जौनपुर। पोटरिया गांव, जौनपुर के प्रतिभाशाली युवा अली कौसर ने एक बार फिर अपने गांव और जिले का नाम रोशन किया है। उन्हें हाल ही में एचपी पॉसिबल मेंटरशिप प्रोग्राम के तहत ‘बेस्ट मेंटी’ अवार्ड से सम्मानित किया गया। यह सम्मान न केवल उनके अद्वितीय प्रदर्शन और कठोर परिश्रम की पहचान है, बल्कि उनके समर्पण और नेतृत्व क्षमता की भी सच्ची गवाही है।
एचपी पॉसिबल के क्लास ऑफ 2024 के लिए भव्य दीक्षांत समारोह का आयोजन 7 अगस्त को मुंबई यूनिवर्सिटी के फोर्ट स्थित प्रतिष्ठित कॉन्वोकेशन हॉल में किया गया। इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम की शोभा बढ़ाने के लिए सीएफडी (कॉरपोरेट फंक्शनल डायरेक्टर ) स्वयं उपस्थित थे, जिन्होंने समारोह की अध्यक्षता की और अली कौसर सहित सभी प्रतिभागियों को सम्मानित किया।
अली कौसर की इस उपलब्धि को और भी यादगार बनाने के लिए समारोह के बाद गेटवे ऑफ इंडिया के पास स्थित द ताज महल पैलेस में एक भव्य रात्रिभोज का आयोजन किया गया। इस अवसर पर सभी सम्मानित मेहमानों और प्रतिभागियों को बिजनेस प्रोफेशनल ड्रेस कोड में आमंत्रित किया गया था, जिससे इस कार्यक्रम की गरिमा और भी बढ़ गई।
अली कौसर की इस शानदार उपलब्धि ने उनके गांव पोटरिया और पूरे जौनपुर जिले में उत्साह और गर्व का माहौल बना दिया है। उनकी यह उपलब्धि उन सभी युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है, जो जीवन में कुछ बड़ा हासिल करने का सपना देखते हैं। अली कौसर का यह सम्मान केवल उनके व्यक्तिगत जीवन की एक बड़ी उपलब्धि नहीं है, बल्कि यह उनके गांव और जिले के लिए भी एक गौरवशाली क्षण है।
इस पुरस्कार ने अली कौसर को नई ऊंचाइयों की ओर अग्रसर होने के लिए प्रेरित किया है। यह अवार्ड उनके जीवन में एक मील का पत्थर साबित होगा, जो न केवल उनके करियर को एक नई दिशा देगा बल्कि उनके सपनों को साकार करने के लिए एक महत्वपूर्ण प्रेरणा भी बनेगा। एचपी पॉसिबल मेंटरशिप प्रोग्राम के दौरान उनकी कड़ी मेहनत और उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए उन्हें यह सम्मान मिला, जो उनके उज्ज्वल भविष्य की ओर एक महत्वपूर्ण कदम है।
इस मौके पर अली कौसर ने अपनी यात्रा को सार्थक शब्दों में व्यक्त करते हुए कहा, “कश्तियाँ नहीं तो क्या, हौसले तो पास हैं, कह दो नाख़ुदाओं से, तुम कोई ख़ुदा नहीं।” यह कथन उनके जीवन की सच्ची तस्वीर प्रस्तुत करता है—उनके अटूट हौसले, कठिनाइयों से लड़ने की ताकत, और अपने लक्ष्य की ओर निरंतर बढ़ने की प्रतिबद्धता का प्रतीक है। इस अवार्ड के माध्यम से अली कौसर ने यह साबित कर दिया है कि सीमित साधनों के बावजूद, यदि हौसले मजबूत हों, तो सफलता के शिखर तक पहुंचना मुमकिन है।