जौनपुर : बेशक पहले डाटा महंगा था पर दालें और सब्जियां सस्ती थी। तब एक जीबी का 300 रूपये तक देना पड़ता था। इसकी बहुत सी वजहें थीं, जैसे ग्राहक बहुत कम होना, नई नई तकनीक होना और 2G स्पेक्टरम घोटाला जिसके कारण कई नई नई टेलीकॉम कंपनियां बर्बाद हो गई और बाजार में प्रतिस्पर्धा खत्म हो जाने के कारण एयरटेल और आइडिया की मोनोपॉली हो जाना। बीएसएनएल को तब किसी कैटेगरी में नहीं गिना जाता था और जीओ नें कबूतर फसानें के लिए दाना डाल दिया था । जैसे जैसे तकनीक बढ़ी, दूरसंचार उपकरण सस्ते हुए, तकनीक सस्ती हुई और करोड़ों नए ग्राहक बनें तो डाटा सस्ता होना ही था। कोई बड़ी उपलब्धि नहीं थी कि डाटा सस्ता हो गया। मोबाईल फोन सस्ता हुआ और फिर शुरू हुआ खेल। एक समय एल्यूमीनियम सोने से भी महंगा था। राजा तक एल्यूमीनियम की थाली में खाते थे। फिर एल्यूमीनियम इतना सस्ता हो गया कि भिखारी का कटोरा भी एल्यूमीनियम से बनने लगा।आज जिओ ने कीमत बढ़ाई तो बढ़ाई लेकिन भारतीय सूचना और संचार मंत्रालय से सवाल ये है कि एयरटेल और वोडा ने क्यों दाम बढ़ाया ! और आपने रोका क्यों नाही ! कैसे तीनों ने एक साथ कीमतें बढ़ाई और इसके लिए त्राहिमाम मंत्रालय ने अनुमति दे दी ? राजनीतिक विश्लेषक और पत्रकार पंकज सीबी मिश्रा नें कहा कि पूंजीवाद में तो कंपटीशन होना चाहिए लेकिन यहां तो सिंडिकेट बनाकर आम जनता को लूटने की तैयारी कर दी गई और नियामक एजेंसियां चुपचाप देखती रही। उपभोक्ता फोरम क्या कर रहे ! कोर्ट के माननीय कों महंगाई क्यों नही दिखती ! जियो और एयरटेल घाटे में नहीं थे फिर भी कीमत बढ़ गई। ये सीधे जनता को चूसने का प्लान है। जो बुद्धिमान हैं वो समझ जायेंगे और बीएसएनएल की तरफ दौड़ पड़ेंगे।जिनकों लगता है कि स्पेक्ट्रम की नीलामी होने से सरकार का रेवेन्यू बढ़ेगा, उनको इतनी समझ नहीं है कि इसकी कीमत अंततः उनके ही जेब से जानी है। मुंबई भारत की आर्थिक राजधानी है और दिल्ली का रास्ता महाराष्ट्र से गुजरता है जो महाराष्ट्र में सरकार बनाता है उसके लिए दिल्ली का रास्ता साफ हो जाता है ऐसा मेरा मानना है और इतिहास भी यही कहता है। खैर इसी परिप्रेक्ष्य में मुकेश अंबानी सोनिया गांधी परिवार को अपने लौंडे की शादी का निमंत्रण देने पहुंच गया जबकि इससे पहले लड़के और लड़की की शादी कर चुका था पर दोनो में से किसी की शादी में न्योता नहीं दिया। अंबानी ने भी सोचा चलो जीओ का दाम बढ़ाया है इसी बहाने राहुल गांधी से मुलाकात हो जाएगी और जनता कों उलझाए रखने की जिम्मेदारी सौप दूंगा, लेकिन राहुल तो राहुल वह तो सुबह ही दिल्ली में मजदूरों के बीच पहुंच कर नौटंकी शुरू कर चूके थे। जीओ और एयरटेल को बीएसएनएल में पोर्ट करने की पहल अच्छी है, लेकिन कुछ ज़रूरी बातों पर ध्यान दें वरना बेहद महत्वपूर्ण सबक छूट जायेगा। अब आपका बैंक अकाउंट ओटीपी के अधीन है, आपका आधार ओटीपी के अधीन है या यूँ कहू अब आप सिम कम्पनीयों के बंधुआ मजदूर है। सबसे पहले तो ये जान लें कि हम जिस सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक व्यवस्था में जी रहे हैं, इसमें आपके “चुनने” के अधिकार को लगातार सीमित किया जाता है, उदाहरण के तौर पर जीओ को लांच करने से पहले बीएसएनएल को अपाहिज बनाया गया, हालात ऐसे बनाये गए कि दूसरी कंपनियों के लिए भी स्पेस घटता चला गया। आज जिओ टेलीकॉम सेक्टर का सबसे बड़ा प्लेयर है। आप पूंजीपतियों की लूट को देख पा रहे हैं ये अच्छी बात है, लेकिन स्थायी हल ये है कि उस राजनीतिक विकल्प को अपनाया जाये जिसमें किसी भी पूंजीपति के पास लूटने की ताक़त नहीं होती और जिसमें उत्पादन मुनाफ़े के लिए नहीं ज़रूरत के लिए किया जाता है। देश के 80% न्यूज चैनल भी औधोगिक घरानों के है उनके स्वर भी कुछ कुछ बदलने लगे हैं। अब स्थितियां कुछ बदली बदली नजर आ रही है स्वतंत्र पत्रकारों को वरिष्ठ पत्रकार कहकर उनके सामने बिठाया जा रहा है।
चर्चा : उतना पैर पैसारिए जितना डेटा होय
