मराठा आरक्षण क्या कोर्ट में टिक पाएगा, चर्चा शुरू
पूर्वांचल लाईफ / हंसराज कनौजिया
मुंबई : मराठा समुदाय को शिक्षा और नौकरियों में 10 फीसदी आरक्षण देने वाले बिल को विधानसभा में सर्वसम्मति से मंजूरी मिल गई है। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने विधानमंडल से घोषणा की है कि हमने ओबीसी समुदाय के आरक्षण को प्रभावित किए बिना मराठा समुदाय को नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण देने का फैसला किया है। मुख्यमंत्री ने विधानमंडल के विशेष सत्र में मराठा समुदाय को शिक्षा और नौकरियों में 10 प्रतिशत आरक्षण देने का विधेयक पेश किया। विधेयक को विधायिका के सभी सदस्यों ने सर्वसम्मति से मंजूरी दे दी। इस बीच इस पर अलग-अलग राजनीतिक प्रतिक्रियाएं आनी शुरू हो गई हैं। क्या यह आरक्षण अदालत में भी टिकेगा? इसे लेकर चिंता भी व्यक्त की जा रही है। हालांकि, मराठा समुदाय तीन दशकों से अधिक समय से आरक्षण की मांग कर रहा है। लेकिन ये मांग कभी पूरी नहीं हुई।2013 में पृथ्वीराज चव्हाण की सरकार ने मराठा आरक्षण बिल पेश किया। उस वक्त विधानसभा ने मराठा समुदाय को 16 फीसदी आरक्षण देने वाले विधेयक को मंजूरी दे दी थी। हालांकि ये आरक्षण हाईकोर्ट में टिक नहीं सका।इसके बाद 2018 में देवेंद्र फड़नवीस सरकार ने मराठा समुदाय के लिए 13 फीसदी आरक्षण की घोषणा की। दरअसल ये आरक्षण भी सुप्रीम कोर्ट में टिक नहीं सका। अब एकनाथ शिंदे सरकार ने मराठा समुदाय के लिए 10 फीसदी आरक्षण की घोषणा की है। क्या ये आरक्षण कोर्ट में टिक पाएगा? साथ ही मराठा समुदाय का आरक्षण लगातार क्यों कम किया जा रहा है? ऐसे सवाल उठ रहे हैं। इस पर उपमुख्यमंत्री देवेन्द्र फड़णवीस ने जवाब दिया है। देवेंद्र फड़णवीस ने कहा, इस समय पृथ्वीराज चव्हाण की सरकार ने मराठा समुदाय को 16 फीसदी आरक्षण दिया था। लेकिन कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया। हमने मराठा समुदाय को फिर से 16 प्रतिशत आरक्षण दिया। लेकिन, कोर्ट ने तार्किक रूप से इसमें कुछ बदलाव किये। कोर्ट के निर्देश के मुताबिक मराठा समुदाय को नौकरियों में 12 फीसदी और शिक्षा में 13 फीसदी आरक्षण दिया गया। लेकिन वह आरक्षण भी टिक नहीं सका। देवेंद्र फड़नवीस ने कहा, अब राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग ने सुप्रीम कोर्ट के मानदंडों के आधार पर कुछ बदलावों का सुझाव दिया है। पिछड़ा वर्ग आयोग ने न्यायालय के मानदंडों के अनुसार राज्यव्यापी निरीक्षण किया। उस निरीक्षण से उन्होंने हमें एक तरह की रिपोर्ट दी। उस रिपोर्ट के अनुसार हमने आरक्षण का प्रतिशत तय किया है। पिछड़ा वर्ग आयोग द्वारा हमें दी गई रिपोर्ट का अध्ययन करने और समय-समय पर न्यायालय द्वारा पारित आदेशों का अध्ययन करने के बाद, हमने वह निर्णय लिया है जो न्यायालय के दायरे में फिट बैठता है। एक सरकार के तौर पर हमें ऐसे फैसले लेने होंगे। उपमुख्यमंत्री ने कहा, आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिए 10 फीसदी आरक्षण दिया गया।इसी तरह, हमने सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों के तहत 10 प्रतिशत आरक्षण दिया है।तरुणमित्र / हंसराज कनौजिया
