सच के लिए खड़ा होना ज़ोखिम से भरा हुआ काम है-वकार हुसैन,अध्यक्ष,हिन्दुस्तान मानवाधिकार

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पूर्वांचल लाइफ जौनपुर

जौनपुर: चकबंदी विभाग प्रदेश का सब से भ्रष्ट विभाग है,इस सच को हर व्यक्ति जानता है , जहां भूमि पैमाईश से चकों के आवंटन तक निरंतर किसानों का शोषण किया जाता है।दिलचस्प यह है कि किसी पकड़ से बचने के लिए धन उगाही दलालों के माध्यम से की जाती है जो आमतौर से उसी गांव के किसान ही हुआ करते हैं और वहीं दलाल भ्रष्टाचारियों को बचाने के जिम्मेदार भी होते हैं।
उक्त बातें ” मिशन रिमूव करप्शन” के संचालक एवं हिंदुस्तान मानवाधिकार संस्था के उत्तर प्रदेश कार्यवाहक अध्यक्ष वकार हुसैन ने कैम्प कार्यालय में पत्रकारों से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा! भ्रष्टाचार की इन्हीं शिकायतों को गंभीरता से लेते हुए दो दशक पूर्व जौनपुर तहसील के दक्खिनपट्टी गांव की चकबंदी कार्य को माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद ने रोक दिया था, जिसे बिना माननीय उच्च न्यायालय को संज्ञान में लिए 2022 में पुनः शुरू कर दिया गया जिसके बाद करप्शन का दौर पुनः शुरू हो गया है। श्री हुसैन ने कहा, इन्हीं अनियमिताओं और भ्रष्टाचार की किसानों द्वारा शिकायत पर ही कुछ समय पहले तत्कालीन जिलाधिकारी ने चकबंदी स्टाफ को हटा कर दूसरे कर्मचारियों को लगा दिया था परन्तु फिर भी भ्रष्टाचार नहीं रुक सका है। पत्रकारों से बातें करते हुए श्री हुसैन ने कहा, मैं ने भी इस की शिकायत क्रमशः तीन बार मुख्य मंत्री चकबंदी निदेशक, चकबंदी आयुक्त और जिलाधिकारी आदि को भेजी है, नतीजे में चकबंदी आयुक्त लखनऊ द्वारा चकबंदी विभाग से रिपोर्ट मांगी गई है। श्री हुसैन ने बताया कि,14 दिसंबर को उन्हें चकबंदी विभाग से फोन प्राप्त हुआ, जिस में चकबंदी सहायक अधिकारी ने उन से कहा, आप द्वारा शिकायत की विभाग से रिपोर्ट मांगी गई है,इस लिए कृपया आप दिनांक 16 दिसंबर को हमारे दफ्तर आकर अपना बयान और साक्ष्य दें, जिस पर हमें आश्चर्य हुआ, कि क्या आरोपियों द्वारा जांच तर्क संगत होगी। क्या मुलजिम को ही न्याय का अधिकार उचित है। बताते चलें कि वकार हुसैन भ्रष्टाचार के मुखर विरोधी के रूप में जाने पहचाने जाते हैं, इनके द्वारा शिकायत पर पूर्व में कई भ्रष्टाचारी सजा भी पा चुके है।
श्री हुसैन पहली बार उस समय सुर्खियों में आए थे जब उनके पासपोर्ट आवेदन पर रिपोर्ट लिखने के एवज सरायख्वाजा थाने की पुलिस और एल आई यू ने रिश्वत मांगी थी जिस की शिकायत उन्होंने तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम से कर दी थी, जिसे गंभीरता से लेते हुए इसकी जांच की जिम्मेदारी गृह मंत्रालय को सौंप दी थी,नतीजे में वाराणसी के एस पी द्वारा जांच हुई तो सरायख्वाजा थानाध्यक्ष, हल्का दरोगा, दीवान, मुंशी, दो एल आई यू अधिकारियों सहित कुल छह पुलिस कर्मियों पर मुकदमा कायम हुआ। मिशन रिमूव करप्शन पर बात करते हुए,श्री हुसैन ने कहा, सच के लिए खड़ा होना,जोखिमों से भरा काम है, क्योंकि आज भ्रष्टाचार नीचे से ऊपर तक समान रूप में फैला हुआ है। जब भ्रष्टाचार समंदर में नमक की तरह से घुला हो तो यह मिशन कितना सफल होगा, अंदाजा लगाया जा सकता है।

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