जौनपुर/जफराबाद।
स्थानीय कस्बे के दरीबा मोहल्ले में दुर्गा प्रतिमा स्थापना को लेकर इस वर्ष बड़ा विवाद खड़ा हो गया। मामला इतना तूल पकड़ गया कि जहाँ परंपरा के अनुसार श्री दुर्गा पूजा महासमिति को हस्तक्षेप करना चाहिए था, वहाँ अंततः पुलिस को दखल देकर समाधान कराना पड़ा।
जानकारी के अनुसार श्री शिव शक्ति चौरा माता दुर्गा पूजा समिति का पंजीकरण वर्ष 2011 में दुर्गा पूजा महासमिति जौनपुर से कराया गया था। तभी से रविकांत गिरी समिति के अध्यक्ष पद पर कार्यरत रहे हैं। किंतु इस वर्ष कुछ लोगों ने खुद को अध्यक्ष घोषित करते हुए प्रतिमा स्थापना का प्रयास शुरू कर दिया।
स्थिति बिगड़ने की आशंका पर थानाध्यक्ष रमेश कुमार ने दोनों पक्षों को थाने बुलाकर वार्ता की। आपसी मतभेद दूर कराने के बाद अंततः रविकांत गिरी को प्रतिमा स्थापित करने की अनुमति प्रदान की गई।
लोगों के बीच उठे सवाल
इस पूरे प्रकरण के बाद नगर में चर्चाओं का दौर तेज हो गया। लोगों का कहना है कि जब किसी समिति में विवाद खड़ा होता है तो सबसे पहले श्री दुर्गा पूजा महासमिति को हस्तक्षेप कर समाधान करना चाहिए, क्योंकि समिति की मान्यता उसी से जुड़ी है। इसके बावजूद महासमिति की निष्क्रियता और पुलिस की मध्यस्थता से विवाद समाप्त होना लोगों के बीच चर्चा का मुख्य विषय बना रहा।
महासमिति की भूमिका पर प्रश्नचिह्न
स्थानीय लोगों का कहना है कि यदि भविष्य में भी पूजा समितियों के विवाद केवल पुलिस के हस्तक्षेप से निपटाए जाएंगे, तो फिर महासमिति की वास्तविक भूमिका और अस्तित्व पर सवाल उठना स्वाभाविक है।
इस पूरे मामले में अब सवाल यह उठ रहा है कि – “क्या दुर्गा पूजा महासमिति केवल नाम मात्र की संस्था बनकर रह गई है, या फिर इसकी सक्रियता पर पुनर्विचार की आवश्यकता है?”