एडीजी जोन का एक्शन:कहा प्रधानाचार्य हत्याकांड में लापरवाही बर्दाश्त नहीं

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संदिग्ध गतिविधियों वाले 12 हिरासत में, पूछताछ जारी

धनंजय राय ब्यूरो/पूर्वांचल लाईफ

भदोही जिले में इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य योगेंद्र सिंह की हत्या के बाद वाराणसी के एडीजी जोन पीयूष मोर्डिया भदोही पहुंचे। एसपी व अन्य पुलिसकर्मियों के साथ वह घटनास्थल पर पहुंचे और क्राइम सीन को देखे। उन्होंने प्रधानाचार्य हत्याकांड को लेकर नाराजगी जताते हुए जल्द खुलासे का निर्देश दिया। कहा कि इस मामले में लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी जल्द से जल्द खुलासा चाहिए। भदोही कोतवाली के बसावनपुर गांव में इंटर कॉलेज के कार्यवाहक प्रधानाचार्य हत्याकांड में हत्यारों की तलाश को पुलिस दिनभर हाथ-पैर मार रही है। पुलिस अलग-अलग जगहों से 12 लोगों को हिरासत में लेकर पूछताछ कर रही है। पुलिस के हाथ कोई ठोस सुराग नहीं लगा। दूसरी तरफ प्रधानाचार्य योगेंद्र सिंह का वाराणसी के मणिकर्णिका घाट पर अंतिम संस्कार किया गया। उनकी अंतिम यात्रा में बड़ी संख्या में शिक्षक, समाजसेवी मौजूद रहे। दोपहर दो बजे गांव से शव वाराणसी के लिए रवाना हुआ। भदोही के हरियावं स्थित इन्द्र बहादुर सिंह नेशनल इंटर कॉलेज के कार्यवाहक प्रधानाचार्य योगेन्द्र बहादुर सिंह का सोमवार की सुबह करीब नौ बजे बाइक सवार बदमाशों ने ताबड़तोड़ गोलियां मारकर हत्या कर दी थी। वह अमिलौरी गांव स्थित अपने आवास से करीब पौने नौ बजे कॉलेज के लिए रवाना हुए थे। प्रधानाचार्य की हत्या के बाद पूरे जनपद में आक्रोश है। प्रधानाचार्य के गांव में सियापा पसरा रहा। प्रधानाचार्य के परिजनों के करूण क्रंदन से गांव का माहौल गमगीन था। उनकी पत्नी किरण सिंह रोते-रोते अचेत हो जा रही थीं। दूसरी तरफ पुलिस हत्यारों की गिरफ्तारी के लिए दिनभर खाक छानती रही। पुलिस ने गांव जाने वाले हर रास्ते में करीब डेढ़ दर्जन से अधिक सीसी कैमरे खंगाले, लेकिन पुलिस के हाथ कोई ठोस सुराग नहीं लग पा रहा है। बताया जा रहा है कि पुलिस ने अलग-अलग स्थानों से 12 लोगों को उठाया है। जिसमें एक ऑटो चालक भी है, जो 1997 में हुए शिक्षक योगेन्द्र सरोज हत्याकांड का प्रत्यक्षदर्शी था। एएसपी डॉ. तेजबीर सिंह ने बताया कि पुलिस जांच कर रही है। हत्यारोपियों की तलाश हो रही है।

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27 साल पहले हुई हत्या और जमीन विवाद से कड़ी जोड़ रही जिले की पुलिस

भदोही। इंद्र बहादुर सिंह नेशनल इंटर कॉलेज के कार्यवाहक प्रधानाचार्य योगेन्द्र सिंह की हत्या के बाद पुलिस 27 साल पुरानी एक ऐसी ही घटना और पांच बीघा जमीन के विवाद की रंजिश को वजह मानकर जांच कर रही है। दरअसल, वर्ष 1997 में योगेन्द्र सिंह के काॅलेज में प्रवक्ता के लिए चयनित योगेंद्र सरोज की हत्या की गई थी। योगेन्द्र सिंह उस घटना में आरोपी थे। हालांकि, बाद में अदालत से वह बरी हो गए थे। पुलिस उस घटना से योगेंद्र की हत्या की कड़ी जोड़ कर गुत्थी सुलझाने का प्रयास कर रही है। पुलिस दिनभर सीसी कैमरों की फुटेज खंगालने के साथ ही संदिग्धों से पूछताछ में लगी रही। दूसरी तरफ प्रधानाचार्य की हत्या से मर्माहत परिजन कुछ भी बोलने से बच रहे हैं। हालांकि वे हत्या की दो वजहों की ओर इशारा कर रहे हैं।
भदोही कोतवाली के अमिलौरी गांव मातम छाया हुआ था। गांव में प्रधानाचार्य की हत्या का खौफ साफ दिख रहा था। दोपहर दो बजे प्रधानाचार्य के शव को वाराणसी के मणिकर्णिका घाट ले जाया गया। प्रधानाचार्य के छोटे भाई अनिल सिंह ने बताया कि हत्या की क्या ठोस वजह है। इसे लेकर कुछ भी कहना जल्दबाजी होगा। मगर, एक-दो मामले ऐसे हैं, जो खटक रहे हैं।
उन्होंने कहा कि हमारे बड़े भाई मिलनसार किस्म व्यक्ति थे, लेकिन कौन उनकी जान का दुश्मन बन गया समझ में नहीं आ रहा है। उन्होंने बताया कि 1997 में कॉलेज में कामर्स प्रवक्ता के पद पर उनके भाई योगेन्द्र सिंह और इलाहाबाद निवासी योगेन्द्र सरोज के बीच विवाद हुआ था। दोनों का नाम एक ही होने के कारण मामला अटक गया था। हालांकि बाद में कोर्ट के आदेश पर बड़े भाई को ही नौकरी मिली। बताया कि इसके कुछ ही दिन बाद योगेन्द्र सरोज की हत्या कर दी गई थी। इसका आरोप हमारे बड़े भाई और हम पर लगा। 2001 में हम दोनों अदालत से दोषमुक्त हुए। अंदेशा जताया कि उससे जुड़े लोग भी इस घटना को अंजाम दे सकते हैं। इसके अलावा उन्होंने बताया कि उनके भाई ने डेढ़ साल पहले धौरहरा में करीब पांच बीघा जमीन का सट्टा कराया था। बातचीत में पता चला कि जमीन दिलाने वाला बिचौलिया पास के रयां गांव का निवासी था। जमीन को लेकर भी कुछ विवाद चल रहा था। इस मामले को लेकर भी उनके भाई की हत्या हो सकती है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि यह सभी सिर्फ आशंका है। पुलिस की जांच में ही सच उजागर होगा।

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ब्याज पर पैसे भी देते थे प्रधानाचार्य

भदोही। कार्यवाहक प्रधानाचार्य ब्याज पर पैसे भी देते थे। अगर उनके दरवाजे पर कोई गरीब आदमी अपनी जरूरत के लिए पहुंचता था और उनसे पैसे की मांग करता था तो वे उन्हें ब्याज पर पैसे मुहैया कराते थे। चर्चा के अनुसार उनका किसी से कोई विवाद भी नहीं रहा।

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