कार्तिक पूर्णिमा देव दीपावली और गुरु नानक देव का प्रकाशोत्सव पर्व:डॉ दिलीप कुमार सिंह

Share

भारत वर्ष व्रत पर्व उत्सवों का देश है जहां प्रतिदिन कोई न कोई व्रत पर्व उत्सव त्यौहार होता ही रहता है लेकिन कार्तिक का महीना व्रत पर्व उत्सवों की दृष्टि से बहुत ही महत्वपूर्ण है जहां दुनिया का सबसे बड़ा प्रकाश पर्व दीपावली एकादशी देव दीपावली और गुरु नानक देव का प्रकाश पर्व जैसे अनेक बड़े-बड़े पर्व मनाये जाते हैं।

कार्तिक महीना हर महीने से अधिक साफ सुथरा स्वच्छ निर्मल होता है और इस समय सर्दी और गर्मी दोनों बराबर रहते हैं फसलों का भी यह महीना है कार्तिक माह के बारे में कहावत है कि कार्तिक की तो शोभा न्यारी लगाती बहुत चांदनी प्यारी इस प्रकार कार्तिक महीने का महत्व अपने आप सर्वोपरि है कार्तिक महीना सबसे शांतिपूर्ण महीना भी माना जाता है और इस महीने में अधिकतर प्रकाश पर्व ही मनाये जाते हैं।

कार्तिक महीने की पूर्णिमा तिथि को ही देव दीपावली मनाई जाती है देव दीपावली देवताओं द्वारा असुरों की विजय पर मनाया जाने वाला महान पर्व है इसके पीछे कहानी है कि तारकासुर नामक तीनों लोकों के विजेता असुर ने पहली बार सोने चांदी और लोहे के अंतरिक्ष नगर बसाए और वरदान प्राप्त किया कि उसका विनाश तभी हो जब तीनों घूमते हुए नगर एक सीध में आ सके और उसका विनाश वही कर सके जो इतना शक्तिशाली हो कि एक ही दिव्य बाण से तीनों नगरों को नष्ट कर सके इसके बाद उसने समस्त देवी देवता पृथ्वी और ब्रह्मांड को जीत कर हाहाकार मचा दिया।

कालांतर में तीनों लोगों की अर्थ पुकार पर स्वामी कार्तिकेय और भगवान शिव की संयुक्त देवताओं की सैन्य शक्ति के द्वारा तारकासुर के नगरों का विनाश हुआ और वह मारा गया और भगवान शिव त्रिपुरारी कहलाए तभी से देव दीपावली मनाए जाने लगी और इस दिन देवता धरती पर स्वर्ग से उतर कर काशी नगरी में दीपावली मनाया करते थे इसी से इसका नाम देव दीपावली पड़ा।

और यह प्राचीनतम विश्व की धर्म नगरी काशी का सबसे अनूठा और दिव्य महापर्व है इस दिन पूरी काशी और उसके नदी घाट रोशनी और दीपक की लौ से जगमग हो जाते हैं देव दीपावली का संबंध सम्राट दिवोदास से भी है जिन्होंने काशी में सभी देवी देवताओं का प्रवेश वर्जित कर दिया था लेकिन बाद में भगवान श्री हरि के प्रभाव के कारण उन्होंने इसको वापस लिया।

देव दीपावली आज पूरे विश्व में अंतरराष्ट्रीय स्वरूप ले चुकी है जहां बहुत बड़े-बड़े लोग और हस्तियां तथा लाखों की संख्या में लोग इसको देखने वाले आते रहते हैं वास्तव में देव दीपावली भी भारत के सभी महान व्रत और पर्व की तरह असत्य पर सत्य की बुराई पर अच्छाई की अज्ञान पर ज्ञान की ओर अंधकार पर प्रकाश की विजय है।

आज के दिन ही महान विभूति दिव्य संत गुरु नानक देव का इस धरती पर अवतरण हुआ था जब भारत तुर्क मुसलमानों के आक्रमण से बुरी तरह आक्रांत तशथा ऐसे में तलवंडी जिसे अब ननकाना साहब कहते हैं और जो पाकिस्तान में है वहां पर तृप्ता मेहता और कालूराम मेहता के पुत्र के रूप में नानक देव ने धारावतरण किया पहले जानवरों को चराते बाद में अन्न भंडार का काम करते-करते इनको सनातनी लोगों और धर्म ग्रंथो से अद्भुत ज्ञान प्राप्त हुआ फिर पारिवारिक जीवन के बंधनों में बंद गए।

बाद में नदी में नहाते समय डूब गए और तीन दिन पता ही नहीं चला तीसरे दिन वह नदी से प्रकट हुए और उन्होंने अपने प्राप्त हुए दिव्य ज्ञान को लोगों में बांटना प्रारंभ किया और बहुत जल्दी ही वे दूर दूर तक विख्यात हो गए समस्त दिव्य अवतारी महापुरुषों की तरह गुरु नानक देव के बारे में भी अनेक कहानियां प्रचलित हैं जिसमें से कुछ प्रमुख हैं।

