सुप्रीम कोर्ट ने हादसे में घायल छात्र को दिलाया 91.2 लाख का मुआवजा
नई दिल्ली।
सुप्रीम कोर्ट ने हाईवे पर वाहन चलाते समय सावधानी को लेकर एक अहम फैसला सुनाते हुए कहा है कि यदि कोई चालक बिना चेतावनी दिए अचानक ब्रेक लगाता है और इसके कारण हादसा होता है, तो इसे लापरवाही माना जाएगा। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि ऐसे मामलों में चालक को हादसे का जिम्मेदार ठहराया जा सकता है।
यह फैसला तमिलनाडु के कोयंबटूर में वर्ष 2017 में हुए एक सड़क हादसे से जुड़ा है।
एस. मोहम्मद हकीम, जो उस समय एक इंजीनियरिंग छात्र थे, बाइक से जा रहे थे, तभी एक कार चालक ने हाईवे पर अचानक ब्रेक लगा दिया। हकीम की बाइक कार से टकराई, जिससे वह सड़क पर गिर गए और पीछे से आ रही बस ने उन्हें कुचल दिया। हादसे में हकीम का बायां पैर काटना पड़ा।
कार चालक ने कोर्ट में दलील दी कि उसकी गर्भवती पत्नी को अचानक उल्टी जैसा महसूस हुआ, इसलिए उसे गाड़ी रोकनी पड़ी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट की बेंच, जिसमें जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस अरविंद कुमार शामिल थे, ने यह तर्क खारिज कर दिया और कहा कि हाईवे पर ऐसी कोई भी हरकत अनुचित और लापरवाही की श्रेणी में आती है।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला और जिम्मेदारी का बंटवारा:
कार चालक को हादसे के लिए 50% जिम्मेदार ठहराया गया।
बस चालक को 30% और पीड़ित हकीम को 20% लापरवाही का दोषी माना गया!
हालांकि हकीम के पास वैध ड्राइविंग लाइसेंस नहीं था और वह पर्याप्त दूरी बनाकर नहीं चला रहे थे, इसके बावजूद कोर्ट ने यह माना कि दुर्घटना की मुख्य वजह कार चालक की अचानक ब्रेक लगाने की लापरवाही थी।
मुआवजा तय किया ₹1.14 करोड़:-
कोर्ट ने हकीम के लिए कुल ₹1.14 करोड़ मुआवजे की घोषणा की, लेकिन उनकी 20% लापरवाही को ध्यान में रखते हुए यह राशि घटाकर ₹91.2 लाख कर दी गई। सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि यह राशि कार और बस की बीमा कंपनियां चार हफ्तों के भीतर अदा करें।
निचली अदालतों के फैसले उलटे:-
इससे पहले मोटर वाहन दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण ने कार चालक को दोषमुक्त करार दिया था और हकीम व बस चालक को 20:80 अनुपात में लापरवाही का जिम्मेदार ठहराया था। बाद में मद्रास हाईकोर्ट ने कार चालक की जिम्मेदारी 40% और हकीम की 30% तय की थी। हकीम ने इसी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी।