अजादारों ने नम आँखों से मौला अली को किया याद
पूर्वांचल लाइफ/तामीर हसन शीबू
जौनपुर। शहर के मोहल्ला ख्वाजा दोस्त, पोस्तीखाना में शुक्रवार सुबह 20वीं रमज़ान का गमगीन और अकीदतमंद माहौल देखने को मिला, जब मौला अली के ताबूत का पारंपरिक जुलूस निकाला गया। जुलूस में शामिल रोज़ेदारों और अकीदतमंदों ने शबीह-ए-मुबारक की ज़ियारत के लिए अपने हाथ बुलंद किए और नम आँखों से मौला अली की शहादत को याद करते हुए आँसुओं का पुरसा पेश किया।
सोज़खानी से हुई जुलूस की शुरुआत, मातम और नौहों से गूंजा माहौल
जुलूस की शुरुआत सोज़खानी से हुई, जिसे गौहर ज़ैदी ने बेहद दर्द भरे अंदाज में पेश किया। इसके बाद अकबरपुर से आए मौलाना सेराज मेहदी अकबरपुरी ने मजलिस को खिताब किया। उन्होंने मौला अली की ज़िन्दगी, उनकी शहादत और इस्लाम के लिए किए गए उनके बलिदानों पर रोशनी डाली।
मजलिस के दौरान माहौल गमगीन हो गया और अजादारों की आँखों से आंसू छलक पड़े। मौलाना के बयान के बाद अंजुमन मजलूमिया के नौहाख़्वानों ने नौहा और मातम पेश किया, जिससे पूरा इलाका ग़म और अकीदत से भर उठा
नंगे पांव चलकर अजादारों ने पेश किया मौहब्बत और ग़म का नज़ारा
जुलूस अपने कदीमी रास्ते से होता हुआ इमामबाड़ा मीर सख़ावत हुसैन तक पहुँचा, जहाँ इसके समाप्ति की रस्म अदा की गई। जुलूस के आगे बढ़ते ही अजादार सिर झुकाए नंगे पाँव मौला अली की याद में मातम करते हुए आगे बढ़ते गए।
कई रोज़ेदारों ने अपनी आस्था और अकीदत के साथ जियारत की और मौला अली की शहादत को याद करते हुए दुआएं मांगी। पूरे रास्ते में या अली, या हुसैन की सदा गूंजती रही, जिससे माहौल गमगीन हो गया।
अमन और भाईचारे का पैग़ाम
जुलूस में शामिल लोगों ने न सिर्फ मौला अली की शहादत पर ग़म का इज़हार किया, बल्कि उनके बताए गए इंसाफ़, इंसानियत और भाईचारे के संदेश को भी आत्मसात करने का संकल्प लिया। यह जुलूस सिर्फ ग़म और मातम का नहीं, बल्कि सब्र, हौसले और इंसानियत की मिसाल का भी प्रतीक रहा।
इस गमगीन माहौल में अजादारों ने दुआ की कि दुनिया में अमन और इंसाफ़ कायम रहे और हर किसी को मौला अली की सीरत से सीखने की तौफ़ीक़ मिले।