यूपी में प्राईवेट स्कूल बने दुकान, अभिभावक परेशान

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पंकज सीबी मिश्रा/पूर्वांचल लाईफ
जौनपुर : शिक्षा का मंदिर कहा जाने वाले स्कूल अब वसूली का अड्डा बन गए है। पहले क्षेत्र के धनपशु निजी स्कूल खोलते है फिर उसे अकूत कमाई का जरिया बना लेते है। अभिवाहकों को मुंगेरी लाल के सपने दिखा कर अपने झांसे में डालकर उनका जमकर आर्थिक शोषण करते है। पहले फ्री एडमिशन का लालच देते है और जब एक बार अभिवाहक गिरफ्त में फंस जाता है तब शुरू होता है तगड़े धन वसूली का गंदा खेल। जी हां ! प्राइवेट स्कूलों ने शिक्षा को अवैध कारोबार बना डाला है। मनमानी महीने की फीस वसूली, बिल्डिंग चार्ज, परीक्षा शुल्क, यूनिफॉर्म के नाम पर दो सौ की शर्ट पैंट दो हजार में जबरन देना तो आम बात है जिस शिक्षा मंत्रालय और शिक्षा विभाग आंख मूंदे है। सबसे भयावह स्थिति तो बुक्स सेंटर के नाम पर चलने वाले लूट की है। सूत्रों से खबर मिली की केराकत के कई स्कूलों में स्कूल के अंदर ही बुक स्टॉल लगवाकर बाहरी एजेंसी से किताबे जबरन बेचवाई जा रही। मजबूरी में अभिवाहक इन महंगे किताबों को खरीदने पर मजबूर है। अधिक दाम के एमआरपी चिपकाकर डेढ़ सौ की एक किताब सात सौ रुपए में बेचने का मामला तक संज्ञान में आया। इन स्कूलों में चलने वाले वाहन भी मानकों के विपरित है जिन पर कोई कार्यवाही नहीं होती। केराकत विकासखंड के लगभग नब्बे प्रतिशत निजी स्कूलों में फायर सुरक्षा सर्टिफिकेट तक नही है जबकि कुछ में है तो रिनिवल नही होते। सुरक्षा मानकों के विपरित चलने वाले इन स्कूलों पर कार्यवाही नही हो रही यह सोचने वाली बात है। सुविधा शुल्क देकर केवल कागज बनवाकर स्कूल संचालित हो रहे। सूत्रों की माने तो इन स्कूलों में ना अग्निरोधक सिलेंडर रखे गए है ना फिटनेस वाले वाहन चल रहे। उत्तर प्रदेश के ही प्रतापगढ़ जिले में 9वीं कक्षा की छात्रा रिया प्रजापति ने इसलिए अपनी जान दे दी क्योंकि उसके स्कूल ने फीस बकाया होने पर उसे परीक्षा से बाहर कर अपमानित किया। क्या यही है हमारी नई शिक्षा नीति ? क्या यही है वो समावेशी भारत जहाँ हर बच्चा पढ़ने का अधिकार लेकर पैदा होता है ? सांसद विधायक सदन में बैठकर कर कर क्या रहे। आज हम गूगल और एआई में तरक्की कर रहे हैं, डिजिटल इंडिया बना रहे हैं। लेकिन क्या हमारी संवेदनाएं मर चुकी हैं ? क्या शिक्षा अब सिर्फ पैसे वालों की जागीर बनकर रह गई है ? गरीब बच्चों के आत्मसम्मान को रौंदते शिक्षक और प्रबंधन क्या गरीबों के पैसे से चैन वाली जिंदगी जी पाएंगे! रिया तो चली गई पर सवाल छोड़ गई ! कौन जिम्मेदार है उसकी मौत का ? जवाब है निजी स्कूल और उसका मनमाना रवैया। जवाब है सरकारी शिक्षा अधिकारी जो आंख मूंदे है।

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