शिक्षा और शराब आमने-सामने

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शिक्षण संस्थानों के आस-पास शराब की दुकान, नौनिहालों का उज्ज्वल भविष्य खतरे में

पूर्वांचल लाइफ जौनपुर
मनीष श्रीवास्तव

जौनपुर: शिक्षा के क्षेत्र में प्रगति का दावा करने वाले जिले में एक गंभीर समस्या सामने आई है, जहां शिक्षण संस्थानों के आस-पास खुलेआम शराब और बियर की दुकान चलाई जा रही हैं। यह स्थिति न केवल छात्रों के मानसिक और शारीरिक विकास के लिए घातक है, बल्कि जिले के समूचे शैक्षिक वातावरण को भी दूषित कर रही है।

शिक्षण संस्थानों के पास शराब की बिक्री – एक चिंताजनक स्थिति————
जिले के नगर स्थित भण्डारी पुलिस चौकी निकट स्कूल के पास शराब की दुकान बिना किसी रोक-टोक के संचालित हो रही हैं। छात्र-छात्राओं को रोज़ाना इन दुकानों के सामने से गुजरना पड़ता है। किशोरों में नशे की बढ़ती प्रवृत्ति के पीछे यह एक बड़ा कारण माना जा रहा है। कई बार छात्र उत्सुकता या दबाव में आकर इसका सेवन शुरू कर देते हैं, जिससे उनका भविष्य अंधकारमय हो सकता है।

अभिभावकों और शिक्षकों की बढ़ती चिंता———-
शिक्षकों और अभिभावकों ने इस पर गंभीर चिंता व्यक्त की है। स्थानीय विद्यालयों के शिक्षक कहते हैं कि बच्चे कक्षा में ध्यान नहीं दे पा रहे हैं, अभिभावक अपने बच्चों को स्कूल भेजने में हिचकिचा रहे हैं। एक स्थानीय निवासी श्रीमती गुप्ता कहती हैं, “हम बच्चों को पढ़ने भेजते हैं, लेकिन स्कूल के बाहर ही अगर नशे का माहौल हो तो कैसे उम्मीद करें कि वे पढ़-लिखकर कुछ बन पाएंगे?”

प्रशासन की उदासीनता पर सवाल———
स्थानीय प्रशासन पर भी सवाल उठ रहे हैं। बार-बार शिकायतों और ज्ञापन देने के बावजूद शराब की दुकान के खिलाफ कोई सख्त कार्रवाई नहीं की गई है। लोगों का कहना है कि शराब माफियाओं की पहुंच प्रशासनिक तंत्र तक है, जिससे कार्रवाई रुक जाती है।

सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भी उठाई आवाज़———
सामाजिक संगठनों और युवाओं ने इस स्थिति के खिलाफ आवाज़ उठानी शुरू कर दी है। उन्होंने मांग की है कि स्कूलों और कॉलेजों के 100 मीटर के दायरे में शराब की किसी भी दुकान को चलाने की अनुमति न दी जाए। इसके लिए उन्होंने जिला प्रशासन को ज्ञापन भी सौंपा है।

सरकार से मांग: शिक्षा को मिले प्राथमिकता——
स्थानीय जनता की मांग है कि राज्य सरकार इस विषय पर तुरंत संज्ञान ले और आवश्यक नीति परिवर्तन करे। शिक्षा को शराब के धंधे की बलि चढ़ने से रोका जाए। यदि समय रहते कठोर कदम नहीं उठाए गए, तो आने वाली पीढ़ी का भविष्य गहरे संकट में पड़ सकता है।

[नोट: यह रिपोर्ट एक जमीनी सच्चाई को उजागर करने का प्रयास है। प्रशासन व सरकार से निवेदन है कि इस दिशा में तुरंत कार्रवाई करें ताकि शिक्षा का उजियारा नशे के अंधेरे में न डूब जाए।

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