जौनपुर! सत्रह दिन में पंद्रह ठो पुल गिर गए मानो पुल कह रहें हो चचा सरकार गिरवाय दो नाही त हमनी गिरते रहेंगे। कुछ पुल काँपते हुए प्रतीक्षा कर रहे हैं कि उद्घाटन हो तो हम गिरें। कुछ पुल देशी ठर्रा पीकर टुन्न है। जल्दी कीजिए आखिर कब पैसठ प्रतिशत हिस्सेदारी वालों कों पुल इंजिनियर बनाएंगे कई पुल इंतजार कर रहें, शेष आखिर कितने दिन ये पुल बेचारे अपने पाँव पर खड़े रहेंगे। जिस हिसाब से डबल गारंटी के साथ बिहार में रोज पुल ढह रहे हैं, लोग किसी पुल पर चढ़ने से पहले उसे हिला डुला कर चेक करने लगे हैं। उधर एक बिहारी बोला ! बिहार में कई पुल गिर गइल त एमे सरकार के का गलती बा। लोग बुझते नईखे की इंजीनियर, विधायक बने में केतना खर्च पड़ेला। उधर व्यंग्यात्मक लहजे में राजनीतिक विश्लेषक और पत्रकार पंकज सीबी मिश्रा नें कहा कि बिहार में पुल गिरे नही हैं बल्कि भयंकर गर्मी से त्रस्त होकर खुद नदी में छलांग लगा रहें है। सिवान में एक और पुल जल समाधि ले गया। सत्रह दिन में पंद्रह ठो पुल गिर गए। छपरा में वर्ष 2019 में बना पुल अचानक ही जल समाधि ले गया। 24 घंटे में 6 पुल और 15 दिन में कुल 12 पुल धराशायी हो चुके हैं। बिहार में लगातार गिर रहे पुल से नीतीश जी पुल हो रहें। पुल पूर्व लालू सरकार की भी गुडविल खराब कर रहे है। हालांकि सत्ता पक्ष पुल गिरने की इन घटनाओं को विपक्ष की चाल बता रहा है और कह रहा रात में पुल हिलाये जा रहें है। बिहार में पुल गिरने का ऐसा दौर शुरू हुआ कि पखवाड़े भर में 11 पुल गिर चुके हैं। नए-पुराने पुल-पुलिया गिर रहे हैं। लोग मज़ाक उड़ा रहे हैं, कई बातें आ रही हैं कि आगे से कोई बिहार में पुल बनाए तो उसे सजा क्या मिले ? क्या सजा के तौर पर उसे पुल पर खड़ा कर दिया जाएगा ? अगर यह सिलसिला नहीं रुका तो लोगों को पुल मुक्त बिहार बताना होगा। बिहार के छपरा में एक और पुल गिरा, सिवान और सारण में 24 घंटे में 6 पुल गिरे, बिहार में 18 जून से अब तक 12 पुल गिरे! बात समझ मे नही आ रहा है कहीं ऐसा नही की बहुत गर्मी थीं बारिश आने से खुशी के मारे पुल पानी में छलांग लगा रहें। बिहार में गिरते पुल पर सरकार का बड़ा एक्शन भी हुआ, 11 इंजीनियर्स सस्पेंड नीतीश सरकार ने धड़ाधड़ गिर रहे पुलों के बीच 11 इंजीनियरों को सस्पेंड कर दिया। इन पर लापरवाही बरतने के आरोप लगे हैं जिससे अब पुल खुश है। बिहार में 17 दिन के भीतर एक के बाद एक 12 पुल गिरने के बाद सरकार ने बड़ी कार्रवाई की है। इसके साथ ही नीतीश सरकार ने नए पुलों के पुनर्निर्माण का भी आदेश दिया है। ऐसे ठेकेदार और कंपनी को ब्लैकलिस्टेड किया जाए। हमारे बिहार में आजकल धड़ाधड़ पुल गिर रहे हैं। यूट्यूब वाले पत्रकार एक पुल के गिरने पर वीडियो बनाते