जौनपुर। जनपद के पत्रकारों ने शहर के बीआरपी इंटर कॉलेज के मैदान में चल रही प्रदर्शनी में जनहित में शिकायतों पर शासनादेश के मानक की अनदेखी कर तमाम अन्य गंभीर अनियमिताओं की जांच कर जनहित में आवश्यक कार्यवाही किए जाने के संबंध में सिटी मजिस्ट्रेट इंद्र नंदन सिंह को एक ज्ञापन सौंपा है। आपको बता दें कि पत्रकारों द्वारा दिए गए ज्ञापन में देश व प्रदेश में हुई घटनाओं को लेकर सुरक्षा व्यवस्था का हवाला देते हुए शहर के लाइन बाजार थाना क्षेत्र के बीआरपी इंटर कॉलेज के मैदान में चल रही प्रदर्शनी को शासनादेश व मानक के प्रतिकूल होने की स्थिति में तत्काल प्रभाव से इसे बंद कराया जाए अथवा शासनादेश के मानक का पूर्ण रूप से पालन कराया जाए। सूत्रों की माने तो प्रदर्शनी मेला मालिक टैक्स की चोरी करने व माध्यमिक शिक्षा परिषद में निहित विधि व्यवस्था जो इंटर कॉलेज से संबंधित है कि किसी भी विद्यालय का परिसर खेल के मैदान के लिए मान्यता स्वीकृत के दौरान ही दिया जाता है। ऐसे में इंटर कॉलेज के मैदान को व्यवसायिक रूप दिए जाने की अनुमति किसके द्वारा दी गई है। साथ ही इसका भी उल्लेख किया गया कि बीआरपी कॉलेज के ग्राउंड में लगे झूले के फिटनेस के संदर्भ में क्या आजमगढ़ के यांत्रिक विभाग पीडब्ल्यूडी द्वारा फिटनेस प्रमाण पत्र लिया गया है। यदि यूपी के हाथरस जनपद तथा अन्य स्थानों पर हुई घटना सयोग बश जौनपुर में घटित होती है तो इसके लिए जिम्मेदार कौन होगा। पत्रकारों द्वारा यह भी अवगत कराया गया कि प्रदर्शनी स्थल पर बनाए गए प्रवेश द्वार में दिव्यांगों व बुजुर्गों के लिए कोई समुचित व्यवस्था नहीं है। साथ ही प्रदर्शनी में आगजनी जैसी घटना यदि घटित होती है तो भगदड़/अफरातफरी की स्थिति में महिलाएं बच्चों दिव्यांगों/बुजुर्गों की जान पूरी तरह से जोखिम पूर्ण होगी। इसका कारण कि प्रदर्शनी में मुख्य सड़क से आने और जाने के लिए एक ही प्रवेश द्वार बनाया गया है। ऐसे में क्या फायर विभाग द्वारा अपनी अनुमति दी गई है। क्या विद्युत विभाग द्वारा कामर्शियल कनेक्शन दिया गया है। यदि दिया गया है तो उसकी भी जांच होनी चाहिए क्या उपभोग के हिसाब से विद्युत कनेक्शन दिया गया है।
उक्त के संदर्भ में पत्रकारों ने जिले के जिम्मेदार अधिकारियों को अवगत कराया है कि जनहित को गंभीरता पूर्वक ध्यान में रखते हाथरस जैसी दुर्घटना को ध्यान में रखते हुए अपने स्तर से जांच कर कर जनहित में आवश्यक कार्यवाही करें। ताकि भविष्य में कोई घटना घटित होने पर प्रशासन के पास सिर्फ संवेदना जताने के अलावा कुछ जवाब ना हो। साथ ही साथ किसी भी तरह की भविष्य में जनहानि ना हो जिससे शासन सत्ता के प्रति लोगों में गलत संदेश जाए।