पूर्वांचल लाईफ/पंकज कुमार मिश्रा
जौनपुर ! यूपी स्पेशल टास्क फ़ोर्स का गठन 4 मई 1998 को हुआ था। यह यूपी पुलिस का ही एक आनुसंगिक संगठन है। एसटीएफ गठन से लेकर अब तक खासी चर्चा में रहीं है। यूपी एसटीएफ को वीरता के लिए भारत के राष्ट्रपति से 81 पुलिस पदक और विशिष्ट वीरता के लिए एसटीएफ के 60 अधिकारियों को आउट-ऑफ-टर्न पदोन्नति दी गई है। गठन से आज तक यह फ़ोर्स अपराधियों का काल बनती रहीं है। उत्तर प्रदेश एसटीएफ शनिवार 4 मई को अपनें स्थापना की 26वीं वर्षगांठ मना रही है। आतंक के खात्मे के लिये गठित इस पुलिस बल की कमान इस समय देश के जाबांज आईपीएस अफसर अमिताभ यश के हाथों में हैं। यूपी एसटीएफ का नाम आपने भी जरूरी सुना होगा। यह नाम आज यूपी में ही नहीं बल्कि देश भर में चर्चित हो चुका है। बड़े-बड़े अपराधी इस नाम को सुनते की दहशत में आ जाते हैं। एसटीएफ का गठन 4 मई, 1998 को लखनऊ में तब किया गया था जब मुलायम के सरकार से कल्याण सिंह सरकार तक यूपी में माफियायों का बोलबाला था एसटीएफ का सामान्य काम अपराधियों को पकड़ना और अपराधों को कंट्रोल करना है। यूपी पुलिस का सक्रिय संगठन एसटीएफ पहले माफिया गिरोहों के बारे में जानकारी इकट्ठा करती है और उसके आधार पर इन गिरोहों के खिलाफ सूचना-आधारित कार्रवाई करती है। कार्यवाही के तहत डीजी द्वारा नामित यूनिट एक स्पेशल एक्शन प्लान तैयार करती है और जिला पुलिस के समन्वय से इसे लागू करती है। एसटीएफ पुलिस बल द्वारा डकैतों के गिरोह विशेषकर इंटर स्टेट गिरोहों एवं संगठित अपराधियों के इंटर स्टेट गिरोहों के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई की जाती है। एसटीएफ टीम का नेतृत्व राज्य के एक अतिरिक्त महानिदेशक (एडीजी) रैंक के अधिकारी करते हैं, जिनकी सहायता एक पुलिस महानिरीक्षक (आईजी) करते हैं। वर्तमान में, यूपी एसटीएफ की 8 एसटीएफ यूनिट क्रमशः गौतम बुद्ध नगर (नोएडा), मेरठ, आगरा, बरेली, प्रयागराज, वाराणसी, गोरखपुर और कानपुर में हैं। कहा जाता है कि यूपी में स्पेशल टास्क फोर्स का गठन करने का विचार कु्ख्यात माफिया श्रीप्रकाश शुक्ला पर शिकंजा कसने के लिए आया था। दरअसल माफिया श्रीप्रकाश शुक्ला यूपी में पुलिस के लिए सिरदर्द बन चुके थे। एसटीएफ का नेतृत्व अतिरिक्त महानिदेशक रैंक का अधिकारी करता है, जिसकी सहायता के लिए एक पुलिस महानिरीक्षक होता है। एसटीएफ कई टीमों के रूप में काम करता है, प्रत्येक टीम का नेतृत्व डिप्टी एसपी के अतिरिक्त एसपी करते हैं। सामान्यतया एसटीएफ के द्वारा संचालित सभी कार्यों के प्रभारी एसएसपी होते हैं। कोई बड़ा एनकाउंटर हो या फिर अपराध या अपराधी दहशत, खौफ और हर जटिल अपराध की पहेली को सुलझाने का यूपी पुलिस का रास्ता यूपी एसटीएफ से होकर ही निकलता है। 4 मई 1998 को राज्य में आतंक और अपराध के खात्मे के लिये गठित इस विशेष पुलिस बल की कमान पिछले कुछ सालों से देश के चर्चित और जांबाज आईपीएस अफसर अमिताभ यश के हाथों में है।1996 बैच के आईपीएस अफसर और फिलहाल एसटीएफ के चीफ अमिताभ यश इससे पहले यूपी-एमपी समेत कई राज्यों में दहशत का पर्याय रहे डाकू शिव कुमार पटेल उर्फ ददुआ समेत कई कुख्यात अपराधियों को ठिकाने लगा चुके है। एसटीएफ ने साल 2020 में यूपी के कानपुर में गैंगस्टर विकास दुबे का एनकाउंटर करने के बाद सोशल मीडिया पर खूब सुर्खियां बटोरी थी। फिलहाल एसटीएफ हाल ही में हुए यूपी सिपाही भर्ती मामले में पेपर लीक करने वाले गिरोह को पकड़ने में लागी है। कई सफलताओं के बाद यह उम्मीद की जा रहीं की सिपाही भर्ती परीक्षा के पेपर को लीक करने वाले मास्टर माइंड सरगनाओं को एसटीएफ जल्द ही कटघरे में खड़ा कर जेल भेजेगी। उत्तर प्रदेश पुलिस की सिपाही भर्ती परीक्षा पेपर लीक मामले में मुख्य आरोपी को एसटीएफ द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया था। यूपी एसटीएफ की नोएडा यूनिट ने पेपर लीक मामले के मुख्य आरोपी राजीव नयन मिश्रा को गिरफ्तार किया। बताया जा रहा है कि राजीव नयन मिश्रा पहले भी कई बड़े एग्जाम के पेपर लीक करवा चुका है और जेल भी जा चुका है। बता दें की यूपी पुलिस सिपाही भर्ती परीक्षा में तकरीबन 48 लाख नौजवानों ने किस्मत अजमाई थी लेकिन पेपर लीक की वजह से एग्जाम कैंसिल करना पड़ा था। सिपाही भर्ती रद्द होने के बाद से ही पुलिस पेपर लीक के आरोपियों की धरपकड़ में जुटी हुई है। मामले में 300 से ज्यादा आरोपी पकड़े जा चुके हैं।