एचबी बीएड कॉलेज ने आयोजित किया प्रतिष्ठित ICSSR प्रायोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी

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पूर्वांचल लाइफ/मनीष श्रीवास्तव
“पाठ्यक्रम में भारतीय ज्ञान प्रणाली का समावेश: चुनौतियाँ और अवसर”

नवी मुंबई, 15 फरवरी 2025 – एचबी बीएड कॉलेज की आंतरिक गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ (IQAC) द्वारा “पाठ्यक्रम में भारतीय ज्ञान प्रणाली (IKS) का समावेश: चुनौतियाँ और अवसर” विषय पर एक राष्ट्रीय संगोष्ठी का सफल आयोजन किया गया। इस संगोष्ठी को भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICSSR) द्वारा प्रायोजित किया गया था। कार्यक्रम में विभिन्न शिक्षाविदों, शोधकर्ताओं और विद्वानों ने भारतीय ज्ञान प्रणाली (IKS) की आधुनिक शिक्षा में प्रासंगिकता और इसे लागू करने की चुनौतियों पर गहन विचार-विमर्श किया।

विशेषज्ञों के विचार एवं ज्ञानवर्धक सत्र

इस संगोष्ठी में प्रमुख शिक्षाविदों ने अपने विचार प्रस्तुत किए:

प्रो. गोपाल कृष्ण ठाकुर ने भारतीय ज्ञान प्रणाली के दार्शनिक पक्ष पर प्रकाश डाला।

डॉ. सुनीता मागरे ने इसके ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व की चर्चा की।

डॉ. संगीता पवार ने शैक्षणिक नीतियों में IKS को शामिल करने की संभावनाओं और चुनौतियों पर विचार साझा किए।

डॉ. अरुंधति चव्हाण ने IKS के व्यावहारिक अनुप्रयोगों पर जोर दिया।

इसके अलावा, डॉ. चंद्रशेखर चक्रदेव ने “सुखी जीवन में भारतीय ज्ञान प्रणाली की भूमिका” विषय पर विशेष सत्र लिया, जिसमें उन्होंने संतुलित जीवन के लिए IKS के महत्व पर बल दिया।

गौरवमयी उपस्थिति और शोध पत्र प्रस्तुति

इस अवसर पर साईंनाथ एजुकेशन ट्रस्ट के चेयरमैन डॉ. कुंवर हरिबंश सिंह ने कार्यक्रम की गरिमा बढ़ाई और शिक्षा में भारतीय बौद्धिक परंपराओं को पुनर्जीवित करने की आवश्यकता पर बल दिया।

प्रधानाचार्य बीना परेरा, लता पिल्लई और शशिकला सिंह ने उद्घाटन सत्र में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।

शोध पत्र प्रस्तुतिकरण सत्रों की अध्यक्षता डॉ. संगीता नाथ, डॉ. स्निग्धा प्रधान, और डॉ. सुष्मिता मुखर्जी ने की, जहाँ विभिन्न शोधकर्ताओं ने IKS पर अपने शोध प्रस्तुत किए।

समापन एवं प्रभाव

कार्यक्रम के समापन पर प्रधानाचार्य डॉ. स्वर्णलता हरिचंदन ने सभी प्रतिभागियों, वक्ताओं और शोधकर्ताओं को धन्यवाद दिया और कॉलेज के शिक्षकों व छात्रों के प्रयासों की सराहना की।

यह संगोष्ठी भारतीय ज्ञान प्रणाली को मुख्यधारा की शिक्षा में एकीकृत करने के महत्व को रेखांकित करने में सफल रही और भविष्य में इस विषय पर और अधिक शोध और अकादमिक सुधारों का मार्ग प्रशस्त किया।

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