पूर्वांचल लाईफ/पंकज कुमार मिश्रा
जौनपुर ! प्रदेश की राजनीति में बसपा नें सपा का खेल बिगाड़ने का जिम्मा लिया हुआ है तो वही अब सपा खुद अपनें गेम प्लान से भटक गई है। राजनीति के शतरंज में मोहरों के साथ विजय का लक्ष्य देख रहें अखिलेश यादव को इस बार भी कई जगह निराशा हाथ लग सकती है। परिवारवाद के आरोपों से घिरे अखिलेश यादव की मुश्किलें अब भी ज्यों का त्यों बनी हुईं है। मछलीशहर में एक ही परिवार से विधायक और सांसद बनवाने की ललक और अपने परिवारजनों को राजनीति में सेट करने की मंशा से सपा के आम कार्यकर्ता अब ठगा महसूस करने लगे है। उन्हें भाजपा और कांग्रेस जन जन की पार्टी नजर आने लगी है। बतौर कांग्रेस, आज देश में लोकतंत्र के स्थिर न रहने का खतरा पैदा हो गया है नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री हैं, और एकतरफा व्यवस्था को समाप्त करना चाहते हैं, इसलिए जरूरी है कि सारे वोटर एक होकर ऐसी पार्टी को समर्थन दें जो देश को ऊचाई पर लें जाए। लोकसभा जौनपुर में सपा प्रत्याशी बाबू सिंह कुशवाहा का कहना है की वर्तमान स्थिति में विजय हमारी होगी जबकि सपा के ही कार्यकर्ता अंदरूनी कलह के शिकार है और बाहरी प्रत्याशी को नकार रहें।यादव बिरादरी का बहुत बड़ा संगठन भाजपा के भी साथ है।जौनपुर और मछलीशहर का सवर्ण जो उच्च शिक्षित है और जाति बिरादरी को त्याग करके देश के हित में वोट करता रहा है वह भी अब नोटा की तरफ देख रहा। इधर जब से श्रीकला धनंजय सिंह को बसपा का उम्मीदवार बनाया गया है, भाजपा प्रत्याशी कृपाशंकर सिंह के खेमे से उन्ही के बिरादरी के लोग पाला बदल लिए। खुद को कट्टर भाजपाई कहने वाले अवसरवाद के शिकार होंगे यह तो तय था। नौजवान, नेता, शिक्षक जैसे लोग उधर कर रहें। चुनावी दलालों के आवासो पर घहमाघहमी काफी तेज हो गई है। कृपाशंकर सिंह और बीपी सरोज की स्थिति नाजुक कही जा रहीं है लेकिन दोनो एक घुटे हुए पुराने नेता हैं, अपने पक्ष में मतदान कैसे प्रभावित किया जाता है यह बखूबी जानते है। यहां से महाराष्ट्र तक लड़ चुके कृपाशंकर सिंह हैं घाट – घाट का पानी पी चुके हैं। कुछ पुराने एजेंट रात दिन बीपी सरोज के साथ इसीलिए टहल रहे हैं कि उनको किसी भी प्रकार विजयश्री मिले फिर उनकी दुकान चमके। दोनो लोकसभाओं में हालात बहुत अच्छी नहीं लग रहीं है ऐसा प्रतीत हो रहा है कि हाथी अपनी चाल – चल रहा है और वो भी इस बार अढ़ाई खाने की चाल । 73 – जौनपुर लोकसभा क्षेत्र में बसपा प्रत्याशी श्रीकला धनंजय सिंह के आ जाने से हाथी ने समूचा खेल ही बिगाड़ दिया है। अब इस लोकसभा क्षेत्र में इंडी गठबंधन से बाबू सिंह कुशवाहा, बहुजन समाज पार्टी से श्रीकला धनंजय सिंह और भाजपा से कृपाशंकर सिंह स्पष्ट रूप से मैदान में है और मुकाबला त्रिकोणीय हो चुका है। इस लोकसभा क्षेत्र से बाबू सिंह कुशवाहा के आने से स्थिति कुछ बदल रही है। बाबू सिंह कुशवाहा बसपा के ही मंत्री रहे जब धनंजय सिंह बसपा के सांसद रहे तो दोनों में अच्छा संबंध था बसपा के कद्दावर नेता बाबू सिंह कुशवाहा को जब जौनपुर से उम्मीदवार बनाया गया तो वर्तमान सांसद श्याम सिंह यादव का दर्द झलक गया और एक वायरल पत्र में उन्होंने अखिलेश यादव को खूब खरी खोटी सुना डाला। उन्हें इस बात का गुमान था कि टिकट उन्हें दोबारा मिलेगा। उनकी बिरादरी का और उनके कुछ प्रभाव क्षेत्र का वोट हमेशा से भाजपा को भी मिलता रहा है।