एक बार बचपन में उनके पिता ने नानक को पैसे देकर सच्चा सौदा करने को कहा जब नानक जी सौदा खरीद कर लौट रहे थे तो साधुओं की भूखी टोली को देखकर सब कुछ उन्हें खिला दिया और खाली हाथ लौट आए और पिता से बोले मैंने सच्चा सौदा कर दिया उनके वाला लहना और मर्दाना नाम के तीन अत्यंत प्रिय शिष्य थे जिनको लेकर वह मक्का मदीना ईरान सऊदी अरब तक गए।

एक बार वह मक्का में काबा की तरह पैर करके सो गए जब काजी ने देखा तो वह बहुत क्रोधित हुआ और उन्हें दंड देने के लिए दौड़ा नानक ने कहा भाई परेशान क्यों हो मेरा पैर पड़कर उसे दिशा में कर दो जिधर काबा न हो जब उसके नौकरों ने नानक का पैर दूसरे दिशा में किया तो कब उधर ही दिखाई दिया इस प्रकार सब लोग थक गए और काजी समझ गया कि यह कोई महान दिव्य पुरुष है और उसने क्षमा मांग कर उनका सम्मान किया।

इसी प्रकार एक गांव में वह अपने शिष्यों के साथ पहुंचे तो गांव वालों ने उनका बहुत अपमान किया पत्थर बरसाया रात में वह दूर खेतों में सोए सुबह उन्होंने कहा है ईश्वर करें इस गांव के लोग सदैव यही पर बसे रहे अगले दिन में दूसरे गांव गए जहां लोगों ने उनका बहुत मान सम्मान किया अच्छे भोजन दिए और रात में रुकने की अच्छी व्यवस्था किया जब वह जाने लगे तो उन्होंने कहा है ईश्वर करें इस गांव के लोग पूरे देश में फैल जाए जब मर्दाना और अन्य शिष्यों को इस पर आश्चर्य हुआ तो उन्होंने उत्तर देते हुए कहा अच्छे लोग दिव्य प्रकाश हैं जिनका बिखर जाना आवश्यक है और बुरे लोग अगर दूर-दूर तक फैल गए तो बुराई भी फैल जाएगी इस पर उनके शिष्य संतुष्ट हो गए

इसी तरह एक बार एक अत्यंत गरीब व्यक्ति और एक नगर सेठ दोनों ने एक साथ ही गुरु नानक देव को आमंत्रित किया गुरु नानक देव सेठ के यहां ना जाकर गरीब की सूखी रोटी खाई और आराम से पड़े रहे इस पर सेठ बहुत क्रोधित हुआ और उनसे कारण पूछा तब उन्होंने एक रोटी सेठ के यहां की और एक रोटी गरीब के यहां की मंगाई और उसको निचोड़ा सेठ की रोटी से खून निकलने लगा और गरीब की रोटी से दूध निकलने लगा इस पर उसे नगर सेठ ने नानक देव के पैर पकड़ लिए और उनसे क्षमा मांगी और उनका शिष्य बन गया

इस तरह सन 1569 में कार्तिक पूर्णिमा के दिन तलवंडी ननकाना साहिब जन्मे हुए गुरु नानक देव का 1539 ईस्वी में अवसान हो गया लेकिन उनके शब्द और उनके आदि गुरु ग्रंथ उनकी महिमा दिखाते ग्रंथ में फैला रहे हैं वास्तव में यह सभी सनातन धर्म के महान रन थे जो कालांतर में हिंदू सिख जैन बौद्ध नास्तिक आदिवासी वनवासी जैसी शाखाओं में बंट गए जिस तरह एक बड़ा परिवार धीरे-धीरे कई परिवार में बंट जाता है वही हालत सनातन धर्म की है इस प्रकार देव दीपावली और गुरु नानक देव का प्रकाश पर्व कार्तिक पूर्णिमा के रोशनी भी करते हुए चंद्र की तरह अद्भुत और कल्पना से परे हैं प्रेम और भक्ति ईश्वर का साक्षात रूप है और उनके अनुसार ईश्वर एक ही है उनकी रचनाओं में समस्त सनातनी देवी देवता सम्मिलित हैं उन्हें सिख पंथ का संस्थापक होने का गौरव प्राप्त है जो दुनिया का सबसे नवीन पंथ है गुरु नानक देव न केवल समस्त सनातनी लोगों के लिए बल्कि समस्त विश्व के लिए वंदनी और पूज्य हैं कहीं उनको पीर तो कहीं महापीर कहानी प्रकाश पुंज कहा जाता है

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!