दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का हुआ उद्घाटन…

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मारवाड़ी कॉलेज, दरभंगा के हिंदी विभाग द्वारा “प्रेमचंद को पढ़ते हुए…” विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया

संगोष्ठी की शुरुआत दीप प्रज्वलन एवं अतिथि स्वागत वक्तव्य के साथ हुई। जिसमें गोष्ठी के संयोजक डॉ. अनिरुद्ध सिंह अध्यक्ष, हिंदी विभाग मारवाड़ी महाविद्यालय द्वारा पाग, चादर और स्मृति चिन्ह से सम्मानित किया गया। स्वागत वक्तव्य में डॉ. अनुरुद्ध सिंह द्वारा बताया गया कि इस गोष्ठी में दक्षिण भारतीय राज्य कर्नाटक, तमिलनाडु, ओड़िसा, केरल, महाराष्ट्र, पर्वोत्तर के मिजोरम, असम और पश्चिम बंगाल एवं उत्तर भारत में अपने गृह राज्य बिहार के अतिरिक्त उत्तर प्रदेश, झारखण्ड, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, हरियाणा, उत्तराखंड, पंजाब, हिमांचल प्रदेश पश्चिम से गुजरात एवं राजस्थान और राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली सहित लगभग 251 की संख्या में साहित्य प्रेमी, विद्यार्थी, शोधार्थी एवं शिक्षकगण पंजीकरण कर शोध सारांश एवं शोध आलेख प्रस्तुत कर ऑफलाइन ऑनलाइन माध्यम से जुड़े हुए हैं। प्रथम दिन संगोष्ठी दो सत्रों में आयोजित हुई।

संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र में उपस्थित विशिष्ट अतिथि प्रो. हरि नारायण सिंह (सिंडिकेट सदस्य, ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय) ने कहा कि दरिद्रता पर प्रेमचंद ने बहुत विस्तार से लिखा है, प्रेमचंद का शुरुआती लेखन आदर्शवादी है बाद में यथार्थवादी। उन्होंने कहा कि प्रेमचंद के उपन्यासों के विभिन्न पात्रों और उनकी विशिष्टता का प्रकाश डाला। मुख्य अतिथि के रूप में ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय मानविकी संकाय अध्यक्ष प्रो. चंद्रभानु प्रसाद सिंह ने अपने सम्बोधन में कहा कि प्रेमचंद के लिए स्वाधीनता का अर्थ है शोषण से मुक्ति प्रेमचंद ने अपने साहित्य में छोटे किसान व मजदूरों के यथार्थ को चित्रित व किया पुरोहित वाद का जबरदस्त विरोध है।

मुख्य वक्ता के रूप में प्रोफेसर रामपाल गंगवार (मानविकी संकाय अध्यक्ष एवं अध्यक्ष हिंदी विभाग, बाबा साहब भीमराव अंबेडकर केंद्रीय विश्वविद्यालय, लखनऊ) ने प्रेमचंद के साहित्य को स्वतंत्रता के मूल्यों के माध्यम से देखने का प्रयास किया विमर्श की दृष्टि से भी प्रेमचंद के साहित्य को विश्लेषित किया। विशिष्ट वक्ता हिंदी विभाग के अध्यक्ष प्रो. उमेश कुमार (अध्यक्ष हिंदी विभाग ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय) ने प्रेमचंद के साहित्य में राजनीतिक सरकारों पर प्रकाश डाला, विभिन्न कहानी व उनके चित्रों के माध्यम से राजनीतिक व सामाजिक मूल्यों को विश्लेषण किया। इसी क्रम में आमंत्रित अतिथि सुनील कुमार सिंह (उप-सचिव माध्यमिक शिक्षा परिषद प्रयागराज उत्तर प्रदेश) ने प्रेमचंद के साहित्य को यथार्थवाद की दृष्टि से विश्लेषित किया। संगोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे मारवाड़ी महाविद्यालय के प्रधानाचार्य आदरणीय डॉक्टर दिलीप कुमार ने कार्यक्रम के लिए शुभकामनाएं बधाई प्रेषित की कर अत्यंत हर्ष का अनुभव साझा किया। उद्घाटन सत्र का संचालन डॉ. अनिरुद्ध सिंह ने बहुत कुशलता पूर्वक किया व धन्यवाद ज्ञापन में डॉ. अवधेश प्रसाद यादव बर्सर ने सभी शिक्षकों एवं प्रतिभागियों को धन्यवाद एवं आभार व्यक्त किया।

