जौनपुर। भीषण गर्मी में जब शहर के तमाम इलाकों में पानी के संकट से जनता जूझ रही है, ऐसे में लायन्स क्लब जौनपुर मेन द्वारा ताड़तला मोड़ पर लगाया गया वाटर कूलर प्याऊ कहीं प्रचार का हथकंडा तो नहीं बनकर रह गया है? संस्था ने भले ही इसे जनसेवा बताकर उद्घाटन का आयोजन किया, लेकिन स्थानीय लोग सवाल उठा रहे हैं कि एक या दो प्याऊ से कितने लोगों को राहत मिल पाएगी?
लायन्स इंटरनेशनल फाउंडेशन की ग्रांट से लगाए गए इस वाटर कूलर के नाम पर फीता काटने और फोटो खिंचवाने की रस्में तो खूब निभाई गईं, लेकिन क्या सच में इसका लाभ आम राहगीरों को मिल रहा है? या फिर यह भी उन कई अभियानों की तरह है जो उद्घाटन के बाद देखरेख के अभाव में कुछ ही दिनों में बंद हो जाते हैं।
स्थानीय नागरिकों का कहना है कि शहर में गर्मी और धूप से राहत के लिए सार्वजनिक स्थानों पर पानी की पर्याप्त व्यवस्था होनी चाहिए थी। एक-आध स्थान पर वाटर कूलर लगा देने से वास्तविक समस्या का हल नहीं निकलता। कई बार ऐसे प्याऊ कुछ दिनों बाद खराब हो जाते हैं और फिर उन्हें कोई देखने तक नहीं आता।
इसके अलावा, सवाल यह भी उठता है कि यदि संस्था जनसेवा को लेकर इतनी ही संजीदा है तो फिर ऐसे काम गोपनीय रूप से और निरंतर क्यों नहीं किए जाते? हर बार कैमरे, बैनर और नेताओं की मौजूदगी में उद्घाटन कर पब्लिसिटी पाने की कोशिश जनकल्याण से ज्यादा छवि निर्माण का प्रयास लगता है।
लायन्स क्लब के पदाधिकारी भले ही इसे पुण्य का कार्य बता रहे हों, लेकिन असल में ऐसे दिखावटी आयोजन केवल तात्कालिक राहत के प्रतीक होते हैं, स्थायी समाधान नहीं। शहर के अन्य क्षेत्रों में भी पानी की किल्लत है, लेकिन उन इलाकों के लिए कोई योजना या ध्यान नजर नहीं आता।
जनता की उम्मीदें केवल समारोहों से नहीं, स्थायी, व्यापक और निष्कलंक सेवा कार्यों से पूरी होती हैं। अगर लायन्स क्लब वाकई गर्मी में राहत देना चाहता है, तो उसे प्रचार से आगे बढ़कर हर ज़रूरतमंद क्षेत्र में ऐसी सुविधाएं देनी होंगी बिना उद्घाटन की शर्त के।