखनऊ

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