संगोष्ठी के प्रथम तकनीकी सत्र में सभी वक्ताओं एवं अतिथियों के स्वागत के बाद आमंत्रित अतिथि डॉ, मलखान सिंह जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय नई दिल्ली ने प्रेमचंद के साहित्यिक अवदान पर बात की आजादी कर आजादी की लड़ाई में प्रेमचंद के साहित्य की भूमिका पर प्रकाश डालकर किसान जीवन को अपनी रचनाओं का आधार बनाया।

मुख्य वक्ता के रूप में काशी हिंदू विश्वविद्यालय से डॉ. किंगशन सिंह पटेल ने प्रेमचंद के साहित्य में नवजागरण की चर्चा करते हुए नारी विमर्श की पड़ताल कर प्रेमचंद के साहित्य में विभिन्न स्त्री पात्र व उनका विशिष्ट विश्लेषण किया। विशिष्ट वक्ता डॉ. आनंद प्रसाद गुप्ता हिंदी विभाग ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय ने प्रेमचंद की विभिन्न कहानियों के माध्यम से महान वेतन संबंधों को विश्लेषित किया एवं विभिन्न कहानियों के माध्यम से दलित चेतना व पुरोहितवाद पर अपनी बात रखी। सम्मानित अतिथि डॉ. महेश प्रसाद सिंह सी सी.डी.सी. ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय ने अपने वक्तव्य में कहा की प्रेमचंद जन अधिकार व कानून व्यवस्था की बात कर सामंती व्यवस्था के खिलाफ लंबी लड़ाई लड़ते हुए विशाल साहित्य सृजन किया। सत्र की अध्यक्षता करते हुए प्रो. विजय कुमार ने बड़े घर की बेटी और पंच परमेश्वर जैसी कहानी के माध्यम से प्रेमचंद की कहानी कला पर प्रकाश डाला। संचानल डॉ. विकास सिंह अध्यक्ष संस्कृत विभाग ने किया व धन्यवाद ज्ञापन डॉ. सुनीता कुमारी ने किया।

डॉ. कुमारी कविता, विभागाध्यक्ष मनोविज्ञान, डॉ. विनोद कुमार, अध्यक्ष अर्थशास्त्र विभाग, आमंत्रित अतिथि डॉ. मनोज कुमार (उप परीक्षा नियंत्रक) डॉ. अंकित कुमार सिंह, सहायक आचार्य, बॉटनी डॉ. गजेंन्द्र भारद्वाज, डॉ. निहार रंजन सिन्हा, डॉ. नीरज कुमार तिवारी शोधार्थी मनोज कुमार व वीणा कुमारी तथा गोष्ठी में आमंत्रित अतिथि, कॉलेज के छात्र छात्राएँ तथा महाविद्यालय के सभी विभागों के अध्यक्ष व समस्त सम्मानित शिक्षकों ने अपनी गरिमामयी उपस्थिति दर्ज की तथा महाविद्यालय के लेखापाल आनंद शंकर, वरिष्ठ लिपिक विजय कुमार एवं सौरभ सुमन तथा महाविद्यालय के अन्य कर्मचारीगणों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभा कर गोष्ठी को सफल बनाया। संगोष्ठी का दूसरा दिन 22 अगस्त को दो सत्रों में ऑनलाइन माध्यम से आयोजित किया जायेगा जिसमें कई बड़े संस्थानों के विद्वान आचार्यगण जुड़कर अपना वक्तव्य देंगे।

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