हैं तबतक दूसरा गिर जाता है। वे दूसरे तक पहुँचते हैं तबतक तीसरा गिर जाता है। लगता है पुल और युट्यूबर्स में दौड़ लगी है, कि कौन आगे है। पुल गिरने की खबर हम इतनी बार सुन चुके हैं कि अब कुछ भी गिरता है तो लगता है कि कोई पुल ही गिरा है। हालांकि गिरने के लिए तो एयरपोर्ट की छत भी गिर रही है, सूट बूट वाले बाबा के चरणों में उनके भक्त गिर रहे हैं, फेसबुक पर देशवादियों की रीच गिर रही है, जेल में केजरीलाल जी के आंसू गिर रहे हैं, पर इन सब के बावजूद चर्चा केवल बिहार के पुल पा रहे हैं। मैं इसे बिहार का सौभाग्य मानता हूं। एक आम भारतीय होने के नाते मैं जानता हूँ कि कोई पुल एक झटके में नहीं गिरता। गिरने की प्रक्रिया बहुत पहले से चल रही होती है। सबसे पहले नेता गिरते हैं, फिर अधिकारी गिरते हैं, उसके बाद इंजीनियर गिरता है। इन तीनों के गिरने से फिसलन हो जाती है सो ठेकेदार भी गिर जाता है। बात यहीं नहीं रुकती, इस फिसलन को देख कर आम जनता भी खुद को रोक नहीं पाती, देखादेखी वह भी गिरने लगती है। आपने यदि ठेकेदार के स्टॉक से गिट्टी, बालू, मसाला चुराती जनता को नहीं देखा तो शर्म कीजिये, धिक्कार है आपके भारतीय होने पर। हाँ तो जब इतने लोग गिर जाते हैं तो पुल को भी अपने खड़े होने पर शर्म आने लगती है। तो अपने निर्माताओं का साथ देने के लिए वह भी गिर जाता है। बात खत्म। आप फेसबुक इंस्टा पर ही देख लीजिये, जो जितना ही गिरता/गिरती है, उसका रील उतना ही वायरल होता है। सिनेमा की कोई अभिनेत्री जितना गिरती है, उतना ही आगे बढ़ती जाती है। यहाँ तक कि एक लेखक भी जबतक गिरता… छोड़िये! मैं कल एक पत्रकार मित्र से बातचीत कर रहा था। मित्र मुझे पुल गिरने के लाभ बता रहे थे। उन्होंने मुझे अर्थशास्त्र समझाते हुए बताया कि जब पुल गिरेगा, तभी न दुबारा बनेगा। दुबारा बनेगा तो मजदूरों को काम मिलेगा। सीमेंट, बालू, सरिया के रोजगारियों का धंधा चलेगा। नेता, अधिकारी कमीशन खाएंगे तो पैसा मार्किट में ही न देंगे! इस तरह पैसा घूम फिर कर जनता तक ही जायेगा, सो पुलों का गिरना जनता के लिए लाभदायक है। मित्र जिस कॉन्फिडेंस से मुझे समझा रहे थे उससे स्पष्ट हो गया कि वे भी कम गिरे हुए नहीं हैं। हमारे देश में हर व्यक्ति अब गिरना चाहता है। वह केवल मौका तलाश रहा है। कब मौका मिले कि वह गिरे… पुल अकेले नहीं हैं, गिरने की यात्रा में सारा देश उनके साथ चल रहा है।
Related Posts
पंजाबी फिल्म “नानक नाम जहाज है” का संगीत रिलीज हुआ
- AdminMS
- May 3, 2024
- 0
इस्लाम के चौक का ऐतिहासिक चेहलुम 24 एवं 25 अगस्त को
- AdminMS
- August 15, 2024
- 0
विद्युत तकनीकी खराबी दूर कर रहे प्राईवेट लाइनमैन की हुई मौत
- AdminMS
- March 23, 2024
- 0