जौनपुर के सीमांत गाँव अजाऊर में मुकुंद मन्दिर में कृष्णदास किंकर मन्दिर पुजारी (फतेबहादुर सिंह वय 92 बर्ष) ने राधाष्टमी के पावन पर्व पर कथा के दौरान बताया कि राधा की पूजा श्री कृष्ण के बिना अधूरी है। अतः दोनो राधा कृष्ण के युगल छवि को हृदय में धारण कर पूजा करनी चाहिए। कथा के दौरान कथा व पूजन विधान पर भी प्रकाश डाला जिससे भक्तो को सही व पूरी जानकारी मिले।
उन्होने कथा विस्तार में बताया कि कृष्ण के जन्म दिन भाद्रपद कृष्ण पक्ष की अष्टमी से पन्द्रह दिन पश्चात् शुक्ल पक्ष की अष्टमी को दोपहर अभिजित मुहूर्त में श्री राधा जी का प्राकट्य हुआ था। मान्यता है कि राजा वृषभानु और उनकी धर्मपत्नी श्री कीर्ति ने इस कन्या को गोद लेकर तथा अपनी पुत्री मानकर पालन-पोषण किया।
ब्रह्मकल्प, वाराहकल्प और पाद्मकल्प इन तीनों कल्पों में श्री राधा जी का, कृष्ण की परम् शक्ति के रूप में वर्णन किया गया है, जिन्हें भगवान् श्री कृष्ण ने अपने वामपार्श्व से प्रकट किया है। तभी वेद-पुराणादि इन्हें कृष्णवल्लभा कृष्णात्मा कृष्ण प्रिया आदि नामों से भी गुणगान करते हैं।
धार्मिक पौराणिक मान्यता के अनुसार जब श्री विष्णु का कृष्ण अवतार में जन्म लेने का समय आया तो उन्होंने अपने अनन्य भक्तों को भी पृथ्वी पर चलने का संकेत किया। तभी विष्णु जी की पत्नी लक्ष्मी जी, राधा के रूप में पृथ्वी पर अवतरित हुई।
राधा रानी के बिना कृष्ण जी की पूजा अधूरी मानी गई है। धार्मिक मान्यता है कि राधाष्टमी के व्रत के बिना कृष्ण जन्माष्टमी के व्रत का पूरा पुण्य प्राप्त नहीं होता है। राधाअष्टमी के दिन राधा और कृष्ण दोनों की पूजा का विधान है।
सूर्योदय से पहले उठें, स्नान करें और नए वस्त्र धारण करें।
एक चौकी पर लाल या पीले रंग का कपड़ा बिछाकर उस पर श्री कृष्ण और राधा जी की प्रतिमा स्थापित करें। एक कलश पर नारियल रखकर साथ ही स्थापित करें।
पंचामृत से स्नान कराएं, सुंदर वस्त्र पहनाकर दोनों का श्रृंगार करें। कलश पूजन के साथ राधा कृष्ण की पूजा भी करें। उन्हें फल-फूल और मिष्ठान अर्पित करें।
राधा कृष्ण के मंत्रो का जाप करें, कथा सुने, राधा कृष्ण की आरती अवश्य गाएं। हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। इस मंत्र का जाप कर अपनी वाणी को पवित्र करें। श्री राधे रानी की कृपा ऐसे भक्त पर सदैव बनी रहती है। कथा विश्राम के बाद देर रात तक भजन कीर्तन से भक्तिमय वातावरण सृजित कर सनातनी अमृत कथा श्रवण कराई गई। श्री राधे राधे राधे वरसाने वाली राधे के मोहक भजन ने सभी के हृदय पटल पर अमिट छाप छोडी है। इस धार्मिक आयोजन में सैकड़ो भक्तो को कथा प्रसाद फल व मिष्ठान एवं महाप्रसाद भोजन से तृप्त किया गया। श्री राधा कृष्ण की अमृत कथा से मानव जीवन सफल बनता है और जीवन के सारे कष्ट व पाप नष्ट हो जाते हैं।इसलिए कथा का आयोजन मनुष्य को अवश्य कराना चाहिए।