मुंबई : मराठा समुदाय को शिक्षा और नौकरियों में 10 फीसदी आरक्षण देने वाले बिल को विधानसभा में सर्वसम्मति से मंजूरी मिल गई है। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने विधानमंडल से घोषणा की है कि हमने ओबीसी समुदाय के आरक्षण को प्रभावित किए बिना मराठा समुदाय को नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण देने का फैसला किया है। मुख्यमंत्री ने विधानमंडल के विशेष सत्र में मराठा समुदाय को शिक्षा और नौकरियों में 10 प्रतिशत आरक्षण देने का विधेयक पेश किया। विधेयक को विधायिका के सभी सदस्यों ने सर्वसम्मति से मंजूरी दे दी। इस बीच इस पर अलग-अलग राजनीतिक प्रतिक्रियाएं आनी शुरू हो गई हैं। क्या यह आरक्षण अदालत में भी टिकेगा? इसे लेकर चिंता भी व्यक्त की जा रही है। हालांकि, मराठा समुदाय तीन दशकों से अधिक समय से आरक्षण की मांग कर रहा है। लेकिन ये मांग कभी पूरी नहीं हुई।2013 में पृथ्वीराज चव्हाण की सरकार ने मराठा आरक्षण बिल पेश किया। उस वक्त विधानसभा ने मराठा समुदाय को 16 फीसदी आरक्षण देने वाले विधेयक को मंजूरी दे दी थी। हालांकि ये आरक्षण हाईकोर्ट में टिक नहीं सका।इसके बाद 2018 में देवेंद्र फड़नवीस सरकार ने मराठा समुदाय के लिए 13 फीसदी आरक्षण की घोषणा की। दरअसल ये आरक्षण भी सुप्रीम कोर्ट में टिक नहीं सका। अब एकनाथ शिंदे सरकार ने मराठा समुदाय के लिए 10 फीसदी आरक्षण की घोषणा की है। क्या ये आरक्षण कोर्ट में टिक पाएगा? साथ ही मराठा समुदाय का आरक्षण लगातार क्यों कम किया जा रहा है? ऐसे सवाल उठ रहे हैं। इस पर उपमुख्यमंत्री देवेन्द्र फड़णवीस ने जवाब दिया है।
देवेंद्र फड़णवीस ने कहा, इस समय पृथ्वीराज चव्हाण की सरकार ने मराठा समुदाय को 16 फीसदी आरक्षण दिया था। लेकिन कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया। हमने मराठा समुदाय को फिर से 16 प्रतिशत आरक्षण दिया। लेकिन, कोर्ट ने तार्किक रूप से इसमें कुछ बदलाव किये। कोर्ट के निर्देश के मुताबिक मराठा समुदाय को नौकरियों में 12 फीसदी और शिक्षा में 13 फीसदी आरक्षण दिया गया। लेकिन वह आरक्षण भी टिक नहीं सका।
देवेंद्र फड़नवीस ने कहा, अब राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग ने सुप्रीम कोर्ट के मानदंडों के आधार पर कुछ बदलावों का सुझाव दिया है। पिछड़ा वर्ग आयोग ने न्यायालय के मानदंडों के अनुसार राज्यव्यापी निरीक्षण किया। उस निरीक्षण से उन्होंने हमें एक तरह की रिपोर्ट दी। उस रिपोर्ट के अनुसार हमने आरक्षण का प्रतिशत तय किया है। पिछड़ा वर्ग आयोग द्वारा हमें दी गई रिपोर्ट का अध्ययन करने और समय-समय पर न्यायालय द्वारा पारित आदेशों का अध्ययन करने के बाद, हमने वह निर्णय लिया है जो न्यायालय के दायरे में फिट बैठता है। एक सरकार के तौर पर हमें ऐसे फैसले लेने होंगे। उपमुख्यमंत्री ने कहा, आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिए 10 फीसदी आरक्षण दिया गया।इसी तरह, हमने सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों के तहत 10 प्रतिशत आरक्षण दिया है।