जौनपुर। मोहम्मद हसन इंटर कॉलेज के प्रांगण में चल रहे सवा करोड़ पार्थिव शिवलिंग के रुद्राभिषेक एवं 108 कुंडी रुद्र महायज्ञ तथा शिव महापुराण की कथा में 25 जनवरी 2024 को यज्ञ कुंड में भक्तों के द्वारा विभिन्न देवताओं के नाम की आहुतियां डाली गई। अग्नि स्थापन से पूर्व सभी भक्तों के हाथ में संकल्प देकर अंबुजानंद महाराज ने संकल्प कराया, तत्पश्चात अग्नि में आहुतियां दी गई। हवन के पश्चात सभी लोग कथा सुनने के लिए कथा मंडप में गए। 25 जनवरी को मुख्य यजमान नरेंद्र मोदी विचार मंच की महिला शाखा की कार्यकर्त्ताओ ने व्यास गद्दी की पूजा की। तत्पश्चात भागवत भजन के बाद कथा का आरंभ हुआ। कल के मुख्य जजमान बिट्टू किन्नर, शान्ति आदि एवं उनकी टीम भी कथा मंडप में अपनी भूमिका निभाते दिखी।25 जनवरी 2024 को कथा में भगवान शिव की महिमा का वर्णन किया गया।
व्यास जी ने कहा कि स्वारथ लायीं करै सब प्रीती। अर्थात बिना स्वार्थ के प्रीती नहीं होती। भगवान का भक्त से और भक्त का भगवान से प्रीती भी स्वार्थ से होती है। भक्त का भगवान से प्रेम और भगवान का भक्त को सही दिशा दिखाना ये स्वार्थ नहीं तो क्या है। जब भगवान राम सीता जी को जंगल जंगल खोज रहे थे तथा हे खग हे मृग मधुकर सेनी तुम देखी सीता मृग नयनी का व्याख्यान करते हुए कहा कि एक बार सती ने महादेव से कहा कि क्या ये भगवान विष्णु के अवतार हैं, महादेव ने श्री राम को प्रणाम किया और कहा कि ये भगवान विष्णु के पूर्णावतार है, और उन्हें प्रणाम किया जिस पर सति को आश्चर्य हुआ और उन्होंने श्री राम की परिक्षा ली। माता सीता का रुप ले कर रामचन्द्र जी के आगे पीछे चलने लगी। रामचन्द्र जी ने उन्हें प्रणाम किया और इस व्याख्यान के बाद शिव जी ने सती को त्याग दिया क्योंकि श्रीराम ने उन्हें माता कहा तो भगवान शिव ने उन्हें पत्नी के रूप में स्वीकार नहीं किया। शिव और राम एक ही है, शिव के सबसे बड़े भक्त राम या स्वयं विष्णु है, तो राम के सबसे बड़े भक्त शिव ही हैं।इसीलिए दोनों एक दूसरे के पूरक है। इस पावन मौके पर नरेंद्र मोदी विचार मंच के जिला अध्यक्ष संदीप श्रीवास्तव, जिला अध्यक्ष अभिषेक पांडे, आईटी सेल एवं राष्ट्रीय कार्यकारिणी के डॉक्टर संजय पांडे एवं प्रदेश कार्यकारिणी के राजेश श्रीवास्तव तथा महिला विंग की अन्जु जायसवाल, शांति निषाद, सरिता आदि भी मौजूद रही। इसके साथ-साथ अमर जौहरी कार्यकारी अध्यक्ष शिव सेवा संस्थान व सेवा भारती के कार्यकर्ता गण भी मौजूद रहे।