पंकज सीबी मिश्रा/पूर्वांचल लाईफ
जौनपुर : मंगलवार 26 अगस्त को सनातनी परम्परा के अनुसार सुहागिन महिलाएं अपने पति के दीर्घायु और स्वस्थ्य जीवन के लिए महादेव और माता गौरा की विधि विधान से पूजा करेंगी। निर्जला व्रत रहेंगी, मेहंदी से हाथ पर अपने सुहाग का नाम लिखेंगी और उनके लिए दीर्घायु जीवन की कामना करेंगी। कथा के अनुसार, भगवान शिव ने माता पार्वती को उनके पिछले जन्मों का स्मरण कराने के लिए तीज की कथा सुनाई थी। एकबार की बात है माता पार्वती अपने पूर्वजन्म के बारे में याद करने में असर्मथ थीं तब भोलेनाथ माता से कहते हैं कि हे पार्वती! तुमने मुझे प्राप्त करने के लिए 107 बार जन्म लिया था। लेकिन तुम मुझे पति रूप में न पा सकीं लेकिन 108वें जन्म में तुमने पर्वतराज हिमालय के घर जन्म लिया और मुझे वर रूप में प्राप्त करने के लिए घोर तपस्या की। भगवान शिव कहते हैं कि हे पार्वती! तुमने अन्न-जल का त्यागकर पत्ते खाए और सर्दी-गर्मी और बरसात में तुमने हजारों कष्टकर सहकर अपने वचन पर अडिग रहीं। तुम्हारे कष्टों को देखकर तुम्हारे पिताजी बहुत दुखी थे, तब नारद मुनि तुम्हारे घर पधारे और कहा कि मुझे भगवान विष्णु ने भेजा है। उन्होंने मुझसे कहलवाया है कि वह आपकी कन्या से प्रसन्न हैं और विवाह का प्रस्ताव भेजा है। तब पार्वती के पिता खुशी से भगवान विष्णु के साथ विवाह के लिए तैयार हो जाते हैं। नारदमुनि ने भी भगवान विष्णु को यह शुभ संदेश सुना दिया। लेकिन जब यह बात पार्वती को पता चली तब वह बहुत दुखी हुईं। पार्वती ने अपने मन की बात अपनी सखी को सुनाई। तब सखी ने माता पार्वती को घने जंगल में छुपा दिया। जब पार्वती के गायब होने की खबर हिमालय राज को पता चली तब उन्होंने खोजने में धरती-पाताल एक कर दिया लेकिन हे पार्वती! तुम ना मिलीं क्योंकि तुम जंगल में एक गुफा में रेत से शिवलिंग बनाकर मेरी पूजा-पाठ में लीन थीं। हे पार्वती! तुम्हारी पूजा से मैं बहुत प्रसन्न हुआ और तुम्हारी मनोकामना पूरी की। जब हिमालयराज गुफा में पहुंचे तब तुमने अपने पिता को बताया कि मैंने शिवजी को पतिरूप में चयन कर लिया और उन्होंने मेरी मनोकामना पूरी कर दी है। शिवजी ने मेरा वरण कर लिया है। मैं आपके साथ केवल एक शर्त पर चलूंगी कि आप मेरा विवाह भोलेनाथ से करवाने के लिए तैयार हो जाएं। तब हे पार्वती! तुम्हारे पिताजी मान गए और विधि-विधान हमारा विवाह हुआ। हे पार्वती! तुम्हारे कठोर तप और व्रत से ही हमारा विवाह हो सका। हे पार्वती! इस हरियाली तीज को जो भी निष्ठा के साथ करेगा, मैं उसको मनोवांधित फल प्रदान करूंगा। उसे तुम जैसा सुहाग मिलेगा। तब हिंदू धर्म की हर कुंवारी कन्या अच्छे वर की कामना हेतु यह व्रत रखती है। वहीं सुहागन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए इस व्रत को रखती हैं। भविष्य पुराण में देवी पार्वती ने खुद बताया है कि हरियाली तीज का व्रत करने पर महिलाओं को सुहाग और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
सावन महीने में तृतीया तिथि के बाद कई वर्षों की कड़ी तपस्या के बाद देवी पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने का वरदान प्राप्त किया। पत्रकार और सनातनी पंकज सीबी मिश्रा ने बताया कि हरितालिका तीज व्रत के लिए सभी महिलाएं प्रातः ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान कर और साफ, स्वच्छ कपड़े पहनें और सुबह 6 बजे से 9 बजे के मध्य ही “उमामहेश्वरसायुज्य सिद्धये हरितालिका व्रतमहं करिष्ये” मंत्र का उच्चारण कर व्रत का संकल्प लें। घर के पूजा स्थल की सफाई करें और पूजा के लिए चौकी पर लाल या पीला कपड़ा बिछाएं। चौकी पर शिव-पार्वती और गणेश जी की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें। गौरी-शंकर की मिट्टी की प्रतिमा बनाएं और उन्हें पूजन में शामिल करें। महिलाएं 16 श्रृंगार करें और पूजा में धूप, दीप, चंदन, अक्षत, फूल, फल, पान, सुपारी, कपूर, नारियल, बेलपत्र, शमी पत्र आदि आवश्यक सामग्री रखें। कलश में जल भरें, आम के पत्ते रखें और ऊपर नारियल रखकर कलश स्थापना करें। शिव परिवार को गंगाजल से स्नान कराएं, फिर धूप-दीप जलाकर पूजा करें और आरती करें। हरितालिका तीज की कथा सुनें और रात्रि में भजन-कीर्तन तथा जागरण करें।
अगले दिन सुबह माता पार्वती को सिंदूर चढ़ाकर व्रत का पारण करें।