बुढ़वा मंगल के अवसर पर संब्बल ब्रह्मबाबा धाम पर हुआ हवन पूजन

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पूर्वांचल लाईफ / पंकज कुमार मिश्रा

जौनपुर ! प्रतिवर्ष होली के दूसरे मंगलवार को बुढ़वा मंगल के रूप में मनाये जाने की अति प्राचीन परम्परा है जो क्षेत्र में पूरे भक्ति भाव और निष्ठा से मनाया जाता है। केराकत विकासखंड के अंतर्गत थानागद्दी के देवनाथपुर गांव में स्थित अति प्राचीन श्री संबल ब्रह्मबाबा धाम के दिव्य और रमणीक स्थल पर बुढ़वा मंगल कार्यक्रम का आयोजन किया गया। बुढ़वा मंगल के अवसर पर उक्त धाम के प्रांगड़ में अखंड रमचारित मानस पाठ सहित विधि विधान से हवन पूजन और भंडारे का कार्यक्रम आयोजित हुआ। स्थानीय पत्रकार पंकज सीबी मिश्रा नें बताया कि सोमवार को अखंड रामचरित मानस पाठ का आयोजन हुआ तथा मंगलवार को मनाये जाना वाला बुढ़वा मंगल के उपलक्ष्य में यज्ञ हवन का आयोजन हुआ। आपको बता दें कि थानागद्दी ग्रामसभा में देवनाथपुर ग्राम में स्थित श्री सम्बल ब्रह्मबाबा धाम स्वयं में अलौकिक धाम है जहां कोई मंदिर नहीं अपितु एक अति विशालकाय बरगद वृक्ष है जो कई सौ वर्ष पुराना है और मान्यता यह है कि एक परमज्ञानी और सिद्ध ब्राह्मण नें एक रात में वृक्ष रूप में यह स्वरूप धारण किया है इसी स्थान पर बुढ़वा मंगल पर्व कई वर्षो से मनाया जाता रहा है। श्री सम्बल ब्रह्मबाबा धाम थानागद्दी ग्रामसभा में लैंडमार्क के रूप में भी अतिप्रसिद्ध है और यहां दर्शनार्थी बहुत दूर दूर से कामना पूर्ति हेतु आते है। ऐसी मान्यता है कि पूरे मनोयोग और भक्तिभाव से मांगी गई मन्नत जरूर पूरी होती है जिसके बाद श्रद्धालु घंट दान इत्यादि चढ़ा कर दिव्य स्थल को और भव्य रूप देने में सहयोग करते है। बुढ़वा मंगल पर हवन की शुरुआत बहुत पहले से परम्परा के रूप में शुरू हुआ जिसे बाद देवनाथपुर निवासी छेदीप्रसाद मिश्र नें लगातार बुढ़वा मंगल पर हवन परम्परा को संचालित कराना शुरू किया, बाद में स्वo राधेश्याम मिश्र नें यह जिम्मेदारी संभाली। अब उसी परम्परा का निर्वहन शिवशंकर मिश्र और संजय मिश्र बाबा के द्वारा विगत कई वर्षो से निरंतर जारी रखा जा रहा। इस अवसर पर हवन यज्ञ आयोजित हुआ जिसमें आहुतिकर्ता के रूप में माधवानंद शुक्ल, जसवंत सिंह, गौतम मिश्र बब्बू, नीरज मिश्र, अंकुर इत्यादि नें सहयोग दिया। यज्ञ अनुष्ठान शिवब्रत पाठक और शिवशंकर मिश्र द्वारा सम्पन्न कराया गया। यज्ञ के बाद भंडारे का आयोजन हुआ जिसमें समस्त क्षेत्रवासियों नें ऊंच नीच का भेदभाव भुलाकर एक साथ अन्न प्रसाद ग्रहण किया।

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