बापू तेरे देश में पुलिस अंग्रेज के भेष में

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पुलिस की बर्बरता कही ना कही अंग्रेज़ पुलिस की कहानी बया करती हैं

उत्तर प्रदेश/जौनपुर
भारत जब अंग्रजो का गुलाम हुआ करता था तो उस समय कोई व्यक्ति अंग्रेज़ी हुकूमत के किसी अधिकारी के खिलाफ शिकायत करने जाता था तो अंग्रेज पुलिस उसे इंसाफ़ दिलाने के बजाय उल्टा फरियादी को ही सजा सुनाते हुए उस पर मुक़दमा दर्ज कर उसे सलाखों के पीछे पहुंचा देती थी। कुछ इसी तरह जौनपुर पुलिस का एक मामला प्रकाश में आया है जहाँ पुलिस द्वारा एक युवक को दूसरे थाना क्षेत्र से गिरफ्तारी दिखा कर उस पर मुक़दमा पंजीकृत किया जाना चर्चा का विषय बना हुआ है। जो प्रदेश की योगी सरकार की पुलिस पर सवालिया निशान खड़ा कर रहा है।

बताते चलें कि जौनपुर नगर कोतवाली थाना क्षेत्र अंतर्गत पालटेक्निक चौराहा निकट लोहिया पार्क में 27 दिसम्बर 2023 की शाम लगभग 5:00 बजे लाइन बाजार थाने का एक युवक दो युवतियों के साथ पार्क में रील “वीडियो” बना रहा था, जिसके बारे में बताया जा रहा हैं कि वह सभी लाइन बाजार थाने के सिपाही है। जो सादे वर्दी में दो महिला पुलिस कर्मियों के साथ रील वीडियो बना रहा था कि जिस पर सिकरारा थाना क्षेत्र के एक गांव के एक युवक हरिओम यादल की निगह पड़ते ही सिर मुढ़ाते ओले पड़ने जैसी कहावत चरितार्थता हो गई।

पीड़ित युवक नगर के लोहिया पार्क में अपने ममेरे भाई मकरंद यादव के साथ दोनों टहल रहे थे कि वहां पहले से मौजूद एक युवक दो युवतियों के साथ वीडियो रील बना रहा था, कि हरिओम की निगाह उधर पड़ गई तो वह देखने लगा इतने में रील बना रहे युवक ने उक्त युवक को भद्दी भद्दी गालियां देने लगा जब हरिओम ने इसका विरोध किया और कहने लगा कि पार्क में टहल रहे हैं और लोग भी देख रहे हैं उसी तरह मेरी भी निगाह पड़ गई तो मैं भी देखने लगा तो क्या बुरा किया इस पर उक्त युवक ने हरिओम का कलर पड़कर मारने पीटने लगा।

पार्क में दो युवतियों के साथ मौजूद युवक जब हरिओम को पीट रहा था तो उसके मामा का पुत्र बीच बचाव करने लगा तो रील वीडियो बना रहे युवक ने अपने साथियों को फोन कर लोहिया पार्क बुला लिया, रील बना रहे युवक द्वारा फोन करने पर पुलिस वर्दी में आए कुछ लोगों ने हरिओम और उसके मामा के लड़के को लाइन बाजार थाने लेकर चले गए उक्त हरिओम को तब पता चला कि लोहिया पार्क में रील वीडियो बनाने वाला युवक और युवतियाँ पुलिस विभाग के कर्मी है जिसका नाम विशाल है जो लाइन बाजार थाने में कांस्टेबल की पद पर कार्यरत है जो लोहिया पार्क में दो युवतियों के साथ सिविल ड्रेस में आया था जो रील वीडियो बना रहा था जिसके साथ आई युवतियाँ भी सिविल ड्रेस में थी।

बताया जा रहा हैं कि उक्त विशाल नामक सिपाही द्वारा लाइन बाजार थाने से तीन अन्य लोगों को बुलाया गया जिसमें पंकज नाम के एक पुलिस कर्मियों के साथ अन्य तीन लोग आए और हरिओम यादव को लाइन बाजार थाने लेकर चले गए। जबकि लोहिया पार्क नगर कोतवाली हलका क्षेत्र में पड़ता है के बावजूद यदि हरिओम की कोई गलती थी तो उसे लाइन बाजार थाने ना ले जाकर कोतवाली थाना ले जाना चाहिए था। यहाँ पर लाइन बाजार थाना पुलिस का कारनामा पूर्णरूप से संदिग्ध प्रतीत होता हैं, जिस पर पुलिस के आलाधिकारियों द्वारा लीपापोती कर अपने पुलिस कर्मियों को बचाने की जुगत में लग जाना बताया जा रहा हैं। और उल्टा शिकायतकर्ता पीड़ित युवक को महिला पुलिस कर्मी के साथ बदतमीजी करने व फब्तिया कसने के आरोप में महिला पुलिसकर्मी का 164 में बयान दर्ज कराकर मुक़दमा पंजीकृत कर जेल भेजने की कहानी का हवाला देते हुए आखिरकार पीड़ित हरिओम से उक्त पुलिस कर्मियों के खिलाफ कोई कार्यवाही ना करने का सुलहनामा लिखवाने के साथ अपनी शिकायत वापस लेने का मामला प्रकाश में आया हैं।

सूत्र बता रहे हैं कि हरिओम को थाने में ले जाकर इतना पीटा गया कि पुलिस की बर्बरता की कहानी हरिओम के चेहरे से लेकर उसके शरीर के गुप्त अंग स्पष्ट रूप से बया कर रहा हैं। थाना पुलिस का कारनामा यही नहीं समाप्त हुआ हद तो तब हो गई, लोहिया पार्क में 27 दिसम्बर की हुई घटना पर पूरी तरह से पर्दा डालते हुए पूरी रात हरिओम को थाने में रखने के बाद दूसरे दिन वाजिदपुर की एक घटना दर्शाकर 151/107/116 सीआरपीसी की धारा में चालान किया गया। जबकि लोहिया पार्क के चौकीदार सुरेश चंद्र यादव ने बताया कि 27 दिसम्बर को मारपीट की घटना हुई थी जिसके बारे में जानकारी होते ही उसने कोतवाली थाना पुलिस को फोन द्वारा सूचित किया था लेकिन जब तक कोतवाली पुलिस पहुचती तब तक रील बना रहे उक्त लाइन बाजार के पुलिस कर्मी ने अपने पुलिस साथियों को बुला कर हरिओम और उसके मामा के पुत्र को अपने साथ थाने लेकर चली गई।

बताया जा रहा हैं कि जिस दिन हरिओम के साथ यह घटना घटित हुई थी उस घटना की रिकार्डिग पार्क में लगे सीसीटीवी कैमरे में कैद जरुर हुई होगी। लेकिन पुलिस के उच्चाधिकारियो को शिकायत मिलने के बावजूद पार्क में लगे सीसीटीवी फुटेज को खंगालना मुनासिब नहीं समझा गया बल्कि उल्टा पीड़ित को सलाखों का भय दिखाकर आखिरकार सुलह समझौता कराया गया। इस तरह के मामले को देखने के पश्चात किसी को भी अंग्रेज पुलिस की बर्बरता की कहानी याद आ जाएगी जिसके बारे में लोग सुनते व पढ़ते चले आ रहे हैं।

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