पूर्वांचल लाईफ/पंकज कुमार मिश्रा, राजनीतिक विश्लेषक एवं पत्रकार
जौनपुर ! जैसे जैसे चुनाव नजदीक आ रहें दलों में हड़बड़ी और गड़बड़ी शुरू हो गई है। एक तरफ जहां पुराने सांसद नए बनने के जुगत में लगे है वहीं नए चेहरे माननीय बनने को उतावले दिख रहें। विपक्षी दलों में नेता इधर उधर होकर अपनी सेटिंग बैठा रहें। भाजपा की आंधी में कई नेता उड़ते नजर आ रहें तो कई नेता आंधी का रुख भांप कर आंधी बनने के फिराक में है।वाराणसी कांग्रेस के कद्दावर नेता और पूर्व सांसद डॉ राजेश मिश्रा नें आज दिल्ली में भाजपा का दामन थाम लिया। कभी नरेन्द्र मोदी के खिलाफ कांग्रेस का झंडा उठाने वाले डॉ राजेश मिश्रा अब नरेन्द्र मोदी के लिए वाराणसी के जनता से वोट मांगते नजर आएंगे। कांग्रेस के एक एक करके कद्दावर अनुभवी नेता पार्टी छोड़ते जा रहें तो उधर खड़गे पीडीए की ओछी राजनीति और राहुल गाँधी न्याय यात्रा में व्यस्त है। सूत्रों की माने तो आने वाले दिनों में कई अन्य कांग्रेसी दिग्गज भी पार्टी को टाटा बाय बाय बोलकर मिशन कमल में शामिल हो जायेंगे। उधर सपा की भी स्थिति खराब होती जा रहीं पहले स्वामी प्रसाद मौर्य नें जमकर किरकिरी कराई और ठीक चुनाव से पहले सपा से इस्तीफा देकर अपनी नई पार्टी बनाने के संकेत दिए वहीं पांडेय साहब नें मुख्य सचेतक पद से इस्तीफा देकर सपा को एमवाय करने पर मजबूर कर दिया। ऐसे में अब पीडीए गठबंधन की लड़ाई कहा तक सफलता हासिल करेंगी यह आने वाला समय बताएगा किन्तु जिस तरह विपक्ष टूट रहा और पुराने अनुभवी नेताओं का साथ छूट रहा उससे तो यही लगता है की आने वाले समय में कांग्रेस केवल ईवीएम का रोना रोने वाली दक्षिण भारतीय पार्टी बन कर रह जाएगी और दक्षिण भारत में स्थानीय पार्टियों को चुनौती देती नजर आएगी। सपा और बसपा की स्थिति भी आज किसी से छुपी नहीं है ऐसे में भाजपा को चुनौती देगा कौन यह यक्ष प्रश्न अब भाजपा के ही वोटर कर रहें।