जौनपुर। अंतत: नये शिक्षा सेवा आयोग ने न केवल मूर्तरूप ले लिया है बल्कि इसने कई सारी शंकाओं और चिन्ताओं को भी जन्म दिया है। विशेषरूप से माध्यमिक शिक्षा के सम्बन्ध में।नए आयोग के गठन की अधिसूचना के साथ ही माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन आयोग का अस्तित्व भी समाप्त हो गया है।और साथ ही चयन बोर्ड अधिनियम भी। इसके साथ ही माध्यमिक शिक्षकों की सेवा – सुरक्षा के साथ-साथ नियुक्ति, पदोन्नति, दंड एवं पुरस्कार सब कुछ लाल फीताशाही एवं लेट- लतीफी का शिकार हो जाएगा।इसका मुख्य कारण,1921 ई0 के मा0 शिक्षा अधिनियम के विभिन्न उपबंध हैं, जिससे उत्पन्न कठिनाइयों के परिणामस्वरूप होने वाले शोषण के खिलाफ उ0प्र0मा0 शिक्षक संघ ने लगातार आन्दोलन कर प्रदेश सरकार द्वारा मा0 शिक्षा सेवा चयन बोर्ड और अधिनियम, अधिनियमित कराया था। नया आयोग जो 1921 के मा0शिक्षा अधिनियम के अनुसार माध्यमिक शिक्षकों के सम्बन्ध में अग्रेतर कार्यवाहियां करेगा उसमें जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालयों एवं प्रबन्धकों की लेट-लतीफी और तानाशाही से नयी समस्याएं खडी होंगी जो अंततः मा0 शिक्षा को चौपट कर देंगी। इससे बचने के लिए आवश्यक है कि चयन बोर्ड अधिनियम के सभी उपबंधों को यथावत बनाए रखते हुए मा0 शिक्षकों के सम्बन्ध में नया शिक्षा सेवा आयोग, पुराने मा0शिक्षा सेवा आयोग/चयनबोर्ड की भांति कार्य करते हुए अपने अधिकारों का प्रयोग करे।
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