सियासी कार्यकर्ता बोले : अब ना चेते सरकार तो जाएगी कईयों की विधायकी

Share

जौनपुर : राजनीति का एक सिद्धांत है गिव एंड टेक और उसमें भी जब आप केवल टेक या केवल गिव पर खड़े रहने का प्रयास करेंगे तो वैसे ही फिसलेंगे जैसे विगत लोकसभा में बीजेपी फिसली। जनपद के पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक पंकज सीबी मिश्रा नें कहा, जब कोई दल अपार लोकप्रियता प्राप्त कर लेता है तो शीर्ष पर बैठे नेताओं को आईना दिखाने की हिम्मत किसी में नहीं रहती, पर बदलापुर विधायक नें दिलेरी का काम किया और वह सच पेश किया जिसे कबूल कर पार्टी कों मंथन और चिंतन करना चाहिए। सियासत में आप अगर बेबाक होते है तो ट्रोल आर्मी आपके पीछे लगा दी जायेगी यहीं हुआ बदलापुर बीजेपी विधायक रमेश चंद्र मिश्रा के साथ जिन्हे अब पार्टी के इशारे पर ट्रोल किया जा रहा पर उनके समर्थक अंधे और बहरे नहीं। खैर उन्होंने जो भी कहा यह उनका निजी मामला है और बतौर पत्रकार मै उसपर कोई टिका टिप्पणी नहीं कर रहा। धीरे धीरे शीर्ष नेताओं में कुछ ऐसी प्रवृत्तियां पनपने लगती हैं जो जनता को तानाशाही की ओर जाती प्रतीत होती हैं जिसे समय रहते ठीक करना होता है। इंदिरा गांधी ने लोकतंत्र और संविधान का गला घोटा तो तत्कालीन विपक्ष और समूची जनता ने उन्हें तानाशाह माना। ऐसा ही नेरेटिव विपक्ष ने मोदी और उनकी सरकार के खिलाफ़ गढ़ा जिसका लोकसभा में विपक्ष को जबरदस्त फायदा हुआ, यद्यपि आम वोटरों ने तानाशाह वाले प्रचार को खारिज कर दिया। बहरहाल बीजेपी अपने बूते पूर्ण बहुमत हासिल नहीं कर पाई किन्तु सरकार बनाने और इतिहास रचने में कामयाब रहीं। इससे पूर्व अपार बहुमत के बीच से ही विरोध के सुर गूंजने लगे थे। यूपी में तीन भाजपा विधायकों ने अपनी पार्टी के भविष्य पर प्रश्न चिन्ह लगाते हुए बयान दिए हैं। सात राज्यों की तेरह विधानसभा सीटों के उप चुनाव परिणाम बीजेपी के लिए खतरे की घंटी है। बीजेपी 13 में से कुल 2 सीटें हासिल कर पाई। जिस उत्तराखंड में हाल ही में बीजेपी ने पांचों लोकसभा सीटें जीती थी, उपचुनाव में दोनों सीटों पर पराजय मिली। यहां तक कि बद्रीनाथ धाम की सीट भी भाजपा उसी तरह हारी, जैसे लोकसभा चुनाव में अयोध्या, चित्रकूट और प्रयागराज की हारी। बीजेपी के सामने यूपी की 10 सीटों पर होने जा रहे विधानसभा उपचुनाव एक बार फिर से लोकप्रियता का लिटमस टैस्ट साबित होने वाले हैं। कल के परिणामों में इंडिया को 10 और बीजेपी को 2 सीट हासिल हुई। क्या यूपी के उपचुनाव में बीजेपी दसों सीटें जीतकर सबको चौंका पाएगी ? या फिर यूपी के चुनाव परिणाम वैसे ही रहेंगे जैसा बदलापुर विधायक नें इशारा किया ! गिरीशचंद्र यादव आखिर मंत्री पद पर रहकर अपने समाज का भला तो कर रहें पर अपने समाज के वोटरों कों क्यों नहीं खींच पा रहे। क्यों यूपी के विधायकों में असंतोष बढ़ रहा ! निश्चित रूप से इंडी अलायन्स का उत्साह इस समय सातवें आसमान पर है। यह स्वाभाविक भी है। बात ठीक है कि बीजेपी में चिंतकों की कमी नहीं। पार्टी में उठ खड़ा होने की भी सबसे बड़ी ताकत है। लेकिन उसे पार्टी के कांग्रेसीकरण से बाज आ जाना चाहिए। मोदी और शाह को पार्टी उम्मीदवारों का चयन अपने हाथ में रखने की नीति भी छोड़नी पड़ेगी, राज्य नेताओं और छोटे कार्यकर्ताओं को सम्मान देना पड़ेगा। यूपी के थानो और चौकियों में कार्यकर्ताओं की हनक बनवानी पड़ेगी ताकि आम आदमी और गरीब तबके के लिए लड़ाई बिना भय के लड़ी जा सकें। 2027 में और प्रयोग करने से भी बाज आ जाइए और वर्तमान विधायकों को साइड लाइन करने का विचार त्याग दीजिए, पछताएंगे ? सच कहें तो आरएसएस की उपेक्षा भी छोड़िए और पार्टी से जुड़े कार्यकर्ताओं को टिकट बांटिए। यूपी में 33 सीट भले मिली हों लेकिन काशी की जीत बहुत कम प्रभावशाली रही है। सही बात है कि बीजेपी सरकार ने 10 वर्षों में बेशुमार काम किए हैं। बस निष्ठावान और दरियां बिछाने वाले कार्यकर्ताओं को आगे लाइए। पार्टी के कांग्रेसीकरण से निष्ठावान कार्यकर्ता बुरी तरह निराश है, वोटरों कों ना जुटा पाने के कारण कार्यकर्ता घर बैठ गया है। एक बात और बता दें और जनता भी ऐसा ही मानती है। बीजेपी में मोदी के बाद अमित शाह नहीं, कोई पीएम मेटीरियल है तो वह है योगी योगी और केवल योगी। बीजेपी के पास मोदी फेस है, यह बड़ी बात है। लेकिन लंबी परियां खेलनी हैं राज्यों में नेतृत्व खड़ा कीजिए। विरोधी दलों का गठबंधन एक हकीकत है, जिसे सभी को स्वीकार करना चाहिए और अब नेक टू नेक खेलिए और जबड़ा तोड़ मुकाबला कीजिये, बदलापुर विधायक से लेकर आम कार्यकर्ता तक के विचारों कों गंभीरता से लीजिये तभी आइये संगठनात्मक नियुक्ति और अगले चुनाव में वरना अभी से रख दीजिये तीर कमान।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!